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वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली की 128वी जयन्ती पर उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान का पांचवा स्थापना दिवस समारोह सम्पन्न

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। पेशावर कांड 23 अप्रैल 1930 के नायक सु-विख्यात स्वतंत्रता सेनानी वीर चंद्रसिंह गढ़वाली की 128वी जयंती पर उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान द्वारा संस्थान का पांचवा स्थापना दिवस समारोह 22 दिसंबर की सांय गढ़वाल भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड के लोकगीत-संगीत व लघु नाटक ‘तुडम तुडा’ के मंचन के साथ-साथ उत्तराखंड की बोली-भाषा फिल्म निर्माण तथा लोकगीत-संगीत के क्षेत्र मे सिद्धहस्त उर्मी नेगी को फिल्म निर्माण के क्षेत्र मे तथा लोकगीत-संगीत के क्षेत्र मे क्रमशः सतेंद्र फरंडियाल व हरीश मधुर को वीर चंद्रसिंह गढ़वाली सम्मान 2019 से नवाजा गया।
विशिष्ठ अतिथियो द्वारा दीप प्रज्वलन की रश्म अदायगी तथा संस्थान के कलाकारों द्वारा गिरधारी रावत रचित व महेंद्र रावत संगीतबद्ध वंदना-
…उत्तराखंड की धरती तुमरी जै जै, उत्तराखंड दयप्ता तुमरी जै जै…।
की प्रस्तुति के साथ आयोजित जयंती व सम्मान समारोह का श्री गणेश हुआ।
संस्थान सचिव किरन लखेड़ा तथा अध्यक्षा संयोगिता ध्यानी द्वारा सभागार में उपस्थित प्रबुद्ध जनो का अभिवादन व स्वागत कर संस्थान के उद्देश्यों तथा विगत चार वर्षों मे संस्थान द्वारा किए गए कार्यो व आयोजनों मे मिली सफलता के बावत अवगत कराया गया। संस्थान से जुड़े सभी सदस्यों व सहयोगियों को संस्थान को मजबूती देने हेतु धन्यवाद दिया गया। वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली सम्मान 2019 से स्मानित होने वाली तीनों विभूतियों के द्वारा किए गए कार्यो के बारे अवगत कराया। संस्थान संरक्षक कुलदीप भंडारी को उत्तराखण्ड कांग्रेस पर्वतीय सैल का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर हर्ष व्यक्त किया गया। अवगत कराया गया, संस्थान द्वारा प्रति वर्ष वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की जयंती के साथ-साथ कुली बेगार आंदोलन के जननायक बद्रीदत्त पांडे, वीरबाला तीलू रौतेली तथा प्रख्यात राष्ट्रीय कवि सुमित्रानंद पन्त की जयंती कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। उक्त आयोजनों पर कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठी, फिल्म, नाटक तथा गीत-संगीत से जुड़े  कार्यक्रमो के आयोजनों के साथ-साथ उत्तराखंड की सिद्धहस्त विभूतियो को सम्मानित भी किया जाता है।
उत्तराखंड फिल्म व नाट्य संस्थान के पांचवे स्थापना दिवस पर मुख्य व विशिष्ठ अतिथियो अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोडा, ले.जनरल अरविंद सिंह रावत, कर्नल रवींद्र सिंह रावत, चंद्रमोहन जगली, उर्मी नेगी, हरिपाल रावत, एसीपी आनंद प्रकाश देवरानी, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री उत्तराखंड सरकार सच्चीदानंद शर्मा, उफनी संरक्षक कुलदीप भंडारी द्वारा 23 अप्रैल 1930 को पेशावर मे भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले निहत्थे पठानों पर  गोली चलाने के अंग्रेजो के आदेश की अवहेलना करने वाले नायक तथा देश की आजादी के स्वतंत्रता सेनानी वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली को उनके 128वे जन्म दिवस पर नमन कर देश की आजादी के लिए उनके द्वारा दिए योगदान व उनके कठिन जीवन संघर्ष का उल्लेख कर उन्हे ज्योति स्तम्भ की संज्ञा दी गई। उनके अदम्य साहस व सूझबूझ के द्वारा किए गए कार्यो को गौरवशाली बताया।
वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, जिन अग्रेजों के आगे कोई आवाज नही उठा सकता था, इस वीर सैनिक ने बहादुरी का परिचय दिया। अंग्रेजो के आदेश का निडर होकर उल्लघन पर कारावास झेली। देश को मिली आजादी के बाद साधारण जीवन जिया। लोगो के बीच अपने निःस्वार्थ आदर्श विचारो के बल समाज के लोगो के बीच मान-सम्मान अर्जित किया। आजीवन उत्तराखंड तथा देश के विकास के लिए चिंतित रहे। वक्ताओ ने कहा, उनका व्यक्तित्व बहुत ऊँचा था। उनमें त्याग की क्षमता थी। गांधी जी को चन्द्रसिंह गढ़वाली जैसे वीर सपूतो से अहिंसक आंदोलन चलाने मे बल मिला।
वक्ताओ ने कहा, वीर चंद्रसिंह गढ़वाली नेता नही एक विचार की धारा थे, जो हमारी धरोहर है। ऐसी प्रेरणादायी विभूति की याद मे उनकी जयंती समारोह का आयोजन करना न सिर्फ उत्तराखंडियों को बल्कि देश के समस्त जनमानस को सकून देता है व प्रेरणा प्रदान करता है।
वक्ताओ ने व्यक्त किया, आजादी के इस विख्यात वीर सपूत की जयंती के अवसर पर उत्तराखंड के गीत-संगीत व नाटक का मंचन करना, प्रतिवर्ष उत्तराखंड की सिद्धस्थ विभूतियो को उनके नाम सम्मान से नवाजना, वीर सपूत को सच्ची श्रद्धाजंलि अर्पित करना है।
वक्ताओ द्वारा सभी सम्मान ग्रहण किए लोगो को बधाई व सभागार मे उपस्थित श्रोताओं को नववर्ष की शुभकामनाऐ भी दी गई।
संस्थान के गायक कलाकारों कुसुम बिष्ट, मनीषा भट्ट, मनोरमा शर्मा, वंदना भट्ट शर्मा, चंद्रकांता सुन्दरियाल शर्मा, आस्था नोटियाल, अंकित भंडारी, सुनील गुड़ियाल, राहुल जुयाल, उषा भट्ट पांडे, सुनीता बेलवाल, अंजू भंडारी तथा दीपा गुड़ियाल द्वारा महेंद्र सिंह रावत के संगीत निर्देशन तथा वाद्ययंत्र वादकों कीबोर्ड मोती साह, ढोलक/तबला गोरव पन्त, ऑक्टोपैड खेमचंद व बासुरी सतेंद्र नेगी के संगीत की स्वर लहरियों ने समारोह को यादगार बनाया। प्रस्तुत उत्तराखंडी लोकगीत-संगीत ने श्रोताओं का मन मोहा।
इस अवसर पर गिरधारी सिंह रावत निर्देशित उत्तराखंड की ज्वलंत समस्या पलायन आधारित लघु नाटिका ‘तुडम तुडा’ का प्रभावशाली मंचन भी किया गया। सशक्त पृष्ठभूमि मे आलेखित व मंचित नाटक के पात्र हरेंद्र सिंह रावत, अंकित भंडारी, कैलाश रावत, कुलदीप असवाल, महेंद्र सिंह रावत तथा गिरधारी रावत ने अपने व्यक्त संवादों, हाव-भाव व अनोखे अंदाज से श्रोताओं के मध्य सटीक छाप छोड़ी।
इस अवसर पर सम्मान प्राप्त लोकगायक सतेंद्र फरंडियाल व हरीश मधुर के द्वारा गाए  लोकगीतों ने भी समा बाध  श्रोताओं का मनमोहा।
आयोजित प्रतिष्ठित कार्यक्रम के प्रबुद्ध श्रोताओं मे उत्तराखंड फिल्म जगत की जानीमानी हस्तियों मे प्रबोध डोभाल, सुशीला रावत, रमेश ठंगरियाल राजेश मालगुडी, देबू रावत तथा उनकी फिल्म निर्माण की पूरी टीम के साथ-साथ साहित्यकार रमेश घिंडियाल, दिनेश ध्यानी, डॉ हेमा उनियाल, विनीता, विजय लक्ष्मी शर्मा, रंगकर्मी हेम पंत, हरि सेमवाल, महेंद्र लटवाल, लक्ष्मी जुयाल, मीना कंडवाल, शशि बडोला, गोबिंद भारद्वाज, सुमित्रा किशोर, बी लाल शास्त्री, सुनीता खर्कवाल इत्यादि  मुख्य तौर दर्शकदीर्घा मे मौजूद थे।
संस्थान संगठन सचिव अरुण डोभाल द्वारा सभी अतिथियो, श्रोताओं, गायकों व सम्मानित हुई विभूतियों का समारोह को सफल बनाने हेतु आभार प्रकट करने के साथ ही जयंती व सम्मान समारोह के समापन की घोषणा की गई।
आयोजित कार्यक्रम का मंच संचालन सु-विख्यात रंगकर्मी व फिल्म कलाकार ब्रजमोहन वेदवाल ने प्रभावशाली अंदाज में किया।
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