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प्रदेश में लिखी गई विकास, समृद्धि और खुशहाली की इबारत : डॉ. रमन सिंह : मुख्यमंत्री ने कहा : अंत्योदय के लक्ष्य के अनुरूप योजनाओं पर हो रहा काम

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के लक्ष्य के अनुरूप भूख, अशिक्षा और बेरोजगारी को दूर करने के लिए अपनी योजनाओं पर काम कर रही है। डॉ. सिंह ने कहा-विगत 14 वर्षों में प्रदेश में विकास, समृद्धि और खुशहाली की इबारत लिखी गई और प्रदेशवासियों खासकर गांव, गरीब और किसानों के जीवन में बदलाव आया।
मुख्यमंत्री  विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा-लाखों गरीबों को एक रूपए किलो चावल देने की योजना को मैं अपनी जिन्दगी और अपनी सरकार का सबसे बड़ा फैसला मानता हूं। उसी तरह राज्य में अधिसूचित जातियों के नामों की मात्रात्मक गलतियों की वजह से उच्चारण विभेद था, जिसे हमने मान्य किया, इसके फलस्वरूप इन वर्गों के परिवारों के लगभग 45 लाख लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में आसानी होगी। उन्होंने कहा-इनमें अनुसूचित जनजातियों के 22 और अनुसूचित जातियों के पांच संवर्ग शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा-विधानसभा के 15वें सत्र के पहले दिन राज्यपाल महोदय ने सदन में अपने अभिभाषण के माध्यम से राज्य सरकार की रीति-नीति, योजनाओं,  उपलब्धियों और भावी दिशाओं पर प्रकाश डाला। इसके लिए मैं उनकी प्रति आभार व्यक्त करता हूं और उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि हम उनकी आशाओं और अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे। डॉ. सिंह ने कहा-राज्यपाल जी ने इस चतुर्थ विधानसभा के पांचवे वर्ष अर्थात इस कार्यकाल के अंतिम वर्ष के बारे में कहा है। इसलिए निश्चित तौर पर यह वर्ष हमारे कार्यकाल के अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे मिलाकर पूरे पांच साल तक हमने प्रदेशवासियों के हित में क्या-क्या किया, इसका आंकलन होगा।
मुख्यमंत्री ने अपने वक्तव्य में राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं और विशेष रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए शिक्षा, अधोसंरचना विकास आदि पर हो रहे कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने सरकार की इन योजनाओं से गरीबों के जीवन में आ रहे बदलाव पर भी प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने कहा-हमारी सरकार ने जनता के लिए बिजली, शुद्ध पेयजल, रसोई गैस कनेक्शन, खाद्यान्न पोषण आहार, पूरक पोषण आहार, अच्छे स्कूल आदि को बुनियादी जरूरत माना है।

उन्होंने जशपुर जिले के ग्राम कोड़ेकेला (विकासखण्ड-पत्थलगांव) निवासी खेतिहर मजदूर परिवार के युवक दीपक कुमार का उदाहरण दिया। उन्होंने इसे सफलता की एक सच्ची कहानी बताया। डॉ. सिंह ने कहा दीपक की उम्र छत्तीसगढ़ राज्य की उम्र से दो साल ज्यादा होगी यानी 17 साल का छत्तीसगढ़, 14 साल की हमारी सरकार और 19 साल की उम्र का दीपक। दीपक ने होस संभाला तो उसे हमारी सरकार का साथ मिला और उसके कदम आगे बढ़ते गए। उसके माता-पिता खेतिहर मजदूर हैं। उसके तीन भाई-बहन है। घर की हालत बेहद साधारण है, लेकिन हमारी सरकार की योजनाओं के कारण उसका परिवार संभला। दीपक जैसे अनेक परिवारों के घरों में हमारी सरकार ने बिजली दी, उज्ज्वल रसोई गैस का कनेक्शन, बीपीएल कार्ड से खाद्यान्न सुरक्षा का भरोसा दिया, स्वच्छ शौचालय दिया। इससे दीपक ही नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार का आत्मविश्वास बढ़ा। दीपक ने हमारी योजनाओं का लाभ लेते हुए प्रतियोगी परीक्षा पास की और अब वह आईआईटी दिल्ली में पढ़ रहा है। डॉ. सिंह ने जशपुर जिले के ही ग्राम जुरगुम (विकासखण्ड-बगीचा) निवासी नितेश गुंजन पैकरा की सफलता के बारे में भी बताया और कहा कि अभावों को झेलकर भी लगन, मेहनत और हमारी योजनाओं का लाभ लेकर नितेश ने प्रतियोगी परीक्षा पास की और आज वह आईआईटी दिल्ली में पढ़ाई कर रहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य लोक सेवा आयोग और संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में उत्तीर्ण छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों के अनेक युवाओं का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा-ये हमारी योजनाओं के सफलता के जीवंत उदाहरण है।

इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने प्रयास आवासीय विद्यालयों की शानदार कामयाबी का उदाहरण दिया और कहा कि राज्य सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल क्षेत्रों के बच्चों के लिए संचालित इन विद्यालयों में आज अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के 1744 बच्चों ने दाखिला लिया। इनमें से 23 विद्यार्थी आईआईटी, 171 विद्यार्थी एनआईटी, 528 विद्यार्थी इंजीनियरिंग और 27 विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में पहुंचे।

