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सी एम पपनैं
नई दिल्ली। रामलीला उत्तराखंड के जनमानस की आस्था का सबसे बड़ा सम्बल रहा है। जिसको मंचित करना, देखना, सुनना और जीवन में उतारना उत्तराखंडी लोगों की मानसिकता का आदर्श रहा है। इसी आदर्श स्वरूप दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत उत्तराखंड के प्रबुद्घ प्रवासियों द्वारा बड़े ही मनोयोग से गठित ‘श्री राम सेवक पर्वतीय कला मंच’ द्वारा आईटीओ स्थित प्यारे लाल ऑडिटोरियम में 1 और 2 नवंबर को दो दिवसीय उत्तराखंड की पारंपरिक संगीतमय तथा विभिन्न राग आधारित सशक्त कालजई रामलीला का चुनौती पूर्ण मंचन संजय जोशी, राकेश जोशी व चंद्रेश पंत के संगीत व नाट्य निर्देशन में मंचित की गई। 
मानस के पद व चौपाइयों पर आधारित गेय शैली में दस रात्रियों तक क्रमशः विभिन्न रागों के गायन पर आधारित उक्त रामलीला विश्व का सबसे बड़ा गीत नाट्य है जिसे दो दिन में मंचित करने का चुनौतीपूर्ण साहस ‘श्री राम सेवक पर्वतीय कला मंच’ से जुड़े पदाधिकारियों में प्रमुख संस्था अध्यक्ष राजेंद्र जोशी, कार्यकारी अध्यक्ष महेश जोशी, उपाध्यक्ष एल आर पंत, सचिव चंद्रेश पंत, कोषाध्यक्ष नीरज लोहनी तथा संस्था से जुड़े दर्जनों कलाकारों द्वारा किया गया।
1 नवंबर की सायं मंचित रामलीला में राम जन्म, विश्वामित्र दशरथ संवाद, ताड़का बध, सीता स्वयंवर, परशुराम-लक्ष्मण संवाद, कैकई-दशरथ संवाद, सीता हरण तक की रामलीला का मंचन तथा 2 नवंबर को राम-हनुमान मिलन, बाली-सुग्रीव युद्ध, मेघनाथ हनुमान युद्ध, लंका दहन, विभीषण-रावण संवाद, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति, कुंभकरण बध, लक्ष्मण-मेघनाथ युद्ध व मेघनाथ बध, राम-रावण युद्ध तथा राज्याभिषेक तक की रामलीला का मंचन उत्तराखंड की पारंपरिक शैली में भव्य व प्रभावशाली अंदाज में मंचित की गई।
मंचित रामलीला श्रीगणेश से पूर्व संस्था अध्यक्ष राजेन्द्र जोशी तथा मंच व्यवस्थापक राकेश जोशी द्वारा संस्था गठन के उद्देश्यों पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया। दीप प्रज्वलन तथा अनेकों मुख्य व विशिष्ट अतिथियों को राम नाम का दुपट्टा ओढ़ा कर तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत अभिनन्दन किया गया। श्री गणेश वंदना व ‘श्री रामचंद्र कृपालु भज मन….।’ से दो दिनों तक मंचित की जाने वाली रामलीला का मनोहारी शुभारंभ किया गया।
सभागार में बैठे श्रोताओं द्वारा मंचित दो दिनी उत्तराखंड की पारंपरिक कालजई रामलीला में पात्रों द्वारा गाए गए राग आधारित गायन व अभिनय को दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया, तालियों की गड़गड़ा कर पात्रों का उत्साह वर्धन किया गया।
मंचित रामलीला में बाल राम की भूमिका में रुद्र जोशी, बाल लक्ष्मण अवि लोहानी, राम महेश जोशी, लक्ष्मण नितिन जोशी, सीता शिवानी पंत, भरत सार्थक पंत, शत्रुघ्न अवि लोहानी, दशरथ एल आर पंत, कैकई मनीषा, कौशल्या ऊषा ओली, परशुराम राकेश जोशी, विश्वामित्र पूरन तिवारी, ताड़का विक्की तिवारी, रावण संदीप ढैला, जनक नीरज लोहानी, वशिष्ठ योगेश ओली, सुमंत गौरव नेगी, बन्दीजन पंकज उप्रेती व विवेक तिवारी, राजा जनक दरवारी गौरव जोशी, अभिनव भट्ट, उमेश पंत व भुवन जोशी, केवट उमेश पंत, गिरजा जोशी, नट करण पांडे, नटी उषा ओली, जोगी रावण पूरन तिवारी, सुर्पनख़ा मनीषा, शबरी प्रतिभा पंत, हनुमान गौरव नेगी, बाली अभिनव भट्ट, सुग्रीव दक्ष पंत, बाल अंगद अवि लोहिनी, मेघनाद विवेक तिवारी, अंगद पंकज उप्रेती, विभीषण नीरज लोहानी, सुषेण वैद्य आनंद मल्ल तथा कोरस गायन में नीतू पंत तथा प्रतिभा पंत के कर्णप्रिय गायन ने श्रोताओं को प्रभावित किया, निभाए गए अभिनय और गायन की यादगार छाप छोड़ी।
