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विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षकों और छात्रों का समाज के लिए विशेष योगदान होना चाहिए——योगेश कुमार सिंह

दिल्ली विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने शिक्षा और महिला कल्याण के क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं और उल्लेखनीय योगदान देने वाली छह विदुषी महिला शिक्षाविदों को 2023 के अंतर्राष्ट्रीय माता सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय शिक्षा सम्मान-2023 से सम्मानित किया ।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने आज शिक्षा और महिला कल्याण के क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं और उल्लेखनीय योगदान देने वाली छह विदुषी महिला शिक्षाविदों को सम्मानित किया गया । सम्मानित होने वाली महिलाओं में प्रो. कृष्णा शर्मा, प्रिंसिपल पीजीडीएवी कॉलेज , प्रो. अनुला मौर्या, प्रिंसिपल कालिंदी कालेज, प्रो. सुषमा यादव, सम कुलपति सैंट्रल यूनिवर्सिटी हरियाणा , प्रो. अनु मेहरा लॉ फैकल्टी, प्रो. गीता सहारे, राजनीति विज्ञान विभाग, लक्ष्मीबाई कॉलेज , प्रो. रजत रानी मीनू, हिंदी विभाग, कमला नेहरू कालेज को 2023 को अंतर्राष्ट्रीय माता सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय शिक्षा सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय माता सावित्रीबाई फुले शोध संस्थान, नई दिल्ली ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में किया गया। संस्थान के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन के अनुसार सम्मान स्वरूप सभी को
11 हजार रुपए , शॉल , स्मृति चिन्ह , प्रशस्ति पत्र , अंग वस्त्र आदि भेंट किये गए ।

समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया । अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज प्रोफेसर बलराम पाणि ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डीयू के रजिस्ट्रार डॉ.विकास गुप्ता , भौतिकी विभाग के सीनियर प्रोफेसर पी .डी. सहारे , प्रोफेसर अवनिजेश अवस्थी , प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन , प्रोफेसर अनिल राय आदि कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम में डॉ. धनीराम , डॉ.प्रीतम शर्मा , डॉ. मनोज कुमार केन , डॉ.स्नेह सागर , डॉ. शुभम आदि भी उपस्थित थे । समारोह का संचालन संस्थान के उपाध्यक्ष शिक्षाविद् दयानंद वत्स ने किया।

मुख्य अतिथि प्रो.योगेश सिंह ने अपने.संबोधन में कहा कि माता सावित्रीबाई फुले का सम्पूर्ण जीवन शिक्षाऔर समाज को समर्पित था उन्होंने विषम परिस्थितियों में समाज में व्याप्त कुरीतियों के विपरीत जाकर स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाया , संसाधनों के अभाव में भी वह स्त्री शशक्तिकरण के लिए दृढ़ता से लड़ती रही । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षकों और छात्रों का समाज के लिए विशेष योगदान होना चाहिए जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गरीब , पिछड़े और वंचित लोगों के लिए तत्पर कार्य करने होंगे , इसी भाव में समाज का विकास निहित है । प्रोफेसर सिंह ने वर्तमान सरकार की विकास नीति के तहत पिछड़े वर्गों के लिए (लगभग 80 करोड़ ) भोजन की व्यवस्था की । आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का सरकार द्वारा यह योगदान सराहनीय है मगर विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोगों को सामाजिक साक्षरता बढ़ाने में योगदान देना चाहिए । अंत में उन्होंने विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने व आजादी का अमृत महोत्सव की शुभकामनाएं दी ।

संस्थान के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने अपने संबोधन में माता सावित्रीबाई फुले के सामाजिक महत्व को बताते हुए मुख्य रूप से स्त्री शिक्षा , स्त्री सशक्तिकरण , रोजगार में स्त्री की भूमिका और समाज में स्त्रियों की स्थिति पर अपने विचार रखे । उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में शैक्षिक पाठ्यक्रम में माता सावित्रीबाई फुले को पढ़ाना चाहिए जिससे छात्र उनसे प्रेरित हो , इसके साथ ही समाज में स्त्रियों के प्रति नवीन दृष्टिकोण पैदा हो । उन्होंने उनके नाम पर कॉलेज व विश्वविद्यालय में पीठ खोलने का भी प्रस्ताव रखा ।

कार्यक्रम में सम्मानित हुई प्रोफेसर कृष्णा शर्मा ने भी अपने विचार रखे और कहा कि सावित्रीबाई फुले को पाठ्यक्रम में शामिल कर आज की युवा पीढ़ी को उनके विषय में बताया जाना चाहिए , साथ ही उन पर डीयू व अन्य विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हो और उनके साहित्य का अनुवाद कर भारतीय भाषाओं में लोग पढ सके । प्रोफेसर गीता सहारे ने भी बालिकाओं की शिक्षा पर जोर दिया और कहा कि हमें सावित्रीबाई फुले की शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर गाँव- गाँव में विद्यालय खोलने के लिए सरकार व संस्थाओं को प्रेरित करना चाहिए । मंच संचालन श्री दयानंद वत्स ने किया , धन्यवाद डॉ.के.पी.सिंह ने किया ।

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