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बजट ने मध्यमवर्ग को किया निराश, इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं

नई दिल्ली, । केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में मोदी सरकार का पांचवां और अंतिम पूर्ण बजट पेश किया। आम बजट से खास तौर पर मध्यम वर्ग ने काफी उम्मीदें लगा रखी थीं कि इनकम टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव करते हुए नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत दी जाएगी, लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं करके मध्यम वर्ग को निराश किया है। हालांकि सीनियर सिटीजन के लिए डिपोजिट पर छूट 10 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, लेकिन मध्यप्रदेश में इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

बता दें कि मध्यप्रदेश की करीब 70 फीसदी जनता मध्यम वर्ग से आती है। इस वर्ग के लोगों ने आम बजट से उम्मीद लगा रखी थी कि इस बार इनकम टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, लेकिन आम बजट में इनकम टैक्स स्लैब को यथावत रखा गया है। वहीं, कस्टम ड्यूटी में इजाफा कर दिया, जिससे मोबाइल, टीवी, फ्रीज जैसे मध्यम वर्गीय घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं महंगी हो जाएगी। इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य पर सेस बढ़ाकर तीन से चार फीसदी कर दिया है। इसका भी मध्यम वर्ग पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। पहले से ही देश के साथ मध्यप्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं काफी महंगी हैं और बजट के बाद ये काफी महंगी हो जाएंगी और इसका सीधा असर मध्यम वर्ग पर ही पड़ेगा। एक तरफ तो सरकार ने हर बच्चे को स्कूल तक पहुंचाने और आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है, वहीं दूसरी तरफ इन दोनों पर ही सेस में इजाफा कर दिया है। ऐसे में मध्यम वर्ग की कमर ही टूट जाएगी।

अरुण जेटली ने मोदी सरकार के आखिरी पूर्ण आम बजट में 70 लाख नौकरियां पैदा करने की बात कही है। उन्होंने देश में शिक्षा सुधार को लेकर भी कई बड़े दावे किए हैं। वित्त मंत्री ने कहा है कि शिक्षा में सुधार के लिए अगले चार साल में एक लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने आदिवासियों के लिए बड़ा एलान करते हुए एकलव्य विद्यालय बनाने की बात कही है।

इनका क्या कहना है

एसबीआई के ब्रांच मैनेजर अंकित जैन का बजट को लेकर कहना है कि सरकार से उम्मीद थी कि बजट में मीडिल क्लास का ध्यान रखा जाएगा। खासकर इनकम टैक्स स्लैब को बढ़ाया जाएगा, ताकि नौकरीपेशा लोगों को राहत मिल सके, लेकिन बजट में आयकर सीमा को यथावत रखा गया है। हमारे जैसे नौकरी करने वाले लोगों के वेतन का ज्यादातर पैसा आयकर चुकाने में चला जाता है, जिससे परिवार के महत्वपूर्ण कार्य हो सकते हैं। अगर आयकर स्लैब बढ़ता, तो लोगों को राहत मिलती, लेकिन सरकार ने इस बार भी निराश कर दिया है।

वहीं, चिकित्सक डॉ. राजेन्द्र दीक्षित ने भी बजट को मध्यमवर्ग को निराश करने वाला बताया। उनका कहना है कि सरकार ने बजट में कई चीजों पर टैक्स बढ़ाया है, जिससे महंगाई बढ़ेगी, जबकि आगामी चुनावों से पहले यह सरकार का अंतिम पूर्ण बजट था, इसलिए लोगों ने काफी उम्मीदें लगा रखी थीं, लेकिन उन्हें बजट में कुछ भी नहीं मिला। स्वास्थ्य और शिक्षा पर सेस में इजाफा कर दिया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा, दोनों ही महंगी हो जाएंगी और इसका सबसे ज्यादा असर मध्यमवर्ग पर ही पड़ेगा।

पैसे से शिक्षक आरवी वर्मा का कहना है कि बजट को लेकर मीडिल क्लास को काफी उम्मीदें होती हैं। कौन-सी चीजें सस्ती होंगी, आयकर सीमा में कितना इजाफा होगा, मध्यमवर्गीय परिवारों की नजर इसी पर रही है, लेकिन इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए बजट सबसे ज्यादा निराशा मिडिल क्लास को ही मिली है। इनकम टैक्स सीमा में कोई बदलाव तो किया ही नहीं है, वहीं कई वस्तुओं की कस्टम ड्यूटी में इजाफा कर दिया है। आम आदमी के लिए आज सबसे जरूरी चीज मोबाइल है, लेकिन इस पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से मोबाइल महंगे हो जाएंगे। यह केंद्र सरकार का आम लोगों को महंगाई का तौहफा होगा।

वहीं, गृहिणी आभा अग्रवाल का कहना है कि इस समय महंगाई चरम पर है और रसोई का बजट काफी बढ़ गया है। ऐसे में बजट में सरकार से उम्मीद थी कि दैनिक जरूरतों की चीजों पर टैक्स में कमी होगी, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। यह बजट आम लोगों को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया है। इससे महंगाई और बढ़ेगी, जो मध्यम वर्गीय परिवारों की कमर तोड़ देगी।

इसी प्रकार गृहिणी गीता चंदेल का कहना है कि मध्यमवर्गीय परिवारों में आमदनी इतनी नहीं बढ़ रही है, जितनी रफ्तार से महंगाई बढ़ रही है, ऊपर से केंद्र और राज्य सरकार के टैक्स भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में आम लोगों का जीवन मुश्किल होता जा रहा है। बजट से उम्मीद थी कि इनकम टैक्स स्लैब को बढ़ाया जाएगा, वहीं दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स में कमी होगी, लेकिन सरकार ने इन दोनों मोर्चों पर निराश किया है। महंगाई नियंत्रण को लेकर वित्त मंत्री ने बजट में कोई उपाय नहीं किया है। सरकार के वादे-दावे सब खोखले निकले।

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