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“अब कुर्सी नहीं, जवाबदेही चलेगी!” — हरिद्वार जमीन घोटाले में धामी सरकार की ऐतिहासिक कार्रवाई, 3 बड़े अफसरो पर गिरी गाज 

उत्तराखंड में पहली बार सत्ता ने खुद पर मारी चोट — भ्रष्टाचार पर सीएम धामी का सीधा वार, जीरो टॉलरेंस नीति की बड़ी परीक्षा

Amar sandesh दिल्ली/देहरादून।हरिद्वार ज़मीन घोटाले में उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन के गलियारों में भूचाल ला देने वाली कार्रवाई सामने आई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 54 करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले में अपनी ही सरकार के 2 IAS और 1 PCS अधिकारी चार अन्य अधिकारी को निलंबित कर साफ संदेश दे दिया है — अब उत्तराखंड में ‘पद नहीं, कर्तव्य चलेगा’।

हरिद्वार नगर निगम द्वारा कूड़े के ढेर के पास स्थित कमर्शियल उपयोग के अयोग्य कृषि भूमि को 54 करोड़ में खरीदा गया, जबकि उसकी बाजार कीमत करीब 15 करोड़ थी। न पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई, न ज़रूरत की पुष्टि, फिर भी यह सौदा किया गया — शासन के नियमों को ताक पर रखकर।

मुख्यमंत्री का प्रहार — कार्रवाई नहीं चेतावनी है ये जैसे ही जांच रिपोर्ट सामने आई, मुख्यमंत्री धामी ने बिना देरी के कार्रवाई की। जिन अधिकारियों पर गाज गिरी, वे हैं: इस तरह कर्मेन्द्र सिंह (डीएम, हरिद्वार) — भूमि क्रय की अनुमति देने और प्रशासनिक स्वीकृति में संदेहास्पद भूमिका।

वरुण चौधरी (पूर्व नगर आयुक्त) — नियमों को दरकिनार कर प्रस्ताव पारित किया, वित्तीय अनियमितता के केंद्र में।

अजयवीर सिंह (एसडीएम) — निरीक्षण व सत्यापन में लापरवाही, जिससे शासन को भ्रामक रिपोर्ट दी गई।

निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित)राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित)कमलदास –मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित)

अब सिर्फ जांच नहीं, व्यवस्था की शुद्धि का युग

इन अफसरों को तत्काल प्रभाव से पद से हटाकर विभागीय जांच प्रारंभ कर दी गई है, जिसकी जिम्मेदारी सतर्कता विभाग को सौंपी गई है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है: कि उत्तराखंड में अब कोई भी अधिकारी यह न समझे कि पद उसे कानून से ऊपर बना देता है। जनहित की अनदेखी और भ्रष्टाचार पर अब केवल कार्रवाई नहीं, सार्वजनिक जवाबदेही भी होगी।”

यह निर्णय सिर्फ एक घोटाले की सज़ा नहीं, बल्कि उत्तराखंड की प्रशासनिक संस्कृति में बदलाव की शुरुआत है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब शासन में मिलीभगत, लापरवाही और चुप्पी नहीं चलेगी। अफसरों को ये जान लेना चाहिए कि अब फाइलें नहीं, नीयत देखी जाएगी।अमर संदेश ने धामी सरकार के फैसले के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि थमी सरकार का यह बहुत ही सती और जवाब देने वाला निर्णय है इस तरह की कार्रवाई समय-समय पर अधिकारी पर होती रहे तो जनता की हित में जो कार्य हैं वह जनता के लिए समय पर हो सकते हैं।

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