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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ द्वारा आयोजित सेमिनार व त्रिशक्ति सम्मान-2025 सम्पन्न

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। सु-प्रसिद्ध ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सुअवसर पर 12 अप्रेल को ‘महिला सशक्तिकरण’ विषय पर भव्य सेमिनार एवं त्रिशक्ति सम्मान-2025 का आयोजन डिप्टी स्पीकर हाल, कंस्टीट्यूशन क्लब में मंचासीन प्रबुद्ध अतिथियों डॉ. स्मिता सिंह उच्च अधिकारी यमुना अथॉरिटी नोएडा, महालक्ष्मी पावनी अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट, विनीता हरिहरन प्रवक्ता भाजपा, पूर्वा मेहरा न्यायाधीश साकेत कोर्ट, वैभव मिश्रा अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट व आर सी चौधरी, अध्यक्ष मल्टी डेकोर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की गरिमामय उपस्थित में आयोजित किया गया।

आयोजन के इस अवसर पर दिल्ली में विभिन्न विधाओं के क्षेत्र में अग्रणी होकर कार्य कर रही अनेकों प्रेरक महिलाओं को ‘त्रिशक्ति सम्मान-2025’ से मंचासीन अतिथियों के कर कमलों सम्मानित किया गया।

आयोजित सेमिनार व सम्मान समारोह का श्रीगणेश मंचासीन अतिथियों के साथ-साथ आयोजक ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ मुख्य संपादक निम्मी ठाकुर व ‘अमर संदेश’ अखबार के मुख्य संपादक अमर चंद तथा समाजसेवी दुर्गा सिंह भंडारी के कर कमलों दीप प्रज्ज्वलित कर व काव्या व सुनेना द्वारा सरस्वती वंदना के स्वरों में प्रभावशाली नृत्य मंचित कर किया गया।

आयोजक ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ मुख्य संपादक निम्मी ठाकुर द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों व सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनन्दन कर पत्रिका प्रकाशन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। पत्रिका टीम द्वारा मंचासीन अतिथियों को शाल ओढ़ा कर तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सुअवसर पर आयोजित सेमिनार में सभी मंचासीन वक्ताओं के साथ-साथ उपस्थित पत्रकारों में प्रमुख चंद्र मोहन पपनै तथा सुजीत ठाकुर के साथ-साथ प्रबुद्ध महिलाओं में प्रमुख कुमकुम झा, बबली ममगई तथा डॉ.सुष्मिता झा द्वारा महिला सशक्तिकरण पर ज्ञानवर्धक व प्रभावशाली विचार व्यक्त कर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस सेमिनार को यादगार व प्रभावशाली बनाया गया।

महिलाओं के जीवन व उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए वक्ताओं द्वारा कहा गया, सनातन धर्म में महिलाओं को पूज्यनीय माना गया है। संवेदनशीलता ही वह परम गुण है जो महिलाओं में जागरुकता का संचार करती है। मां से ही महिलाओं को जाना जा सकता है। समाज का पूरा निर्माण महिलाओं द्वारा किया गया है। महिलाएं ही समाज का निर्माण कर सकती हैं। महिलाओं में करुणा है, वेदना है, धीरज है, सहन शक्ति का गुण है। महिलाओं में मनोबल, तपोबल व आत्मबल की शक्तियां भी है। प्रत्येक समाज में महिलाओं का सम्मान जरूरी है। पुरुष के सहयोग से ही महिला का सशक्तीकरण होता है। एक दूसरे के सहयोग से ही काम चलता है, परिवार और समाज का उद्धार व उत्थान होता है।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, पुरानी बेड़ियों को तोड़ कर महिलाओं को सशक्त करना समय की मांग है। महिला अब अबला नहीं रहेगी। महिलाए सशक्त हो चुकी हैं, उन्हें पहचान बनाना जरूरी है। जो महिलाएं प्रेरणादाई रही हैं, उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। महिलाओं और पुरुषों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, दोनों को मिल कर देश समाज को आगे बढ़ाना है।

महिला वक्ताओं द्वारा कहा गया, सर्वोच्च न्यायालय में मात्र दो महिला तथा उच्च न्यायालयों में मात्र 13 महिला न्यायाधीश हैं जो महिलाओं के प्रतिशत के अनुसार बहुत कम है जो कुल न्यायाधीशों की संख्या का पचास फीसद होना चाहिए। महिला न्यायाधीशों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई जाती? न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए। कहा गया, लगन और आत्म विश्वास जरूरी है, महिलाओं को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, पूरे विश्व में ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ अलग-अलग तौर-तरीकों से मनाया जाता रहा है। यह एक ऐसा दिन बन गया है जिसमें हर समाज में राजनीति, अर्थव्यवस्था व अन्य अनेकों क्षेत्रों में महिलाओं की तरक्की का जश्न मनाया जाता है। आधी आबादी के तौर पर महिलाएं हमारे समाज-जीवन का मजबूत आधार रही हैं। महिलाओं के बिना इस दुनिया की कल्पना करना ही असंभव है। इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में महिलाओं का सर्वाधिक योगदान रहा है। देश की अनेकों महिलाओं द्वारा महिला सशक्तिकरण का परिचय विभिन्न कालखंडो में विभिन्न क्षेत्रों में दिया गया है। नारी ने सृष्टि का विकास किया है। ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का प्रतीक स्वरूप है।

