ऋषि, कृषि और कुर्सी का समायोजन ही किसानी का उत्कर्ष है: संत गणि राजेन्द्र विजयजी महाराज
— कृषि चैपाल के 17 वर्ष पूर्ण होने पर ‘खेती-किसानी: 10 साल बेमिसाल’ कार्यक्रम
Amar sandesh नई दिल्ली, 18 मई 2025। यदि भारत को कृषि के क्षेत्र में वास्तविक उन्नति करनी है, तो इसके लिए ऋषि (यज्ञ-धर्म), कृषि (खेती) और कुर्सी (सत्ता) का संतुलित समायोजन आवश्यक है। यह बात प्रसिद्ध जैन संत और चार दशकों से आदिवासी समाज के लिए कार्य कर रहे संत गणि राजेन्द्र विजयजी महाराज ने कही। वे शनिवार, 17 मई को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में ‘खेती-किसानी: 10 साल बेमिसाल’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम कृषि चैपाल पत्रिका के 17 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।
महाराजश्री ने कहा कि भारत की ग्रामीण खेती को पुनर्जीवित करने के लिए गौवंश का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश में गौ आधारित प्राकृतिक और जैविक खेती के प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पिछले एक दशक में शुरू की गई कृषि योजनाओं के सकारात्मक परिणाम अब स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुई, जिसमें पर्वतीय कला संगम के कलाकारों ने गणेश वंदना और पर्यावरण पर आधारित नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में रक्षा मंत्रालय से निदेशक पद से सेवानिवृत्त विद्वान नीलाम्बर पाण्डेय ने प्रधानमंत्री द्वारा आरंभ की गई 30 से अधिक कृषि योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने ‘किसान सम्मान निधि’ योजना की विशेष रूप से चर्चा की, जिससे सीमांत किसानों को नियमित आर्थिक सहायता मिल रही है।
वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान ने अपने गढ़वाल प्रवास के अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उत्तराखंड के गांव सौर ऊर्जा के प्रयोग से आत्मनिर्भर बन रहे हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की सराहना की और मुख्यधारा मीडिया द्वारा कृषि क्षेत्र की उपेक्षा पर चिंता जताई।
दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी और पत्रकारिता के प्राध्यापक डॉ. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि जब अधिकांश लोग कृषि में भी रील और ग्लैमर खोज रहे हैं, तब कृषि चैपाल का 17 वर्षों से सतत प्रकाशन एक अनुकरणीय कार्य है।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता और लेखक शैली विश्वजीत ने किया। उन्होंने अंगूर की खेती और निर्यात में हुई प्रगति की चर्चा करते हुए वैल्यू एडिशन पर जोर दिया।
कृषि चैपाल पत्रिका के संपादक एवं कार्यक्रम के मुख्य संयोजक महेंद्र बोरा ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए घोषणा की कि आने वाले समय में देश के विभिन्न राज्यों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इस अवसर पर निर्मल अखाड़ा लक्ष्मीनगर के संत अमनदीप , वकील, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित समाज के अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।