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भारत के अग्रणी एचआर लीडर्स का गलगोटियास विश्वविद्यालय में संगम — परिवर्तनकारी संवाद ‘परिसंवाद 2.0’ का भव्य आयोजन

Amar sandesh दिल्ली।शिक्षा और उद्योग के बीच सेतु निर्माण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए, गलगोटियास विश्वविद्यालय ने अपने प्रमुख मानव संसाधन सम्मेलन ‘परिसंवाद 2.0’ का सफल आयोजन किया। इस आयोजन ने भारत के प्रमुख एचआर विशेषज्ञों, बिजनेस लीडर्स और रणनीतिकारों को एक मंच पर एकत्र किया, जहां शिक्षाविदों और उद्योग के बीच गहन संवाद के माध्यम से भावी कार्यबल की तैयारी पर केंद्रित चर्चा हुई।

प्रमुख कंपनियों के वरिष्ठ एचआर प्रतिनिधियों — जैसे Thoughtworks, Phillips, KPMG India, Atlan, Bajaj Finserv, Nuberg Engineering आदि — की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में, बदलते कार्यस्थलों, नई पीढ़ी की उम्मीदों और तकनीक-सक्षम दुनिया में मानवीय दृष्टिकोण को बनाए रखने की चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इंटर्नशिप अब केवल प्रेक्षण तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उन्हें प्रदर्शन आधारित और वास्तविक अनुभव प्रदान करने वाली बनानी चाहिए।

गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने उद्घाटन संबोधन में कहा भारत एक शैक्षिक क्रांति के मोड़ पर खड़ा है और गलगोटियास विश्वविद्यालय का लक्ष्य छात्रों को केवल रट्टा आधारित शिक्षा से निकालकर सक्रिय, अनुभवजन्य और उद्योग-संरेखित शिक्षा की ओर ले जाना है। ‘परिसंवाद’ इसी दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है, जहां हमारे छात्र देश के शीर्ष एचआर और कॉर्पोरेट विशेषज्ञों से प्रत्यक्ष संवाद करते हैं। हमारा विश्वास है कि भावी लीडर्स को आलोचनात्मक सोच, सहानुभूति, चपलता और उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व के गुणों से सुसज्जित किया जाना चाहिए।”

‘परिसंवाद 2024’ जैसे मंच, बदलते रोजगार परिदृश्य में छात्रों और शिक्षकों को तैयार करने के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। यह आयोजन न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान था, बल्कि विश्वविद्यालय की इस प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है कि वह इंटर्नशिप, लाइव प्रोजेक्ट्स, नेतृत्व-मार्गदर्शन और एचआर-सुविधाजनक करियर विकास के माध्यम से उद्योग के साथ अपने संबंधों को निरंतर सशक्त बना रहा है।

अनुभवात्मक अधिगम, औद्योगिक संरेखण और वैश्विक दृष्टिकोण पर बल देते हुए, गलगोटियास विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा में नई ऊंचाइयों की स्थापना करता आ रहा है, और ‘परिसंवाद 2.0’ उसी दिशा में एक और मील का पत्थर सिद्ध हुआ है।

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