डॉ. सिंह ने किसानों पर खेती की बढ़ती लागत को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा-प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की सरकार ने हाल ही में संसद में पेश किए गए अपने बजट में किसानों को उनकी उत्पादन लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का निर्णय लिया है, जो स्वागत योग्य है और किसानों की जिन्दगी बदलने के यह निश्चय ही एक क्रांतिकारी सोच है। मुख्यमंत्री ने कहा-छत्तीसगढ़ सरकार ने भी विगत 14 वर्ष में सुनियोजित ढंग से कई ऐसे उपाय किए, जिनकी वजह से किसानों पर खेती की लागत का भार कम हुआ है। हम उन्हें निःशुल्क बिजली देने पर 2100 करोड़ रूपए खर्च कर रहे हैं। ब्याज मुक्त कृषि ऋणों पर 160 करोड़ रूपए, खाद और बीज पर 90 करोड़ रूपए इस प्रकार कुल 2350 करोड़ रूपए की सब्सिडी उन्हें दे रहे हैं। इसके फलस्वरूप उन पर पड़ने वाली लागत केवल 5700 करोड़ रूपए हो जाती है। उन्हें धान खरीदी का लगभग 12 हजार करोड़ रूपए दिया जाता है। इस प्रकार कुल 6300 करोड़ रूपए बच जाते हैं। यह बचत उन्हें पड़ने वाली लागत से दोगुने से भी अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा-हमने किसानों को संकट के समय भरपूर सहारा दिया। वर्ष 2015 में पड़े सूखे के समय किसानों को विभिन्न उपायों से लगभग दो हजार करोड़ रूपए की लागत दी। इस बार उन्हें धान पर 2100 करोड़ रूपए का बोनस दिया।  मुख्यमंत्री ने कहा-इस वर्ष भी सूखा प्रभावित किसानों को सरकार आगे बढ़कर मदद कर रही है। असिंचित भूमि के लिए 6800 रूपए प्रति हेक्टेयर और सिंचित भूमि के लिए 13500 रूपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे का प्रावधान राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में है, लेकिन केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुसार यह अनुदान केवल लघु और सीमांत किसानों को देने का प्रावधान है। हमारी सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखकर यह अनुदान दस हेक्टेयर तक के खातेदारों को देने का निर्णय लिया गया है। अब तक इस मद में जिलों को 546 करोड़ 88 लाख रूपए जारी किए जा चुके हैं।
सरगुजा-बस्तर में 14 साल में हुए कई महत्वपूर्ण कार्य
डॉ. सिंह ने आदिवासी बहुल सरगुजा और बस्तर संभागों में विगत 14 वर्षों में हुए महत्वपूर्ण विकास कार्यो की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरगुजा को हमने संभाग बनाया, उसे विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज दिया। सरगुजा और पूरे उत्तर क्षेत्र के लिए विकास प्राधिकरण हमने दिया। सरगुजा संभाग में नये जिले बनाए और अम्बिकापुर में रिंग रोड का निर्माण शुरू करवाया।
छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा कॉलसेंटर दंतेवाड़ा में
इसी तरह बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जैसे जिलों में हुए विकास के अनेक महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख भी मुख्यमंत्री ने किया। उन्होंने बताया कि जिस दंतेवाड़ा को कभी नक्सलवाद का गढ़ माना जाता था, आज वह शासन-प्रशासन की पहल से विकास के नये रास्ते तय कर रहा है, जो दंतेवाड़ा कभी प्राथमिक स्कूल के तरसता था, आज वहां छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा कॉल सेंटर बन चुका है। डीएमएफ की राशि से यह कॉल सेंटर स्थापित किया गया है, जहां बस्तर के दूर-दराज और दुर्गम गांवों के 450 युवा काम कर रहे हैं, जिनकी संख्या अगले कुछ महीनों में एक हजार हो जाएगी। डॉ. सिंह ने दंतेवाड़ा के जावंगा में संचालित एजुकेशन सिटी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा-प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ’मन की बात’ कार्यक्रम में दंतेवाड़ा जिले की महिलाओं द्वारा संचालित ई-रिक्शा चलाने की चर्चा की थी। पिछले वर्ष 21 अक्टूबर को वहां नवरात्रि के अवसर पर मेरी मुलाकात बहन सविता साहू से हुई, जिनका जीवन चुनौतियों से भरा था, लेकिन उन्होंने ई-रिक्शा को अपने रोजगार का जरिया बनाकर रास्ता बना लिया। अब दंतेवाड़ा जिले में उनके जैसी 144 बहनें ई-रिक्शा चला रही हैं। स्व-सहायता समूहों की मदद से उनके लिए ई-रिक्शा की चार्जिंग और रख-रखाव का इंतजाम किया गया है। जल्द ही वहां इस प्रकार की ई-रिक्शा चलाने वाली महिलाओं की संख्या 250 हो जाएगी। ये कुछ उदाहरण है कि हमने किस प्रकार आदिवासी अंचलों में रोजगार के उपाय किए हैं।

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