राष्ट्रीय

लोकतंत्र मे असंसदीय भाषा का प्रयोग’ विषय पर मीडिया फैडरेशनो व न्यूज एजैंसियो का मंथन

सी एम पपनैं

रायपुर (छत्तीसगढ़)। देश की शीर्ष मीडिया फैडरेशनो, आईएफडब्लूजे, फैडरेशन आफ पीटीआई इंप्लाईज यूनियन, एनएफएनई, एआईएनईएफ तथा यूएनआई के पदाधिकारियों द्वारा गठित, ‘नेशनल कन्फडरेशन आफ न्यूज पेपर्स एंड न्यूज एजैंसीज इंप्लाईज आर्गेनाईजेशन’ का 44वां प्लेनरी शेषन छत्तीसगढ़ राज्य राजधानी रायपुर के बेबीलान इन में 10 व 11 फरवरी को कन्फडरेशन अध्यक्ष इंदुकांत दीक्षित, फैडरेशन आफ पीटीआई इंप्लाईज यूनियन अध्यक्ष अतनु पाल तथा आईएफडब्ल्यूजे अध्यक्ष के विक्रम राव की अध्यक्षता तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की गरिमामय उपस्थिति तथा केन्द्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की आनलाइन उपस्थिति मे सम्पन्न हुआ।

 

दो दिनों तक चले कन्फडरेशन पदाधिकारियों की बैठक के मुख्य विषय ‘लोकतंत्र मे असंसदीय भाषा का प्रयोग’ विषय चर्चा मे देश की शीर्ष मीडिया यूनियनों व फैडरेशन पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य वरिष्ठ पत्रकारों मे अशोक मलिक (अध्यक्ष एनयूजे), मनोज मिश्र (उपाध्यक्ष नेशनल कन्फडरेशन आफ न्यूज पेपर इंप्लाईज), बलराम दहिया (महासचिव पीटीआई), विपिन धूलिया (महासचिव आईएफडब्ल्यूजे), सी एम पपनैं (महासचिव नेशनल फैडरेशन आफ न्यूज पेपर इंप्लाईज), गोबिंद स्वामी भूपति (महासचिव नेशनल कन्फडरेशन आफ न्यूज पेपर इंप्लाईज), सुरेश शर्मा (महासचिव एनयूजे), अशोक उपाध्याय (पूर्व यूएनआई प्रमुख संपादक) नीलकण्ठ पराठेकर, भवदीव वानखेडे, पी आनंदम, पी परमेश्रवर, दीपक कुमार के साथ-साथ ब्रज मोहन अग्रवाल (भाजपा वरिष्ठ नेता) तथा प्रदीप टंडन (अध्यक्ष जिंदल ग्रुप) इत्यादि मुख्य रहे। मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा भी ‘लोकतंत्र मे असंसदीय भाषा का प्रयोग’ विषय पर ठोस व ज्ञानवर्धक विचार व्यक्त किए गए।

 

दो दिनों तक आयोजित संगोष्ठी का श्रीगणेश कन्फडरेशन पदाधिकारियों व मुख्य अतिथियो के कर कमलो दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कन्फडरेशन अध्यक्ष इंदुकांत दीक्षित द्वारा देश के 19 राज्यो से पहुचे फैडरेशन पदाधिकारियों व अन्य पत्रकारों का स्वागत अभिनंदन कर व्यक्त किया गया, देश के शीर्ष पत्रकार-गैरपत्रकार संगठनो के फैडरेशनो का एक मंच पर एकजुट होकर मीडिया कर्मियो की समस्याओं व पत्रकारिता के महत्व पर चर्चा करना एक बडी ऐतिहासिक उपलब्धि कहा जा सकता है। आयोजित बैठक मे पीटीआई, एनएफएनई, आईएफडब्लूजे तथा एनयूजे सहित देश के अन्य राज्यो के संगठनो के पदाधिकारियों द्वारा पत्रकारों के दूरगामी हित में सारगर्भित विचार व्यक्त किए गए।

