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वृद्ध आश्रम की गाथा से जुडा मौलिक नाटक ‘छोड़ो कल की बाते’ का प्रभावशाली मंचन

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। ‘द मयूर इंफोमेल’ के सौजन्य व अर्श धर्म परिषद के सहयोग से, खचाखच भरे, कात्यानी आडिटोरियम, मयूर विहार फेस एक मे, दिल्ली रंगमंच की जानी मानी संस्था, ‘रंगमंडप’ द्वारा 21अगस्त की सांय, तारा बजेली नाट्य संध्या, आयोजन के अवसर पर, जय वर्धन लिखित व जे पी सिंह निर्देशित,

हास्य से ओतप्रोत हिंदी नाटक, ‘छोड़ो कल की बातें’ का प्रभावशाली मंचन, मुख्य अतिथि, प्रख्यात डाॅ अंशुमन कुमार, विशिष्ट अतिथि, दीवान सिंह बजेली (2019, संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त), अरुण ग्रोवर, इत्यादि इत्यादि की उपस्थिति मे किया गया। आयोजन के इस अवसर पर, आयोजकों द्वारा, मुख्य व विशिष्ट अतिथियों को शाल ओढा, पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

नाट्य संध्या के इस अवसर पर, आयोजक ‘द मयूर इंफोमेल’ मुख्य संपादक, अशोक गुप्ता द्वारा अवगत कराया गया, विगत नौ वर्षों, 2014 से वे नाटकों का मंचन करते आ रहे हैं, मकसद अच्छे नाटकों का मंचन व रंगकर्म व रंगकर्म से जुडे रंगकर्मियों को प्रोत्साहन देना रहा है। विगत दो वर्षो मे करोना महामारी के कारण, नाटकों का मंचन नहीं हो पाया था। अवगत कराया गया,

वर्ष मे दो बार, नियमित तौर पर, नाटकों का मंचन किया जायेगा। जिनमे एक नाटक स्व.तारा बजेली के नाम से आयोजित होगा। मुख्य अतिथि डाॅ अंशुमन कुमार द्वारा, व्यक्त किया गया, जनमानस व नीति निर्माताओं को पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है। व्यक्त किया गया, पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो लोग बीमारी से बचे रहैंगे, स्वस्थ रहैंगे। स्वस्थ भारत का निर्माण सम्भव हो पायेगा। आयोजित नाट्य संध्या का मंच संचालन पल्लवी ध्यानी द्वारा किया गया।

हास्य से ओतप्रोत हिंदी नाटक ‘छोड़ो कल की बातें’ वृद्ध आश्रम मे जीवन व्यतीत कर रहे तीन वृद्धो की दिन चर्या के इर्द-गिर्द घूमता नजर आता है। वृद्ध आश्रम का परोपकारी संचालक
आश्रम के सभी कार्यो का कर्ता-धर्ता है। खनसामा से लेकर मालिक तक। वृद्धो की हर जरूरत से लेकर आदतो तक का पारखी भी है। नाटक में एक मात्र महिला पात्र है, उमा। कुल मिलाकर, करीब डेढ़ घन्टे के इस हास्य से भरपूर, प्रभावशाली मंचित नाटक में कुल पात्रों की संख्या पांच, चार पुरुष व एक महिला पात्र की रही।

मंचित नाटक मे, वृद्ध आश्रम में निवासरत तीनों वृद्धो की अलग-अलग आदते व स्वभाव है। तीनों की इस बात पर सहमति नजर आती है कि, बीती बातों को याद कर, कोई फायदा नहीं। फिर भी जीवन के बिताए कुछ पलों को ये वृद्ध, किसी न किसी रूप में याद कर, एक दूसरे से बतिया कर, हंसी मजाक कर समय अच्छा गुजार रहे होते हैं। कुछ क्षण ऐसे आते हैं, इन वृद्धो को अपने वे बुरे दिन याद आ ही जाते हैं, जिन बुरे दिनों के कारण इन वृद्धो को वृद्धा आश्रम की शरण मे जीवन जीने को मजबूर होना पड़ता है। एक दूसरे के उक्त बुरे दिनों से, सभी वृद्ध वाकिफ होकर और गहरे दोस्त बन जाते हैं। जीवन के बचे-खुचे दिन सकुन पूर्वक गुजारने लगते हैं। यही मंचित नाटक समाप्त होता है।

मंचित नाटक, ‘छोड़ो कल की बातें’ हास्य से भरपूर लबालब तो था ही, तीनों वृद्धो के संवाद ज्ञान ज्ञानवर्धक व जीवन के गूढ़ अनुभवो से भी ओतप्रोत थे। बढ़ापे में जवानी की भी कसमकस दृष्टिगत थी। आज की आधुनिकता की ओर बढ़ रही पीढी की सोच को भी उक्त मंचित नाटक के कथानक से समझा जा सकता है।

मंचित नाटक के पांच किरदारों मे, महावीर (जे पी सिंह), मास्टर (अनुराग कोहली), गुरु घनश्याम (गौरव वर्मा), वृद्धाश्रम संचालक (अरुण), महिला पात्र उमा (नीता बत्रा) की भूमिका व व्यक्त नायाब संवाद दर्शकों द्वारा सराहे गए। पवन चौहान का संगीत निर्देशन नाटक के अनुकूल था। दिल्ली रंगमंच से विगत चार दशकों से जुडे रहे जे पी सिंह का निर्देशन सराहनीय व प्रभावशाली रहा।
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