मंचित की गई दो दिनी रामलीला में गठित संस्था अध्यक्ष राजेंद्र जोशी द्वारा चन्द्र शेखर पंत तथा पूरन तिवारी के सानिध्य में सम्पूर्ण रामलीला मंचन का चुनौती भरा व प्रेरणा जनक कार्य किया गया। मंचित दो दिनी रामलीला गाथासार का स-विस्तार वर्णन कर सभागार में उपस्थित श्रोताओं का ध्यान आकर्षित कर मंत्रमुग्ध किया गया।
दस दिनी उत्तराखंडी भीमताली शैली की रामलीला की सशक्त गायन शैली व रागों की महत्ता को देखते हुए, जो प्रत्येक उत्तराखंडी में आत्मसात है इस पारंपरिक शैली की रामलीला को दो दिनों में मंचित करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
दस दिनी भीमताली शैली रामलीला को मात्र दो दिनों में मंचित करने की चुनौती को पहली बार सन 1985 में उत्तराखंड के प्रख्यात लोकगायक व संगीतकार मोहन उप्रेती द्वारा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से जुड़े सु-विख्यात नाट्य निर्देशक बी एम शाह के निर्देशन में उत्तराखंड व देश की सुविख्यात सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली’ के द्वारा देश-विदेश के बड़े राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मंचित कर ख्याति अर्जित की थी।
‘श्री राम सेवक पर्वतीय कला मंच’ द्वारा मंचित रामलीला में करीब चालीस कलाकारों द्वारा विभिन्न पात्रों की भूमिका का निर्वाह कर मात्र दो दिन में अंचल की इस सुविख्यात पारंपरिक रामलीला को मंचित करने का चुनौतीपूर्ण प्रयास किया गया जो सफल और सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है।
मंचित रामलीला में मानस की चौपाइयों व दोहों के गायन के साथ-साथ संवाद व संगीत की प्रधानता रही। श्रोताओं को रामलीला के पात्रों खास कर राम, लक्ष्मण, सीता, दशरथ, परशुराम, रावण, ताड़का, कैकई, शूर्पणखा, बाली, सुग्रीव, हनुमान व अंगद के लय बद्ध गायन व अभिनय ने भाव विभोर किया। उक्त पात्रों द्वारा श्रोताओं के मध्य यादगार छाप छोड़ी गई। पात्रों की वस्त्र सज्जा, आभूषण व श्रृंगार रामकथा के अनुकूल व प्रभावशाली थी। स्क्रीन पर दृश्य दृश्यांकन रामकथा के अनुकूल थे। मंचित रामलीला का निर्देशन संजय जोशी, राकेश जोशी व चंद्रेश पंत द्वारा बखूबी किया गया।
हारमोनियम पर संजय जोशी तथा तबला पर चंद्रेश पंत द्वारा की गई प्रभावशाली संगत तथा मंच पीछे पार्श्व गायक-गायिकाओ की गायन विधा ने श्रोताओं के मध्य राग आधारित गायन की यादगार छाप छोड़ी गई। मंच संचालन राजेंद्र जोशी द्वारा बखूबी किया गया।
प्रभावी अंदाज में मंचित की गई रामलीला समाप्ति पश्चात मंच व्यवस्थापक राकेश जोशी द्वारा अवगत कराया गया, गठित सांस्कृतिक संस्था का भविष्य में प्रयास रहेगा, एक ओर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पावन चरित्र को अधिक से अधिक प्रचारित व प्रसारित किया जा सके, साथ ही नगरों और महानगरों में प्रवासरत भावी पीढ़ी के मध्य अंचल की पारंपरिक लोक संस्कृति, लोक विधाओं तथा परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन किया जा सके। उन्हें अंचल की विभिन्न राग व संगीत प्रधान विश्व प्रसिद्ध पारंपरिक रामलीला से रूबरू कराया जा सके। राकेश जोशी द्वारा अवगत कराया गया, मंचित की गई रामलीला में अंचल की नई व पुरानी पीढ़ी के 5 वर्ष से 75 वर्ष तक आयु के कलाकारों द्वारा बड़े ही मनोयोग व निष्ठा पूर्वक विभिन्न पात्रों का किरदार निभाया गया जो आयोजन समिति के लिए अत्यधिक उत्साहवर्धक रहा है।
दस दिन की रामलीला को दो दिन में सम्पन्न करने का चुनौती पूर्ण कार्य ‘श्री राम सेवक पर्वतीय कला मंच’ द्वारा संस्था मार्गदर्शक चन्द्र शेखर पंत व पूरन तिवारी के सानिध्य में प्रभावी रूप में निभा कर अंचल की पारंपरिक रामलीला को एक नया आयाम देने का प्रभावशाली प्रयास किया गया जो अति प्रशंसनीय है।
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