 

संगोष्ठी के इस अवसर पर केन्द्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा दिल्ली से रायपुर आनलाइन जुड़ कर व्यक्त किया गया, 19 राज्यो के पत्रकारों से एक ही स्थान पर आनलाइन वार्ता का अवसर प्राप्त हुआ है, खुशी हो रही है। लोकतंत्र के चार पायो मे मीडिया का बड़ा महत्व है। जहा सूर्य की किरण नहीं जाती पत्रकार जाता है। खबरों को उजागर करता है।

 

नितिन गडकरी द्वारा व्यक्त किया गया, हमारी कुछ कमिया होती हैं। पत्रकार कमियों से हमे अवगत कराते हैं। मीडिया मे बदलाव हुआ है। एक समय प्रिंट मीडिया था फिर इलैक्ट्रोनिक अब सोशल मिडिया है। तकनीक मे भी परिवर्तन हुआ है। तकनीक के कारण ही आपके सामने हूं। व्यक्त किया गया, ज्ञान तकनीक का जरूरी है, जिसे आत्मसात कर प्रयोग करना जरूरी है। तकनीक हमारी अच्छा काम कर रही है। युवा बढ़चढ़ कर तकनीक अपना रहे हैं। रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।

नई तकनीक से किसान को फायदा हो रहा है। आटोमुबाइल तकनीक मे भारत जापान को पछाड़ तीसरे नम्बर पर पहुच चुका है। इलैक्ट्रिक कार खरीद का नम्बर एक वर्ष तक नही आ रहा है। भारत में तकनीक के बल बडी क्रांती आ रही है। अब यातायात के साधन इलैक्ट्रिक तकनीक मे तब्दील हो कर सस्ता होने जा रहा है। सब जगह इलैक्ट्रिक गाड़ियां चार्ज होंगी, इलैक्ट्रिक कारों का महत्व व चाहत बढ़ रही है।

 

नितिन गडकरी द्वारा व्यक्त किया गया, खाद्ययो से इकोनॉल तेल बनता है जो डीजल से 60 फीसद सस्ता है। उक्त तेल से बिजली भी बनेगी। पर्यावरण प्रदूषण मुक्त होगा। ट्रक, जहाज, ट्रेन इत्यादि सब हाइड्रोजन से चल सकते हैं। पराली, नारियल झाड़ बायो का उपयोग कर ऊर्जा मे प्रयोग होगा। इस सबसे गांव देहात का विकास होगा। सीएसआईआर ने बायो बिटमिन बनाया है। नई तकनीक से विदेशी मुद्रा बचेगी। ड्रोन से यूरिया फैकने पर लाभ होगा। देश का इंफ्रास्ट्रक्चर 2024 खत्म होने तक अमेरिका के बराबर होगा। कई तीब्र गति की रोड बन रही हैं, यात्रा दूरी कम होगी।

 

नितिन गडकरी द्वारा व्यक्त किया गया, एक तरफ बाढ़ से नदियों का पानी बेकार जा रहा है, दूसरी ओर पानी की कमी हो रही है। नदियों को मिलाया जा रहा है। तकनीक से भारत बदल रहा है। पर्यावरण की रक्षा मुख्य है। 15 वर्ष पुरानी गाड़ी हटाने से प्रदूषण कम होगा।

 

व्यक्त किया गया पत्रकारों की मदद के लिए वे हमेशा आगे रहे हैं। सभागार मे बैठे पत्रकारों द्वारा नितिन गडकरी से कुछ सवाल भी पूछे गए, जिनका बेबाकी से गड़करी द्वारा जवाब दिया गया।

 

आयोजन के इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा व्यक्त किया गया, आज नियति सी बन गई है, पहले लोगों को उत्तेजित करो, विवाद करो। प्रश्नकाल मे पूरी अव्यवस्था रखती है। पूरी ताकत से लोग विधान सभा मे बोलते हैं, उत्तेजित करते हैं। क्या बोला पता नहीं होता है। पत्रकार चाहते हैं कुछ ऐसा बोले कि खबर बन जाए। कमान से निकले तीर पर खास खबर बनती है। अच्छे धर्मगुरु के प्रवचन की बात नहीं चलती, गलत चीजे जल्दी पहुच जाती हैं। जैसा समाज है वैसा लोग बनते हैं। नई पीढी को सिर्फ मुबाइल की जरूरत है। सोशल मीडिया के असंसदीय शब्दों को कैसे रोकैगे? उनको कन्ट्रोल कोंन करेगा? गम्भीर चिंतक विचार आज नहीं हैं। जो हैं उन्हे आज ट्रोल कर दिया जाता है। खतरनाक दौर से समाज गुजर रहा है। उत्तेजना वाली चीजे ज्यादा हैं। आज टारगेट किया जाता है, जो व्यापार बन गया है। इस बावत चिंता कोंन करेगा? एक दौर आयेगा लोग सच्ची खबर पर विश्वास करैगे। आज इतिहास निर्माताओं को बदनाम किया जा रहा है। इस दौर मे भी नए लोग निकलैगे, समाज का उद्धार होगा। देश तरक्की करेगा। नकस्लवाद को समाप्त करने की उपलब्धि सरकार की रही।छत्तीसगढ़ प्रकृति के लिहाज से सुंदर है।

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा व्यक्त किया गया, पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग राज्य में इस सत्र के बाद जल्द लागू हो जायेगी। पत्रकारों को सम्मान योजना राशि लागू है। पत्रकार मालिको से लडे तो वे पत्रकारों के साथ हैं। पत्रकारों को राज्य में मान्यता दी जा रही है। गम्भीर बीमारियों के लिए दो लाख रुपया दिया जा रहा है। कोरोना काल मृत्यु पर पांच लाख रुपया दिया गया है।

 

मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्त किया गया, असंसदीय शब्द गंभीर विषय है। असंसदीय शब्द बोलकर माहौल गरमाया जाता है, मुख्य खबर से ध्यान हटाया जाता है। बहुत से पत्रकारों को आज भी याद किया जाता है, उनके द्वारा दी गई पत्रकारिता के मूल्यों से। जिन्होंने लडाई लडी, इतिहास बनाया, वही नाम रह जाता है, प्रेरणाश्रोत बन जाता है।

 

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा व्यक्त किया गया, विषय अच्छा है। पहली बार इस पर चर्चा हो रही है। बुनियादी बात है हम किस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। मानव सदियों से है। सभ्यता का इतिहास दस हजार साल का ही है। पहले आदमी गाली नहीं पत्थर मारता था। पहली बार उसने जुबान चलाई, गाली दी। यह सभ्यता कहलाई गई। सभ्यता वहा से शुरू होती है जहा से सभ्य पुरुष ने समाज व्यवस्था की जरूरत समझी। हर चीज को शुरू करने के लिए यूनिटी की जरूरत होती है। आज हमे पुन: इकठ्ठा होने की जरूरत है। हम अपनी परंपराओ, संस्कृति व बुनियादी चीजो को बचाने मे सफल रहे हैं। हमारी संस्कृति का आधार कभी खत्म नहीं हुआ। इकबाल ने कहा है ‘हम कुछ मुश्किल वक्त से गुजरे हैं।’ हम ऐसी बात नहीं कहना चाहते जिससे कोई तकलीफ हो। इतिहास से सबक सीखा जाता है, दुश्मनी नहीं निकाली जाती। ज्ञान सुरक्षित रहे इसलिए लोगों ने स्थान परिवर्तन किया है। विषम परिस्थितियों से कैसे हम अपनी आने वाली पीढी को बचा सके, यह सोच रही। आज भी हमारे पास वह बुनियादी ढांचा बचा हुआ है।

