पूरन चंद नैनवाल: उत्तराखंड प्रवासी समाज के सशक्त प्रतिनिधि
अमर चंद्र नई दिल्ली/अल्मोड़ा: उत्तराखंड की राजनीति में प्रवासी समाज के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने वाले पूरन चंद नैनवाल को एक बार फिर उत्तराखंड सरकार में दर्जाधारी मंत्री का दायित्व सौंपा गया है। मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के निवासी नैनवाल वर्षों से समाज सेवा में सक्रिय हैं और प्रवासी उत्तराखंडियों की समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उत्तराखंड प्रवासी समाज के हितैषी
दिल्ली में बसे उत्तराखंड प्रवासियों की समस्याओं को उठाने और उनके समाधान के लिए पूरन चंद नैनवाल लगातार प्रयासरत रहे हैं। बतौर उत्तराखंड प्रवासी राज्य मंत्री, उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों को राज्य सरकार से जोड़ने और उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए कई योजनाएं चलाईं। उनकी सक्रिय भागीदारी के चलते उत्तराखंड के प्रवासी समाज को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला और वे राज्य सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों में सीधे तौर पर शामिल हो सके।
राजनीतिक सफर और भाजपा में योगदान
पूरन चंद नैनवाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में गिने जाते हैं। पार्टी संगठन में लंबे समय तक कार्य करते हुए उन्होंने प्रवासी समाज को भाजपा के विचारों और नीतियों से जोड़ने का कार्य किया। उनके समर्पण और मेहनत को देखते हुए पार्टी ने उन्हें दिल्ली में उत्तराखंड प्रवासी राज्य मंत्री का पदभार सौंपा, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ निभाया।
समाज सेवा और विकास कार्य
अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में नैनवाल ने समाज सेवा को हमेशा प्राथमिकता दी। उन्होंने उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार से जोड़ने, शिक्षा को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए कई पहल की हैं। दिल्ली में उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
वर्तमान में नई जिम्मेदारी
उत्तराखंड सरकार ने उनके समर्पण को देखते हुए एक बार फिर उन्हें दर्जाधारी मंत्री का दर्जा दिया है। इस नई जिम्मेदारी के तहत वह न केवल प्रवासी समाज बल्कि उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए भी कार्य करेंगे। उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता से प्रवासी उत्तराखंडी समाज को और अधिक सशक्त बनाने की उम्मीद की जा रही है।
पूरन चंद नैनवाल का यह पदभार न केवल उनके कार्यों की सराहना है, बल्कि प्रवासी उत्तराखंडियों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। उनका उद्देश्य हमेशा से उत्तराखंड और प्रवासी समाज के बीच की कड़ी को मजबूत बनाना रहा है, और इस नई जिम्मेदारी के साथ वे अपने मिशन को और प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।