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कोटद्वार किसके नाम ?

*उत्तराखण्ड की चुनावी चर्चा*
(चन्द्रमोहन जदली) ब्यूरो प्रमुख , अमर संदेश , उत्तराखण्ड ।
कोटद्वार : उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव 2022 की रणभेरी बज चुकी है। गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार उत्तराखण्ड की चर्चित व महत्वपूर्ण विधानसभा मानी जाती है।

राज्य बनने के बाद 2002 से अब तक इस सीट पर एक बार काँग्रेस तो अगली बार भाजपा प्रत्याशी की जीत सिलसिला लगातार चल रहा है। लेकिन इस बार ये मिथक कितना सत्य सिद्ध होगा ये भविष्य के गर्भ में है। हम यहाँ कोटद्वार विधानसभा के सभी प्रत्याशियों की चर्चा करते हुए कोटद्वार के विकास से जुड़े क्षेत्रीय मुद्दों की भी समीक्षा करेंगे। वरिष्ठता के आधार पर सबसे पहले पूर्व मंत्री व कोटद्वार से कई बार विधायक रहे सुरेन्द्र सिंह नेगी जी की चर्चा करेंगे।

*सुरेन्द्र सिंह नेगी* : सुरेन्द्र सिंह नेगी उत्तराखण्ड की राजनीति में बहुत बड़ा व सम्मानित नाम है। गढ़वाल के दिग्गज़ काँग्रेसी नेता स्वर्गीय चन्द्रमोहन सिंह नेगी के विधायक से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई सीट लैन्सडाउन पर उनके स्थान पर विधायक बनने के साथ सुरेंद्र सिंह नेगी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उस समय अविभाजित उत्तरप्रदेश में वर्तमान की कोटद्वार भी लैंसडाउन विधानसभा में समाहित थी। बाद में लगातार काँग्रेस से टिकट कटने बाद वे निरंतर दो बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और दूसरे प्रयास में दो पत्ती के चुनाव चिन्ह पर उस समय जबरदस्त रामलहर के बावजूद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते। उसके बाद सुरेन्द्र सिंह ने राजनीति में कभी मुड़ कर नहीं देखा।

उन्होंने तत्कालीन अपने समकक्ष दिग्गज़ नेता स्वर्गीय भारत सिंह रावत जी को कई बार चुनाव में पराजित किया। सुरेन्द्र सिंह नेगी को गढ़वाल मंडल का मजबूत जनाधार का ज़मीनी, दिग्गज़ व लोकप्रिय नेता माना जाता है। उन्होंने अपने अपने प्रत्येक कार्यकाल में अपनी विधानसभा में अनेक महत्वपूर्ण विकास कार्य किये हैं। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद 2002 , 2005, 2012 के चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। 2007 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र सिंह रावत से चुनाव हारे पर बाद में 2012 में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री व कोटद्वार से भाजपा प्रत्याशी जनरल भुवनचंद्र खंडूडी जी को हराकर ऐतिहासिक जीत प्राप्त करके अपने जमीनी जनाधार को सिद्ध किया था। 2012 से 2017 के कार्यकाल में उन्होंने कोटद्वार में बेस हॉस्पिटल का निर्माण, किशनपुर भाबर में डिग्री कॉलेज का निर्माण, प्रेक्षागृह,अनेक पेयजल नलकूपों, ग्रास्टनगंज पुल व झंडीचौड़ पुल सहित अनेक पुलों व सड़कों का निर्माण करवाया था। निःसंदेह सुरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने राजनीतिक जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण विकास कार्य 2012 से 2017 के कार्यकाल में किये थे। उसके बावजूद 2017 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा प्रत्याशी डॉ हरक सिंह रावत से अपने राजनीतिक जीवन में सबसे ज़्यादा ग्यारह हजार से भी अधिक मतों से चुनाव हारे।
इस बार वे एक बार फ़िर से कोटद्वार विधानसभा चुनाव में काँग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जनता के सम्मुख हैं। 1996 में वे एक बार कुछ महीनों के लिए भाजपा में भी रहे, लेकिन उन्हें भाजपा अधिक समय तक भाजपा रास नहीं आई तो वे फिर से अपनी मूल पार्टी काँग्रेस में सम्मिलित हो गए थे। तब से लेकर अभी तक वे काँग्रेस के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। वे एक ऐसे मजबूत जनाधार वाले नेता हैं कि वे कभी भी पार्टी टिकट के लिए किसी भी शीर्ष नेतृत्व के चक्कर नहीं लगाते हैं। उनकी लोकप्रियता व मजबूत जनाधार के कारण सुरेन्द्र सिंह नेगी काँग्रेस पार्टी की एकमात्र पसंद माने जाते हैं। फ़िलहाल तो वर्तमान में काँग्रेस पार्टी में कोटद्वार विधानसभा में उनका कोई भी विकल्प नहीं है। उनका एक मजबूत पक्ष यह भी है कि वे कभी भी हार के भय से अपनी सीट नहीं बदलते , हर परिस्थितियों में कोटद्वार की जनता के बीच अपनी मजबूत व निरंतर उपस्थिति दर्ज करते रहते हैं। इसलिए 2012 के चुनाव में उन्हें जनरल भुवनचंद्र खण्डूड़ी जैसे लोकप्रिय भाजपा नेता व तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध मजबूत जनादेश प्राप्त हुआ। निःसंदेह आज इसीलिये कोटद्वार विधानसभा चुनाव में उन्हें सबसे मज़बूत प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है। शीघ्र ही काँग्रेस प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह नेगी से संपर्क होने पर उनसे कोटद्वार विधानसभा के चुनावी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी जिनका उल्लेख मैं अगले क्रम में करुँगा। उसके बाद के क्रम में भाजपा प्रत्याशी की चर्चा करेंगे।

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