 

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा व्यक्त किया गया, आज पत्रकार एडीटर नहीं, मालिक एडीटर है। पत्रकारों की बहुत इज्जत होती थी। मालिक एडीटर को नहीं बुला सकता था, स्वयं एडीटर के कमरे मे जाता था।

 

हम लम्बे समय तक गुलाम रहे, आजादी से दो सौ वर्ष पहले खास। 1857 के बाद तो हमे इकाई भी नहीं माना गया। आज ईकाई की बात नहीं राष्ट्रीयता की बात होनी चाहिए। भारत का नागरिक एक ईकाई के समान नहीं वर्ग नहीं। हिंदू-मुश्लिम के राग पर पत्रकार ही निपट सकता है। राष्ट्र को बढ़ाया जा सकता है। सबसे ऊपर हर कोई भारतीय है। योग्यता चाहिए पत्रकारिता मे।

 

राज्यपाल से कई ज्वलंत विषयों पर पत्रकारों द्वारा सवाल किए गए, पत्रकारों के सवालों का जवाब आरिफ मोहम्मद खान द्वारा बखूबी, सारगर्भित दिए गए।

 

संगोष्ठी मे उपस्थित अन्य मीडिया यूनियन व फैडरेशन पदाधिकारियो तथा वरिष्ठ पत्रकारो द्वारा व्यक्त किया गया, पूरे समाज को जागरूक कर असंसदीय भाषा पर रोक लगाई जानी चाहिए। आचरण क्या होना चाहिए? मीडिया की इसमे क्या भूमिका होनी चाहिए? लाइव प्रसारण होने पर मीडिया गलत शब्दों पर होशियारी बरते। मीडिया को हर खबर को सनसनी खेज खबर बनाने की नियति सी बन गई है। साख को कैसे बचाया जाए? मीडिया के लोगों को इज्जत बचानी मुश्किल हो गई है।

 

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, मीडिया के लोगों को स्वय को जिम्मेवार बनाने के लिए 1954 मे मसला शुरू हुआ था। अपशब्द का प्रयोग संसद व विधानसभाओ मे गलत है। मूल विषय पर कार्य नहीं होता है। जो खबर दिखाने लायक नहीं होती वह आज ब्रेकिंग न्यूज पर चलाई जाती है। शब्द चयन शैली खूबसूरत होनी चाहिये। झूठ बोलना असंसदीय है।

 

मीडिया कर्मियों की बिगडती आर्थिक हालात पर वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, स्थापित सरकारो का ध्यान नहीं जा रहा है। मीडिया कर्मियो से 18-20 घण्टा काम लिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के बाद भी आजतक वेजबोर्ड का लाभ व बनाऐ गए नियमो का लाभ मीडिया कर्मियों को अभी तक नहीं मिला है। पेशे व कौशल के मुताबिक वेतन भुगतान नहीं हो रहा है। कही-कही तो मीडिया कर्मियों को मनरेगा कर्मियों के बराबर तक भुगतान नही हो रहा है। मीडिया सैक्टर कमजोर व पालिटिकल ताना-बाना मजबूत होता जा रहा है।

 

व्यक्त किया गया, प्रेस कान्फरैंस समाप्त हो गई है। आज पत्रकारिता हास की ओर जा रही है। पत्रकारिता के महत्व को जीवंत रखने के लिए मीडिया मे लागू की गई ठेकेदारी प्रथा का विरोध बडे स्तर पर करना होगा।

 

व्यक्त किया गया, ठेकेदारी टाइमबांड कार्यो मे लागू होती है, पत्रकारिता टाइमबांड कार्य नहीं है। संस्थान ठेकेदारी पर काम कर रहे श्रमिको को अपना कर्मचारी मानने से इंकार करते हैं। ठेकेदारी प्रथा से श्रमिक संगठन व उनके क्रियाकलाप कमजोर हो रहे हैं, समाप्त हो रहे हैं, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है।

