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गरीबों व वंचितों के उत्थान के लिए कार्य करना ही जीवन का लक्ष्य – मनोहर लाल

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू, राजस्थान में ‘आध्यात्मिक सशक्तिकरण से सामाजिक परिवर्तन’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम में आए हुए अनुयायियों तथा प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय से आह्वान किया कि वे सर्वप्रथम गरीबों व वंचितों के उत्थान के लिए कार्य करें ताकि वे लोग मुख्यधारा में आकर समाज निर्माण में भागीदार बन सके।
इस अवसर पर समाज बदलाव का संदेश देते हुए श्री मनोहर लाल ने कविता की पंक्तियां सुनाते हुए कहा कि “चलो जलाएं दीप वहां, जहां अंधेरा घना है”अर्थात सबसे पहले अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के घर उजियारा कर उसके जीवन से दुख, दर्द व दरिद्रता को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। हरियाणा सरकार पिछले 8 वर्षों से अंत्योदय के मूलमंत्र पर चलते हुए हर वर्ग के कल्याण के कार्य को अंजाम दे रही है। हरियाणा सरकार द्वारा चलाए जा रहे कई कार्यक्रमों व फ्लैगशिप प्रोग्रामों को अन्य राज्यों ने भी अपनाया है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर दादी प्रकाशमणी पार्क के लिए अपने स्वैच्छिक कोष से 21 लाख रुपये का अनुदान देने की घोषणा भी की।


हरियाणा सरकार संतो-महापुरुषों की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचा रही है
मुख्यमंत्री ने कहा कि समय–समय पर समाज में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया और उन्होंने समाज सुधार के लिए कार्य किए। अलग-अलग भाषाओं में महापुरुषों की शिक्षाएं रही हैं, परंतु सभी संतों का मूलभाव यही है कि किस प्रकार समाज में सुधार लाया जाए। ऐसे सभी संतो-महापुरुषों की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हरियाणा सरकार ने संत-महापुरूष सम्मान एवं विचार प्रचार प्रसार योजना चलाई है, जिसके तहत सभी महापुरुषों की जयंतियां सरकारी तौर पर मनाई जा रही हैं। सरकार की यह एक अनूठी पहल है, ताकि आज की युवा पीढ़ी को भी पता लगे कि किस प्रकार से महापुरुषों ने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से समाज को आधुनिकता की ओर पहुंचाया है। इतना ही नहीं, यह योजना समाज में भाईचारा व सद्भावना को बढ़ाने का भी माध्यम बन रही है।

भौतिक विकास के साथ–साथ आध्यात्मिक विकास भी जरूरी
श्री मनोहर लाल ने कहा कि ब्रह्मकुमारीज संगठन का लक्ष्य भी समाज सुधार के साथ-साथ मुनष्य का आध्यात्मिक विकास करना है। सरकारें विकास कार्य करती हैं, जिसे भौतिक विकास की संज्ञा दी जाती है, लेकिन सरकारों का काम केवल भौतिक विकास ही नहीं बल्कि समाज में आध्यात्मिक विकास करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे मनुष्यों का निर्माण करना, जिनमें शिक्षा, संस्कार के साथ ही उनका मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास भी हो, यही सरकार तथा सामाजिक संगठनों का ध्येय होना चाहिए।
योग तथा मिलेट्स का मनुष्य को निरोगी बनाने में अहम योगदान
श्री मनोहर लाल ने कहा कि शरीर को स्वस्थ्य रखने की हमारी प्राचीन विधा योग को दुनियाभर में पहचान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया है। योग साधना के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। योग साधना के बल पर मनुष्य अपने मन की बुराईयों पर नियंत्रण कर सकता है। हरियाणा सरकार ने भी योग को बढ़ावा देने और शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए गांवों में पार्क एवं व्यायामशालाएं खोली हैं।
उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने में हमारे सदियों पुराने खान-पान में शामिल मोटे अनाज का आज भी उतना ही महत्व है। इसी को समझते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2023 को मिलेट्स ईयर के रूप में मनाने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री के इस प्रयास को संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक बार फिर माना और वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स ईयर घोषित किया है। हरियाणा में भी नववर्ष पर मोटे अनाज के अल्पाहार के साथ वर्ष 2023 को मिलेट्स ईयर के रूप में मनाने की शुरुआत की गई है।
निराशा को कभी हावी न होने दें, आशावादी बनकर आगे बढ़ें
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे प्रदेश की लगभग पौने 3 करोड़ जनता को अपना ही परिवार मानते हैं। वसुधैव कुटुम्बकम् ही हमारा सिद्धांत है और इसी सिद्धांत को मानते हुए प्रदेश के प्रत्येक नागरिक के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज सुधार के कार्य करते हुए कठिनाईयां बहुत आती हैं, परंतु हमें निराशा को स्वयं पर हावी नहीं होने देना चाहिए, बल्कि आशावादी बनकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि “माना कि अंधेरा घना है, पर दीप जलाना कहां मना है”, इस मूल वाक्य पर चलते हुए जीवन में आने वाली सभी बुराईयों के अंधेरों को दूर कर निरंतर समाज हित में कार्य करते रहना चाहिए।
इस अवसर पर करनाल के सांसद श्री संजय भाटिया, ज्वाइंट चीफ ऑफ ब्रह्मकुमारीज राजयोगिनी संतोष दीदी, राजयोगी बीके बृज मोहन, बीके मृत्युंमजय, बीके भारत भूषण सहित भारी संख्या में देश के कौने-कौने से आए अनुयायी उपस्थित रहे।

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