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ऊर्जा सुलभता, पहुँच और अवसंरचना में भारत की ऐतिहासिक प्रगति :—हरदीप सिंह पुरी 

मानेसर, हरियाणा में परामर्शदात्री समिति की बैठक सम्पन्न

Amar sandesh/दिल्ली/मानेसर (हरियाणा)। — केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज मानेसर, हरियाणा में मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारत की ऊर्जा सुलभता, पहुँच और अवसंरचना विकास में हुई ऐतिहासिक प्रगति को रेखांकित किया। उन्होंने सरकार द्वारा ईंधन मूल्य स्थिरीकरण, एलपीजी कवरेज विस्तार, और रिफाइनिंग एवं वितरण क्षमता में वृद्धि हेतु उठाए गए सक्रिय कदमों को उजागर किया।

बैठक में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री  सुरेश गोपी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर 27 सांसदों ने भाग लिया और ईंधन की सुलभता, क्षेत्रीय अवसंरचना विषमता, एलपीजी पहुँच, और ऊर्जा लचीलापन जैसे मुद्दों पर विचार साझा किए।

इस मौके पर केंद्रीय पेट्रोलियम प्रकृति गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद ऊर्जा की उपलब्धता और वहनीयता सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि जब विश्वभर में ईंधन के दाम आसमान छू रहे थे, तब भारत में कीमतों में कमी आई। केंद्र सरकार ने दो बार—4 नवम्बर 2021 और 22 मई 2022 को उत्पाद शुल्क में कटौती की, जिससे पेट्रोल ₹13/लीटर और डीजल ₹16/लीटर सस्ता हुआ। अप्रैल 2025 में हुई हालिया मूल्यवृद्धि का भार तेल विपणन कंपनियों ने स्वयं वहन किया, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ा

एलपीजी सुधारों पर चर्चा करते हुए मंत्री ने ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ (PMUY) के व्यापक प्रभाव को रेखांकित किया। 2014 में 55% की तुलना में अब लगभग सार्वभौमिक एलपीजी कवरेज प्राप्त हो चुकी है। प्रतिदिन 56 लाख से अधिक सिलेंडर वितरित किए जा रहे हैं और देशभर में 25,000 से अधिक वितरक कार्यरत हैं, जिनमें 86% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

श्री पुरी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी कीमतों में 58% वृद्धि के बावजूद, उज्ज्वला लाभार्थियों को केवल ₹553 में 14.2 किलोग्राम का सिलेंडर मिल रहा है। जबकि सिलेंडर की वास्तविक लागत लगभग ₹1,058 है। आम उपभोक्ताओं के लिए सिलेंडर ₹853 में उपलब्ध है। इस प्रकार उज्ज्वला परिवारों के लिए दैनिक रसोई लागत ₹6.8 और सामान्य उपभोक्ताओं के लिए ₹14.7 हो गई है। वर्ष 2024-25 में तेल कंपनियों ने ₹40,000 करोड़ का नुकसान उठाया है ताकि उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।

विपणन अवसंरचना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। भारत में अब 24,000 किमी से अधिक उत्पाद पाइपलाइन, 314 तेल टर्मिनल/डिपो, और लगभग 96,000 रिटेल आउटलेट कार्यरत हैं। इसके अलावा रणनीतिक भंडारण और एलपीजी कैवर्न के माध्यम से ऊर्जा लचीलापन मजबूत हुआ है।

बैठक में सांसदों ने सरकार के उपभोक्ता-केंद्रित, राजकोषीय अनुशासन और वैश्विक कूटनीतिक संतुलन के दृष्टिकोण की सराहना की। उनके सक्रिय सुझावों और भागीदारी ने ऊर्जा नीतियों को और समावेशी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।।

सरकार ने सभी सुझावों का स्वागत करते हुए भविष्य की योजनाओं में उन्हें शामिल करने की प्रतिबद्धता दोहराई। सांसदों ने मंत्रालय की उपलब्धियों की सराहना की तथा जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन सुधार और व्यापक पहुँच के लिए समर्थन व्यक्त किया।

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