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अंकिता भंडारी हत्याकांड: न्याय की जीत या अधूरी कहानी? तीनों आरोपी दोषी करार, लेकिन ‘वीआईपी’ अब भी रहस्य

Amar sandesh कोटद्वार, 30 मई ।उत्तराखंड की बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में करीब 2 साल 8 महीने बाद अदालत का फैसला आ गया है। कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने इस मामले में तीनों आरोपियों—पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता—को दोषी करार दिया है। सभी पर हत्या (IPC धारा 302), सबूत मिटाने (धारा 201), छेड़छाड़ (धारा 354A) और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत आरोप सिद्ध हुए हैं।

क्या था मामला: 19 साल की रिसेप्शनिस्ट की रहस्यमयी मौत

ज्ञात हो 18 सितंबर 2022 को ऋषिकेश के पास स्थित वनंतरा रिजॉर्ट में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी अचानक लापता हो गई थीं। पांच दिन बाद 24 सितंबर को चिल्ला नहर से उसका शव बरामद हुआ। शुरू में रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि अंकिता की हत्या उसी ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर की थी।

ज्ञात हो ‘वीआईपी गेस्ट’ को देने का दबाव बना विवाद की वजह

जांच में पता चला कि पुलकित आर्य अंकिता पर अपने एक ‘वीआईपी गेस्ट’ को “स्पेशल सर्विस” देने का दबाव बना रहा था। जब अंकिता ने इससे इंकार किया, तो दोनों के बीच विवाद हुआ और उसी के बाद अंकिता की हत्या कर दी गई। पुलकित ने अपने दो कर्मचारियों की मदद से अंकिता को चिल्ला नहर में धक्का दे दिया।

जांच और न्यायिक प्रक्रिया: 500 पेज की चार्जशीट और 97 गवाह

घटना के बाद भारी जनदबाव को देखते हुए SIT का गठन किया गया। जांच में 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें 97 गवाह शामिल थे। अभियोजन पक्ष ने इनमें से 47 गवाहों को अदालत में पेश किया। पहली सुनवाई 30 जनवरी 2023 को हुई और 19 मई 2025 को बहस पूरी हुई। आज कोर्ट ने फैसला सुनाया।

अदालत में सुरक्षा के कड़े इंतजाम, जनआक्रोश भी दिखा

फैसले के दिन कोटद्वार अदालत परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। लेकिन अदालत का फैसला आने से ठीक पहले लोगों की भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

फैसला आ गया, लेकिन कई सवाल अब भी बाकी

जहां कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देकर न्याय की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है, वहीं सबसे बड़ा सवाल आज भी अधूरा है—”कौन था वो वीआईपी?”

जिसके लिए अंकिता पर दबाव बनाया जा रहा था। क्या पुलकित आर्य को बचाने या किसी रसूखदार का नाम छिपाने के लिए यह पहलू कभी उजागर नहीं होगा?

कोर्ट के फैसले ने उत्तराखंड की जनता को एक उम्मीद दी है कि देर से ही सही, लेकिन न्याय संभव है। फिर भी जब तक उस ‘वीआईपी’ का नाम उजागर नहीं होता, जिसे खुश करने के लिए अंकिता पर दबाव बनाया गया, तब तक इस न्याय को पूरा नहीं कहा जा सकता।

यह केस सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि हमारे समाज की उस सच्चाई को उजागर करता है, जहां पैसे और रसूख के सामने एक आम लड़की की अस्मिता को कुचल दिया जाता है।

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