 

व्यक्त किया गया, बिना मीडिया के लोकतंत्र की कल्पना नहीं कर सकते। जब पत्रकारों की बात की जाती है, तो आज का मीडिया जिसे कारपोरेट चला रहा है, उसे स्थान नहीं देता है। टीआरपी का खेल चल रहा है। पत्रकार आज खुद कहानी बन गया है। देश के बडे उद्योगपति मीडिया चला रहे हैं। पत्रकारो के न्यूनतम वेतन की बात भी नही होती है, काम सारे कराए जा रहे हैं।

 

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, मीडिया संगठित हो, चुनौती बढ़ गई है। लोकतंत्र को मजबूत करने मे मीडिया की बडी भूमिका है। यह तभी सम्भव हो पायेगा, जब मीडिया स्वतंत्र होगा। व्यक्त किया गया, चार दशक पूर्व जो पत्रकारों का महत्व होता था, जो रुतवा होता था, आज क्षरण की ओर बढ़ रहा है। व्यक्त किया गया, आज भी निडर पत्रकार हैं, अहम भूमिका निभा रहे हैं। लोकतंत्र में सजग, स्वतंत्र व निर्भीक पत्रकार की जरूरत है। सोशल मीडिया बढ़-चढ़ कर पत्रकारो की समस्याओ पर प्रकाश डाल रहा है।

 

व्यक्त किया गया मीडिया कर्मियों मे असन्तोष बढेगा तो लोकतंत्र कमजोर होगा। आज विषमता जो पैदा हो रही है, आने वाले समय के लिए, बहुत बडी चुनौती खडी होने जा रही है। सूचना का सही होना अनिवार्य है, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।

 

व्यक्त किया गया कोरपोरेट मे असंसदीय भाषा का प्रयोग विगत पन्द्रह वर्ष से हो रहा है। कोरपोरेट मे बडे स्तर पर प्रतिक्रिया है। मीडिया का कर्तव्य बनता है, लोगों को जागरूक करे। सुंदर शब्दों का प्रयोग किया जाए। कोरपोरेट मे यह भाषा पूर्णतया बंद है। बोलने वाले के ऊपर एक्शन होता है।

 

व्यक्त किया गया, आज स्थिति बदल गई है। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया क्या परोस रहा है? विपरीत दिशा में जाकर लोगों का ध्यान बटा रहा है, दिमाग को परिवर्तित कर रहा है। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया खबर नहीं चर्चा है। सोशल मीडिया की खबरे चुनौती बनी हुई हैं। टीआरपी का खेल चल रहा है। तकनीक बदल चुकी है। सोशल मीडिया का प्रभाव काफी बढ़ गया है। पत्रकारो के समक्ष वर्किंग कन्डीशन मुख्य समस्या है। पत्रकारिता मे परिवर्तन हुआ है। आज पत्रकारों के अधिकार छीन लिए गए हैं। पत्रकारिता को धन्धा समझ, चलाने की कोशिश की जा रही है। वक्ताओ द्वारा, मीडिया मे ठेकेदारी प्रथा लादने के बाद, मीडिया का स्तर गिरने की बात भी कही गई। व्यक्त किया गया, निष्पक्ष पत्रकारिता करना चुनौतीपूर्ण हो गई है। पत्रकारिता की प्रसिद्धि खत्म हो गई है। सम्पूर्ण मीडिया से ठेकेदारी प्रथा हटाने को बल दिया गया। व्यक्त किया गया मीडिया मे ठेकेदारी प्रथा समाप्त होने के बाद पत्रकारों का शोषण बंद हो जायेगा, पत्रकारिता को नए आयाम मिल सकैगे।

 

