स्वास्थ्य

चावल बना नई उम्मीद: कैंसर से लड़ने में मददगार निकले खास एंटी-ऑक्सीडेंट गुण

Amar sandesh दिल्ली।नई रिसर्च में चावल की कुछ खास किस्मों में शक्तिशाली कैंसर-रोधी तत्व पाए गए हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से रक्षा करते हैं। यह खोज भारत और चीन जैसे देशों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है, जहां कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

चावल की कुछ विशिष्ट किस्मों में अब कैंसर से लड़ने वाले प्राकृतिक गुणों की पुष्टि हुई है। इनमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व शरीर को फ्री रेडिकल्स और हानिकारक यौगिकों से बचाने में मदद करते हैं। यह खोज खासतौर पर भारत और चीन जैसे देशों के लिए अहम मानी जा रही है, जहां बड़ी संख्या में लोग कोलोरेक्टल कैंसर से जूझ रहे हैं।

फिलीपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने विभिन्न देशों से जुटाए गए चावल के नमूनों की गहराई से जांच की। उन्होंने करीब 800 रंग-बिरंगे चावल की किस्मों का रासायनिक विश्लेषण किया और यह जानने की कोशिश की कि इनमें कौन-से तत्व कैंसर पर प्रभावी हो सकते हैं।

इस अध्ययन के दौरान छह ऐसी किस्में सामने आईं जिनमें अत्यधिक मात्रा में कैंसर रोधी तत्व और एंटीऑक्सीडेंट पाए गए। ये तत्व ब्लूबेरी और चिया सीड्स जैसे महंगे सुपरफूड्स में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स के बराबर प्रभावी थे। जब इन किस्मों को कैंसर कोशिकाओं पर परखा गया, तो उन्होंने बेहतरीन कैंसर-रोधी क्षमताएं दिखाई। इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित ‘साइंटिफिक जर्नल फूड हाइड्रोकोलॉइड्स एंड हेल्थ’ में प्रकाशित हुए हैं।

वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि इन चावल की किस्मों से बनने वाला चोकर (भूसी) भी कैंसर पर अत्यधिक असरदार है। इसका अर्क पानी में आसानी से घुल जाता है और इसकी थोड़ी सी मात्रा भी कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में प्रभावशाली रही। अनुमान है कि 300 ग्राम भूसी से करीब एक किलो पोषक सप्लीमेंट तैयार किया जा सकता है, जो किफायती भी है और स्वास्थ्यवर्धक भी।

इसके अतिरिक्त, जब इन चावल की किस्मों को पकाया जाता है, तो ये अपने लगभग 70 प्रतिशत एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर-रोधी गुणों को बनाए रखती हैं, जिससे यह एक पोषक और सुरक्षात्मक आहार विकल्प बन जाता है।

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