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‘सतत और सस्ती ऊर्जा हासिल करना भारत का शीर्ष एजेंडा है’ :धर्मेन्‍द्र प्रधान

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्‍पात मंत्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने कहा है कि सतत और सस्ती ऊर्जा हासिल करना भारत का शीर्ष एजेंडा है। श्री प्रधान ने  नई दिल्‍ली में आयोजित ‘इंडिया इकोनॉमिक समिट’ में इस बात का उल्‍लेख करते हुए कहा, ‘हम आज व्‍यापक तेल एवं गैस संकट को ध्‍यान में रखते हुए बैठक कर रहे हैं जो सऊदी अरब के अबकैक और खुराइस स्थित तेल प्रसंस्करण संयंत्रों पर हमले से उत्पन्न हुआ है। कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव और निरंतर तेल आपूर्ति को लेकर बढ़ती चिंताओं ने उपभोक्‍ता देशों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं क्‍योंकि यह सच है कि भारत के साथ-साथ ज्‍यादातर दक्षिण एशियाई देश कच्‍चे तेल और गैस के आयात पर काफी हद तक निर्भर हैं। अत: भारत सहित इन सभी देशों के लिए सतत एवं सस्‍ती ऊर्जा हासिल अथवा सुनिश्चित करना शीर्ष एजेंडा है।’ श्री प्रधान ने कहा कि यह स्‍वाभाविक ही है कि वैश्विक स्‍तर पर ऊर्जा संबंधी चर्चाओं के दौरान भारत में ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े घटनाक्रमों पर गंभीरता से ध्‍यान दिया जाता है। विश्‍व स्‍तर पर दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्‍ता के रूप में भारत के उभरने से ही यह स्थिति बनी है। इसके साथ ही यह भी सच है कि भारत देश में ऊर्जा की कमी से निपटने के लिए अनेक रूपांतरणकारी पहलों पर अमल करके विश्‍व भर में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

श्री प्रधान ने कहा, ‘हम भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाना चाहते हैं, इसलिए देश की 1.3 अरब जनता के लिए ऊर्जा की उपलब्‍धता बढ़ाना जरूरी है। भारत में प्रति व्‍यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत से कम है। अत: ऊर्जा की मांग वर्ष 2035 तक सालाना 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। भारत को एक बार फिर ऊर्जा से परिपूर्ण करने की हमारी अवधारणा भारत के ऊर्जा विजन से निर्देशित होगी, जिसका उल्‍लेख  प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया है और‍ जिसके तहत ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा निरंतरता और ऊर्जा सुरक्षा के चारों स्‍तंभों को कवर किया गया है। ऊर्जा नियोजन से जुड़ी हमारी एकीकृत अवधारणा के तहत ऊर्जा न्‍याय भी अपने आप में एक अहम उद्देश्‍य होगा।’ पिछले सप्‍ताह न्‍यूयार्क में आयोजित संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु कार्य योजना शिखर सम्‍मेलन 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के संबोधन का उल्‍लेख करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट से भी काफी अधिक के स्‍तर पर ले जाकर और बाद में इसे 450 गीगावाट के आंकड़े तक पहुंचा कर गैर-जीवाश्‍म ईंधनों की हिस्‍सेदारी बढ़ा देगा। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस संबोधन में सीओपी 21 और सतत विकास के लिए भारत की सुदृढ़ प्रतिबद्धता को ध्‍यान में रखते हुए ऊर्जा मांग पूरी करने की अवधारणा की महत्‍वपूर्ण बातों का उल्‍लेख किया था। श्री प्रधान ने देश में ऊर्जा की कमी समाप्‍त करने का सरकारी संकल्‍प व्‍यक्‍त किया जो पिछले पांच वर्षों में अपनाई गई ऐतिहासिक नीतियों और पहलों के साथ-साथ इस वर्ष जून से अमल में लाए जा रहे कार्यक्रमों के नतीजों से स्‍पष्‍ट होता है। उन्‍होंने कहा कि इस दिशा में हम नवाचार और स्‍वच्‍छ ऊर्जा पर विशेष ध्‍यान दे रहे हैं।

 

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