महिला शक्ति का उत्सव: पीएम मोदी बोले—‘देश की तरक्की में महिलाओं का बड़ा योगदान’
Amar sandesh दिल्ली/भोपाल।देश की महान शासिका देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक भव्य महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस सम्मेलन में दो लाख से अधिक महिलाओं की उपस्थिति का दावा किया गया है।
यह आयोजन ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला बड़ा महिला सम्मेलन रहा, जिसमें प्रधानमंत्री ने भारत की नारी शक्ति को नमन करते हुए उनके देश की तरक्की और सुरक्षा में योगदान को सराहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा:
> “सबसे पहले मैं मां भारती और भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज इतनी बड़ी संख्या में माताएं, बहनें, बेटियां यहां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी के दर्शन कर धन्य हो गया हूं।”
उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती 140 करोड़ देशवासियों के लिए प्रेरणा का अवसर है। यह राष्ट्र निर्माण में योगदान देने और लोकसेवा की भावना को मजबूत करने का समय है।
देवी अहिल्या का आदर्श शासन और विकास मॉडल
पीएम मोदी ने देवी अहिल्या को ‘लोकमाता’ की संज्ञा देते हुए कहा:
“उनकी सोच थी कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। उनका गवर्नेंस मॉडल गरीबों और वंचितों को प्राथमिकता देने वाला था।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि देवी अहिल्या ने कृषि, कुटीर उद्योग, जल संरक्षण, तीर्थ पुनर्निर्माण जैसे कार्यों को बढ़ावा दिया। उनके शासनकाल में छोटी नहरें, तालाब, वनउपज आधारित रोजगार और हस्तशिल्प उद्योग को विशेष समर्थन मिला।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर मध्यप्रदेश को नई सौगातें भी दीं:
इंदौर मेट्रो की शुरुआत
दतिया और सतना हवाई सेवाओं से जुड़े
उन्होंने कहा, “ये प्रोजेक्ट न केवल विकास को गति देंगे, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेंगे।”
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा:
> “जब देश के मंदिरों और तीर्थस्थलों पर हमले हो रहे थे, तब देवी अहिल्या ने उनके पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया। यह मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में माता ने इतने विकास कार्य किए, उसी काशी ने मुझे सेवा का अवसर दिया।”
काशी विश्वनाथ मंदिर में आज देवी अहिल्या की प्रतिमा भी स्थापित है, जो उनके योगदान की अमिट छाप है।
नारी शक्ति को समर्पित यह सम्मेलन, देश के उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम
इस सम्मेलन ने नारी शक्ति की भूमिका को एक बार फिर राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में रखा है। प्रधानमंत्री का संबोधन एक संवेदनशील, प्रेरणादायक और राष्ट्रनिर्माण में महिलाओं की भूमिका को सम्मान देने वाला था।