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जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति का पौष त्यौहार वार्षिक मिलन समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भव्य आयोजन सम्पन्न

सी एम पपनैं

जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति द्वारा आयोजित पौष त्यौहार वार्षिक मिलन समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भव्य आयोजन वैशाली स्थित नम्बरदार फार्म हाउस मे समिति चेयरमैन रतन सिंह रावत, अध्यक्ष विद्यादत्त जोशी, अध्यक्ष भवन कमेटी, राजेन्द्र सिंह तोमर, समिति उपाध्यक्ष बलबीर सिंह तोमर इत्यादि मंचासीनो के सानिध्य मे आयोजित किया गया।

आयोजन शुभारंभ मंचासीनो के साथ-साथ अन्य अतिथियों के कर कमलो दीप प्रज्ज्वलित कर व समिति सदस्यों द्वारा- जै जै महासू देवता…। उदघोष के साथ किया गया। समिति पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा समिति पूर्व अध्यक्ष स्व.डाॅ श्यामदत्त बिजल्वाड व अंचल के अन्य शहीदो के चित्र पर पुष्प चढ़ा, श्रद्धासुमन अर्पित किया गया।

वार्षिक मिलन समारोह आयोजन के इस अवसर पर समिति पदाधिकारियों द्वारा विशिष्ट अतिथि के सी पांडे, चंद्र मोहन पपनैं, खुशी राम शर्मा, अमित जोशी, प्रशांत नेगी, अर्जुन सिंह चौहान इत्यादि को पुष्पगुच्छ व शाल ओढा कर तथा स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। समिति का नव वर्ष 2023 कलैंडर का विमोचन किया गया।

जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति, भवन कमेटी अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह तोमर,
समिति चेयरमैन रतन सिंह रावत व समिति अध्यक्ष विद्यादत्त जोशी द्वारा आयोजन मे बडी संख्या मे उपस्थित दिल्ली एनसीआर मे प्रवासरत जौनसार समिति सदस्यों व क्षेत्र के व्यवसायियों का स्वागत अभिनंदन कर व वार्षिक पूष त्यौहार मिलन समारोह एवं सांस्कृतिक आयोजन मे उपस्थित होने पर बधाई दी गई, महासू देव के आशीर्वाद की कामना कर व्यक्त किया गया, 1998 इंडिया गेट मे समिति की स्थापना जिन उद्देश्यो की पूर्ति हेतु की गई थी, दिल्ली एनसीआर मे जौनसार के प्रवासरत सभी प्रतिबद्ध प्रबुद्ध सदस्यों के निरंतर मिल रहे सहयोग से समिति अपने उद्देश्यो की आशातीत सफलता की ओर अग्रसर है। अवगत कराया गया 470 प्रवासी जौनसारी परिवार सुख-दुख मे, सांस्कृतिक, सामाजिक व अन्य गतिविधियों मे सदा साथ रहे हैं। एकजुट होकर काम कर रहे हैं। जिससे समिति की गतिविधियों को निरंतर बल मिलता रहा है। समिति अपने उद्देश्यो की पूर्ति मे सफल हो रही है। समिति के द्वारा अंचल के स्कूल भवनो के सुधार, मेडिकल कैंप व अंचल के लोगों को अन्य कई प्रकार की मदद मिल सकी है। कोरोना त्रासदी मे समिति सदस्यों द्वारा प्रभावशाली कार्य कर, अंचल के जनसमाज को प्रभावित कर उनका समिति के कार्यो की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

समिति पदाधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया, गाजियाबाद मे समिति द्वारा पहली बार 418 मीटर जमीन 70 लाख मे क्रय की गई है, जल्द ही भवन निर्माण का कार्य शुरू होना है, जिसकी निर्माण लागत करीब दो से ढाई करोड़ के लगभग आंकी गई है। उक्त धन संग्रह के लिए समिति द्वारा अंचल के सभी सदस्यों व व्यवसायियों से आर्थिक मदद का आहवान किया गया। अवगत कराया गया, अभी तक समिति सदस्यों व अन्य लोगों से करीब आठ लाख रुपयो की प्राप्ति हो चुकी है। व्यक्त किया गया, यह सिर्फ जौनसार भवन नहीं उत्तराखंड भवन होगा, जिसका लाभ सम्पूर्ण अंचलवासी ले सकैगे। कुमाउ व गढ़वाल के लोगों को भी उक्त निर्माण कार्य के परोपकार से जोड़ने की बात कही गई। सभी से आर्थिक मदद लेने की बात कही गई।

समिति सदस्यों द्वारा विगत वर्षो मे सामाजिक, सांस्कृतिक व जनस्वास्थ के क्षेत्र में किऐ गए कार्यो व मिली सफलता के बावत भी अवगत कराया गया। व्यक्त किया गया, विगत वर्षो मे 18 बडे मेडिकल कैंप क्षेत्र के ग्रामो मे आयोजित किए गए, जिनमे करीब डेढ़ करोड़ रुपया खर्च हुआ। समिति द्वारा शिक्षा जागरूकता अभियान चलाया गया। क्षेत्र के स्कूल भवनो को सुधारा गया। रायनगर मे जौनसार बावर भवन निर्माण हेतु माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से आग्रह किया गया है।

