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यमुना नदी को ‘निर्मल’ और ‘अविरल’ बनाना नमामि गंगे कार्यक्रम की प्राथमिकताओं में से एक—–जी अशोक कुमार

नई दिल्ली:। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने आज दिल्ली में कोरोनेशन पिलर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा कर वहां चल रहे निर्माण कार्य का जायजा लिया।

आपको बात दें कि कोरोनेशन पिलर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट देश के सबसे बड़े एसटीपी में से एक है। इस एसटीपी के कार्य पूर्ण होने के अंतिम चरण में है। यह एसटीपी 318 एमएलडी की क्षमता के साथ अपशिष्ट जल का उपचार करेगा जिसकी अनुमानित लागत 515 करोड़ रुपए हैं। जिसमें से 414 करोड़ रुपए इसकी कैपीटल कॉस्ट है।

इस कैपीटल कॉस्ट का 50 फीसदी हिस्सा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा वहन किया जा रहा है। इस कोरोनेशन पिलर पर कार्य दिसंबर 2018 में स्वीकृत किया गया था, जो इस साल फरवरी में पूरा होने वाला है।

देश भर में गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार की दिशा में सरकार के कार्यों पर बात करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने कहा कि यमुना नदी में प्रदूषण एनजीटी और केंद्र दोनों के लिए ही चिंता का विषय रहा है।

उन्होने बताया कि 318 एमएलडी क्षमता वाले कोरोनेशन एसटीपी पर काम पूरा होने वाला है जोकि फरवरी के अंत तक पूरा हो जाएगा। इस परियोजना के पूरा होने से 318 एमएलडी अपशिष्ट जल यमुना नदी में जाना बंद हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि एनएमसीजी दिल्ली जल बोर्ड के साथ राष्ट्रीय राजधानी में भी 10 अन्य एसटीपी परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जोकि कोविड -19 प्रतिबंधों के दौरान भी पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ चला।

इन परियोजनाओं की निगरानी एनजीटी द्वारा की जा रही है। उन्होने बताया कि इसी तरह एशिया के सबसे बड़े एसटीपी ओखला एसटीपी का कार्य भी गुणवत्ता के साथ तेजी से किया जा रहा है। इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से यमुना नदी की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करने में बहुत ज़्यादामदद मिलेगी।

समीक्षा कार्यक्रम के दौरान दिल्ली में यमुना की स्थिति पर बात करते हुए बताया गया कि दिल्ली में 3273 एमएलडी का अनुमानित सीवेज निकलता है। इसमें से 2624 एमएलडी की स्थापित क्षमता के मुकाबले केवल 2340 एमएलडी सीवेज को ही ट्रीट किया जा रहा है। जिससे साफ है कि 933 एमएलडी अनट्रीट सीवेज अभी भी यमुना में जा रहा है। इन जरूरत को देखते हुए नमामि गंगे मिशन की तरफ से दिल्ली में 2354 करोड़ रुपये की लागत से 1385 एमएलडी क्षमता वाली कुल 12 परियोजनाओं पर पूरी क्षमता के साथ कार्य किया जा रहा है। ये सभी परियोजनाएं अपने पूर्ण होने के विभिन्न चरणों में हैं।

बताया गया कि नए संयंत्रों के निर्माण और पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की तकनीकी दक्षता के विस्तार के साथ-साथ सीवर बिछाने और पुनर्वास का कार्य तेज गति से किया जा रहा है।

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