व्यक्त किया गया, देश की जटिल मेहनतकश व निडर नारी का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। कुछ वर्तमान में भी इतिहास रच रही हैं। ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ आरंभ होने के बाद समय-समय पर महिलाओं को अनेकों अधिकार प्राप्त होते रहे हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ जैसे कदम सरकार द्वारा संकल्प लेकर उठाए गए हैं। तभी आज बेटीयां बच रही हैं। जब बेटी बचेगी ही नही तो संसार कैसे बढेगा? महिलाएं आज खुद को बचा रही हैं। जन को शिक्षित भी कर रही हैं। सबको सशक्त बना रही हैं। आज बेटे-बेटियों को बराबर माना जा रहा है। महिलाओं के हित में लाया गया आरक्षण बिल महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाएगा सोचा जा सकता है। महिलाएं विकृतियों से बचे। पश्चिमी सभ्यता नहीं, भारत की सभ्य संस्कृति का पालन कर महिलाएं सशक्त बनें।

वक्ताओं द्वारा व्यक्त किया गया, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन कर नारी शक्ति को सम्मान देना न सिर्फ सार्थक कदम है, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नेक व परोपकारी कार्य भी है। देश की जागरूक महिलाएं, आज किसी क्षेत्र से अछूती न रहकर अपना परचम लहरा रहीं हैं। वैश्विक फलक पर पहली बार दुनिया के सबसे शीर्ष अमीरों में नंबर पांच पर अपना नाम सुनिश्चित करने वाली भारत की रोशनी नादर का नाम लेकर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण वक्ताओं द्वारा दिया गया। वक्ताओं द्वारा कहा गया, विभिन्न क्षेत्रों व विधाओं में कार्य करने वाली सभी महिलाएं जो आज त्रिशक्ति सम्मान 2025 से सम्मानित हो रही हैं सम्मान की पात्र हैं, असली हकदार हैं ।

वक्ताओं द्वारा ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट’ पत्रिका मुख्य संपादक निम्मी ठाकुर, सहयोगी अमरचंद मुख्य संपादक अमर संदेश तथा उनके टीम सदस्यों द्वारा समय-समय पर प्रेरक विषयों पर वार्ताए व सेमिनार आयोजित कर जनजागरण करने की सोच की प्रशंसा की गई। कामना की गई भविष्य में भी उनकी टीम विकसित व सशक्त भारत हेतु प्रेरक विषयों पर आयोजन आयोजित कर, जनजागरण कर अपना दायित्व निभाते रहेंगे।

आयोजन के इस अवसर पर सभी वक्ताओं के साथ-साथ वैश्विक फलक पर ख्यातिरत जादूगर डॉ. के सी पांडे को शाल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। डॉ.के सी पांडे द्वारा जादू के अनेकों कारनामे दिखा कर सभी को चकित व हतप्रभ करने का कार्य किया गया व व्यक्त किया गया, जादू एक चतुराई वाला तमाशा है, जो देखने वालों को आश्चर्य चकित करता है। जादू हाथ की सफाई है।

संस्कृति संरक्षण व संवर्धन, समाज सेवा व शिक्षा जैसे विभिन्न कार्यों व विधाओं के क्षेत्र में विगत अनेक वर्षो से दिल्ली एनसीआर में अमिट छाप छोड़ ‘त्रिशक्ति सम्मान-2025’ से सम्मानित होने वाली प्रेरक महिलाओं में बबली ममगई, अंजू बिष्ट भंडारी, वर्षा चमोली, ज्योति झा, डॉ.मीनाक्षी राजेंद्र मेहरा, मीनाक्षी वर्मा, डॉ.विधु कुमारी, डॉ.अनीता सत्यार्थी, प्रीति यादव, डॉ.प्रभा दुबे, पुष्पा पांडे, रजनी झा, वीना मंडल, रेनू ठाकुर, सविता चौहान, डॉ.सोमलता त्यागी, सुजीता झा, तनु मिश्रा, यशोदा घिल्डियाल, पूजा झा, वाणीश्री कौल, लक्ष्मी नौडियाल, कीर्ति झा, आर एन झा, रोशनी वेदवाल, आनंदी लेखवाल, प्रमिला लेखवाल, अनीता सिरसवाल, मधु भट्ट, रेखा भट्ट शर्मा, लक्ष्मी दानू, सुरेशी दानू व सविता पंत इत्यादि इत्यादि को खचाखच भरे डिप्टी स्पीकर कंस्टीट्यूशन क्लब में तालियों की गड़गड़ाहट के मध्य मंचासीन प्रबुद्घ अतिथियों के कर कमलों शाल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। आयोजित भव्य सम्मान समारोह का प्रभावशाली मंच संचालन राज छावड़ा द्वारा बखूबी किया गया।
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