दिल्लीराष्ट्रीय

लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष होना बेहद जरूरी है—नरेंद्र मोदी

.नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्हें ‘मजबूत विपक्ष’ की कमी खलती है। एक निजी न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में पीएम ने कहा मजबूत विपक्ष न होना उनके दिल का एक दर्द है। इंटरव्यू के दौरान पीएम से पूछा गया था कि उनके खिलाफ कोई मजबूत विपक्ष नहीं हैं और कांग्रेस नेता राहुल गांधी उनको चुनौती नहीं दे पाए हैं। पीएम मोदी राहुल गांधी को लेकर सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें मजबूत विपक्ष नहीं मिला है।पीएम मोदी ने कहा, ‘लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष होना बेहद जरूरी है, जो सरकार को तलवार की धार और पैर की उंगलियों पर रखे। ऐसा विपक्ष बहुत जरूरी है। इस देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है और उन्हें अवसर मिलना चाहिए। मैंने सोचा था कि 2014 से 2024 तक मुझे एक मजबूत विपक्ष मिलना चाहिए, अगर मेरे जीवन में एक चीज की कमी है, तो वह है एक अच्छे विपक्ष की।’प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें कांग्रेस से कोई सकारात्मक योगदान नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने 60 साल तक सरकार चलाई थी, इसलिए मैंने सोचा कि मैं उनसे सलाह लूंगा ताकि मुझे मदद मिल सके। जब तक प्रणब मुखर्जी थे, मुझे उनसे लाभ मिला क्योंकि वे अपने अनुभव शेयर करते थे। लेकिन मुझे विपक्ष से कोई लाभ नहीं मिला। मुझे केवल अपनी पार्टी के सहयोगियों और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने अनुभव से लाभ मिला।’

मोदी ने आगे कहा कि विपक्ष उनके किसी काम का नहीं रही। वे इतने नकारात्मक थे कि देश के हित में लिए गए फैसलों का भी वे राजनीतिक लाभ के लिए विरोध करते थे, जबकि वे कभी उनके घोषणापत्र में शामिल होते थे। यह एक बड़ी चिंता का विषय है। भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में एक मजबूत विपक्ष होना चाहिए, एक जागरूक विपक्ष होना चाहिए, एक सक्रिय विपक्ष होना चाहिए, पढ़ा-लिखा और जानकार होना चाहिए, इससे सभी को फायदा होता है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब हमारा विपक्ष अच्छा था। अब स्थिति अच्छीप्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि किस तरह से दो दशक से अधिक समय से उनके विरोधी उन्हें गाली दे रहे थे और कई मैगजीन के कवर पेजों पर उन्हें शैतान की तरह दिखाया जा रहा था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘खान मार्केट गैंग और मीडिया के कुछ लोग हमेशा मेरे पीछे पड़े रहते थे। मैंने कभी अपना धैर्य और संयम नहीं खोया। अब उन्हें मेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा कवर पर रखना होगा। मैं अपनी जिम्मेदारी निभाता हूं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर सार्वजनिक जीवन में बोलने की सीमा तय हो और शालीन शब्दों का इस्तेमाल हो तो यह अच्छा होगा। आलोचना तो की जा सकती है, लेकिन अच्छे तरीके से की जानी चाहिए। हम भी गलतियां कर सकते हैं, लेकिन मैं सबको उपदेश क्यों दूं। भारत में इस मोर्चे पर स्थिति अच्छी नहीं है।’ नहीं है, यह मेरे दिल में दर्द है।

Share This Post:-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *