एनसीएलटी मामलों के त्वरित निपटान हेतु पब्लिक सेक्टर बैंकों की प्रगति की समीक्षा – DFS सचिव एम. नागराजू ने की अध्यक्षता
Amar sandesh नई दिल्ली, 8 मई।वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) के सचिव श्री एम. नागराजू ने आज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks) द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में लंबित मामलों के समाधान की प्रगति की समीक्षा हेतु एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का मुख्य उद्देश्य दिवालियापन समाधान प्रक्रिया की प्रभावशीलता बढ़ाना तथा बैंकों द्वारा उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा करना था।
इस महत्वपूर्ण बैठक में वित्तीय सेवाएं विभाग, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (IBBI) तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
एनसीएलटी में दाखिले के लिए लंबित मामलों की विस्तृत समीक्षा की गई। बैंकों को यह सलाह दी गई कि वे कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के तहत आवेदन दाखिल करने में अनावश्यक देरी से बचें।
बैंकों को गैर-ज़रूरी स्थगन मांगने से बचने, रिकवरी के अन्य विकल्पों को खुला रखने तथा प्रक्रिया में तेजी लाने हेतु स्पष्ट निर्देश दिए गए। साथ ही, बैंकों के अधिवक्ताओं को यह निर्देशित किया गया कि वे विरोधी पक्षों द्वारा जानबूझकर की जा रही देरी के प्रयासों का सख्ती से विरोध करें।
जानकारी दी गई कि पिछली समीक्षा के बाद बैंकों ने वसूली के विभिन्न तंत्रों के माध्यम से कुछ खातों का समाधान किया है, जो एक सकारात्मक प्रगति है।
डीएफएस ने सभी बैंकों से अनुरोध किया कि वे अपने शीर्ष बीस मामलों की नियमित समीक्षा करें और विशेष रूप से उन मामलों पर ध्यान केंद्रित करें जिनमें समाधान योजनाएं क्रेडिटर्स की कमिटी (CoC) के समक्ष तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं।
स्थगन आदेशों के विरुद्ध सक्रिय पहल:
सचिव श्री नागराजू ने यह भी निर्देश दिया कि बैंकों को बिना समय गंवाए स्थगन आदेशों को रद्द करवाने हेतु आवश्यक विधिक प्रयास आरंभ करने चाहिए, ताकि समाधान प्रक्रिया को पुनः सक्रिय किया जा सके।
बैठक का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि समन्वित प्रयासों द्वारा एक मजबूत और कुशल समाधान प्रक्रिया को साकार किया जाएगा, जिससे सार्वजनिक धन की सुरक्षा सुनिश्चित हो और आर्थिक पारदर्शिता को बढ़ावा मिले।