समिति पदाधिरियों द्वारा व्यक्त किया गया, यह जौनसार बावर का मिनी सम्मेलन है। 1998 का वह समय याद आ रहा है, जब समिति गठन पर सभी लोग बसो से आए थे। इंडिया गेट लाॅन जमीन मे बैठकर कुलानंद जोशी, राजेन्द्र तोमर, मायाराम जोशी, रतन सिंह रावत, संदीप चौहान, सरदार सिंह राणा इत्यादि इत्यादि समिति संस्थापको की उपस्थित मे समिति की स्थापना की गई थी। आज बस की जरूरत नहीं पडी है, सब सक्षम हैं। समिति सदस्य विभिन्न ओहदो पर हैं, इस पूष त्यौहार के आयोजन मे समिति के अंदर सभी एक धागे मे पिरोये जाते हैं, जो समिति की विशेषता है।

जौनसार बावर मे वर्ष भर मनाऐ जाने वाले मुख्य त्योहारों व आयोजनों पर आधारित सांस्कृतिक आयोजन का शुभारंभ जौनसार की महिलाओ व पुरुषों द्वारा परंपरागत परिधान मे ‘हारूल’ सामूहिक लोकनृत्य व गायन से किया गया। आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमो के तहत जौनसार के त्योहारों मे प्रस्तुत किये जाने वाले गीत एवं नृत्योऺ का प्रभावशाली समावेश देखने को मिला, परंपरागत रूप से चली आ रही जौनसार की लोकसंस्कृति की प्रभावशाली झलक ‘बिस्सू-गन्यात’, ‘दियावी’, ‘जागडा’ तथा ‘माघ’ के तान्दा गीत की प्रस्तुति मे दृष्टिगत हुई। आयोजन मे आयोजित त्योहारों, नृत्य और गीतों ने समा बांध समिति के इस पूष वार्षिक मिलन समारोह को यादगार बनाया गया।

अवलोकन कर व्यक्त किया जा सकता है, जौनसार बावर की विशेष पहचान यहां की पीढी दर पीढी चली आ रही लोक संस्कृति और परंपरा रही है। नि:स्वार्थ भाव से एक दूसरे के लिए समर्पित रहने वाले जौनसारी समाज में अनेको ऐसी विशेषताऐ दृष्टिगत होती हैं, जो बिखराव के दौर मे गुजर रही बांकी दुनिया के लिए भी एक सबक बन सकती है।

वैश्वीकरण के चलते दुनिया की लाखों बोलियाँ और भाषाऐ अपनी संस्कृति समेत या तो खत्म हो चुकी हैं या फिर विलुप्ति की कगार पर हैं, लेकिन जौनसार बावर का सामाजिक और सांस्कृतिक वजूद बरकरार है। जौनसार बावर के गांवो मे ही नहीं, प्रवास मे भी जौनसार का जनमानस जहा भी प्रवासरत है उनकी पारंपरिक लोकसंस्कृति और समाज की जडे गहरी पैंठ की हुई हैं।

जौनसार बावर का उत्सवधर्मी समाज, अपनी सरल सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक मान्यताओ के चलते अपने आप मे विशिष्ट स्थान रखता है। नृत्य संगीत जौनसारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। त्योहारों के दौरान महिलाऐ घाघरा, कुर्ती, झगा, मेकड़ी और ढाँटू के साथ-साथ पारंपरिक जेवरो मे हाथों में सोने की चूड़ियाँ, नाक मे बुलाक या नथ, गले मे कोंठी, चांदी का सूच, कानों मे तुंगल, दोसरू व सिर पर मांग टीका तथा पुरुष ऊन की जंगोल (पयजामा), झगा (कुर्ता), डिगुवां टोपी के साथ लम्बा चौड़ा पहन, लोक संगीत की धुन मे मशगूल हो वरदा, नाटी, हारुल और रासो जैसे लोकनृत्य करते नजर आते हैं।

इस जनजातीय क्षेत्र का सामाजिक और सांस्कृतिक ताना बाना यहां के वाशिंदों के अराध्य
देवताओ और उनके नायबो के इर्द-गिर्द घूमता हुआ मिलता है। जो आयोजित सांस्कृतिक आयोजन मे स्पष्ट दृष्टिगत होता नजर आया है।

दिल्ली एनसीआर प्रवास मे भी जौनसारी जनमानस के मध्य सांस्कृतिक विशेषताऐ और परंपराऐ कायम हैं, जो इस समाज के लोगों की खास पहचान है। जौनसार की लोकसंस्कृति कुमाऊ और गढ़वाल से बिल्कुल अलग है। यह समुदाय अपने तीज-त्योहारों व आयोजनों को
जश्न पूर्वक मनाता है। सभी पर्व पर महिला हो या पुरुष अपने परंपरागत पहनावे मे ही दिखाई देते हैं। अपने पारंपरिक वेषभूषा मे लोकनृत्य बारदा, नाटी और हारुल सभी समारोहों मे प्रदर्शित करते हैं। झैता, रासो भी जौनसारी महिलाओ के लोकनृत्यो मे सुमार रहे हैं।

देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अनूठी लोकसंस्कृति और परंपराओ के लिए विख्यात इस क्षेत्र की परंपराऐ व रीति-रिवाज भी अनूठे हैं। जिसके लिए इस क्षेत्र को खास तौर से जाना पहचाना जाता है। पौराणिक लोकसंस्कृति व पहनावा आज की आधुनिकता के बदलते युग में भी यहां के जनमानस के मध्य कायम है। महिलाओ का ऐसा पहनावा कही देखने को नहीं मिलता है, जहा पूरा शरीर वस्त्र से ढका रहता है। साथ ही कोई भी आयोजन हो उसे सामूहिक रूप से मनाकर अपनी एक जुटता को प्रदर्शित करना भी इस समाज के लोगों की विशेषता है।

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