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कोटद्वार घनी आबादी के बीच खोह नदी के किनारे बना ट्रेंचिंग ग्राउंड क्षेत्रीय जनता के लिए बन गया है नासूर

राजेन्द्र शिवाली कोटद्बार।कोटद्बार नगर-निगम और क्षेत्रीया जनप्रतिनिधियों की घोर निष्क्रियता कहें या हिटलर शाही। यहां पूर्वी खोह नदी के किनारे शहर का कूड़ा डालने के लिए बनाया गया ट्रेचिंग ग्राउंड आसपास की घनी आबादी के लिए नासूर बनता जा रहा है।

क्षेत्र की जनता इस ट्रेचिंग ग्राउंड की अर्थी तक शहर में निकाल चुकी है। कई बार इसे हटाने के लिए शासन प्रशासन को ज्ञापन दिए जा चुके हैं,

लेकिन किसी के भी कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। नगर-निगम और जनप्रतिनिधियों के इसे हटाने के दावे खोखले साबित होते जा रहे हैं,

जबकि आसपास का वातावरण भयंकर रूप से प्रदूषित होता जा रहा है। ट्रेचिंग ग्राउंड की बगल में पोस्ट मार्टम गृह है। इसके पीछे काली माता का मंदिर और गोपाल गोधाम है। यहीं पर मुक्तिधाम है और मुक्तिधाम से लगा स्व0 शशिधर भट्ट राजकीय स्पोर्ट्स स्टेडियम है, जहां पूरे उत्तराखंड से बच्चे खेलने के लिए यहां आते हैं।

इसी की बगल में झूलापुल बस्ती और स्टेडियम कॉलोनी है। सामने रतनपुर-कुम्भीचोड गांव हैं। भीषण गर्मी अथवा जब कभी भी कुछ शरारती तत्व ट्रेचिंग ग्राउंड मॅ आग लगा देते हैं तो इसका धुआं प्रदूषित हवा के साथ ही आसपास की घनी आबादी के साथ ही गाड़ीघाट की आबादी के लोगों को भी प्रभावित करता है

साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। प्रतिदिन यहां 20 टन से अधिक शहर का कूड़ा ट्रैचिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है।

पूर्व सैनिक एवं समाजसेवी महेंद्र पाल सिंह रावत का कहना है कि कई गोवंश और अन्य जानवर इस कुडे के पहाड में दफन हैं जिससे पूरा वातावरण दुर्गंधमय रहता है। क्षेत्रीय जनता ने इसे अविलंब यहां से हटाने की मांग की है।

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