व्यक्त किया गया, आज तक किसी भी वेतन आयोग की रिपोर्ट पूर्ण रूप से लागू नहीं हुई है। इसका जिम्मेवार कोंन है? राज्यो के श्रम विभाग की भूमिका मुख्य है। देश के कई राज्यो मे प्रेजाइडिंग आफिसर तक नहीं हैं। राज्यो के श्रम विभाग की उदासीनता पर केन्द्र सरकार को ध्यान देना होगा। नए वेजबोर्ड गठन का प्रस्ताव लम्बित पड़ा है, केन्द्र सरकार को पहल करनी होगी।

 

व्यक्त संबोधनो मे वक्ताओ द्वारा पत्रकारों के सरोकारों के लिये लड़ाई लड़ने का संकल्प दुहराया गया। साथ ही विभिन्न राज्य ईकाइयो के पदाधिकारियों को देश के समस्त पत्रकारों के सरोकारों से जुडे दायित्वों का मजबूती से निर्वहन करने का आहवान किया गया। व्यक्त किया गया, आज पत्रकारों को जनमानस को जागरूक करना होगा, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। पार्लियामैंट्री डेमोक्रेसी को ठीक करने की जरूरत है।

आईएफडब्लूजे के 121वे सेशन व 143वी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता फैडरेशन अध्यक्ष के विक्रम राव द्वारा की गई। संगठन कार्यकारिणी द्वारा संगठन के उपाध्यक्ष व कानूनी सलाहकार रहे प्रताप चंन्द्रन के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रख गहरा शोक व्यक्त किया गया। प्रधानमंत्री व श्रममंत्री को मीडिया कर्मियों की समस्याओं के बावत अवगत कराने हेतु पत्र लिखने पर सहमति जताई गई। सर्वसम्मति से नए वेजबोर्ड प्रस्ताव को पारित किया गया।

 

आईएफडब्लूजे कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा व्यक्त किया गया प्रेस काउंसिल का महत्व समाप्त हो गया है। मीडिया मालिक प्रेस काउंसिल का दुरुपयोग अपने व्यवसायिक हित साधने के लिए करने लगे थे। प्रेस काउंसिल सदस्य वे लोग बनाऐ जा रहे थे जिनका मीडिया से दूर-दूर का रिश्ता नही रहा। आज मीडिया का रूप विस्तृत हो गया है, इलैक्ट्रोनिक मीडिया के आने से मीडिया का रूप बदल गया है, विस्तृत हो गया है। इसलिए मीडिया काउंसिल बनाना जरूरी हो गया है। सर्वसम्मति से उक्त मांग का प्रस्ताव पारित किया गया।

 

आयोजित संगोष्ठी मे, फैडरेशन आफ पीटीआई इंप्लाईज यूनियन के देश के प्रत्येक राज्य से बडी संख्या मे जुडे सदस्यों द्वारा भाग लिया गया, संगोष्ठी को सफल बनाया गया।

 

आईएफडब्लूजे कार्यकारिणी सदस्या शांता कुमारी द्वारा रचित पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि केरल के माननीय राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के कर कमलो सम्पन्न हुआ। माननीय राज्यपाल के कर कमलो पत्रकारिता, मीडिया ट्रेड यूनियनो व फैडरेशनो को अपना सम्पूर्ण जीवन देने वाले डाॅ के विक्रम राव, नीलकंठ परारकर व राजेन्द्र नायक को नेशनल कन्फडरेशन द्वारा लाइफ टाइम अचीवमैंट अवार्ड से नवाजा गया।

 

फैडरेशन आफ पीटीआई इंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा देश के विभिन्न राज्यो से कन्फडरेशन बैठक में पहुचे, सभी फैडरेशन पदाधिकारियों को स्मृतिचिन्ह देकर, सम्मानित किया गया आयोजन समापन की घोषणा की गई।

 

कन्फडरेशन संगोष्ठी का प्रभावशाली मंच संचालन कन्फडरेशन अध्यक्ष व पीटीआई रांची प्रमुख डाॅ इंदूकांत दीक्षित द्वारा, बखूबी, प्रभावशाली अंदाज में किया गया।

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