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अटल रत्न’ लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित केपी मलिक

नई दिल्ली। भारत के जाने-माने संस्थान इंद्रप्रस्थ शिक्षा और खेल विकास संगठन (रजि.) द्वारा आयोजित 17वां भारत रत्न डॉ. राधाकृष्णन स्मृति पुरस्कार समारोह आज रफी मार्ग, नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित किया गया। इस समारोह में शिक्षा, खेल, पत्रकारिता, राजनीति, समाज सेवा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक प्रशासन स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

इस पुरस्कार समारोह में पत्रकारिता और समाजसेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार के. पी. मलिक को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड ‘अटल रत्न’ से अवार्ड से सम्मानित किया गया। के.पी. मलिक को मिला यह सम्मान यह तय करता है कि कोई इंसान अगर अपने काम को मेहनत, लग्न, ईमानदारी और सकारात्मक परिश्रम के साथ करे, तो उसे सफलता जरूर मिलती है। पत्रकारिता जगत में ‘के.पी. मलिक’ के नाम से मशहूर मलिक साहब का पूरा नाम ‘कुँवर पाल मलिक’ है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट के प्रमुख जिले शामली के छोटे से गांव आदमपुर में संपन्न परिवार में जन्मे के.पी. मलिक ने शामली के वैश्य डिग्री कॉलेज से आपने स्नातक करने के बाद देश के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान “माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान, भोपाल” से टेलीविजन वीडियो तकनीकी डिप्लोमा और नई दिल्ली के भारतीय विद्या भवन दिल्ली से पत्रकारिता का कोर्स किया। मलिक ने जब अपने करियर की यात्रा शुरू की, तो वह न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि हिंदुस्तान भर में अपने गांव, जिले व समाज का गौरव बढ़ाने में सफल हुए।

उन्होंने देश के कई जाने-माने मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। इनमें दूरदर्शन, बीबीसी टीवी, जी न्यूज़, सहारा समय और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे बड़े-बड़े संस्थान हैं। काफी व्यस्तता के बाद उनकी सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह देश की किसी भी तबके की किसी भी खबर से कभी बेखबर नहीं रहते। मलिक की विशेषता यह है कि वह निष्पक्ष लेखन के साथ-साथ पीड़ित पक्षों के साथ हमेशा खड़े रहते हैं।   

के.पी. मलिक के पिता स्वर्गीय चौधरी श्याम सिंह मलिक एक साधारण किसान थे। संयुक्त परिवार के इस घर में खेती, संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा स्कूली शिक्षा से पहले दी गयी। आज भी के.पी. मलिक के भाई शिक्षित होने के बावजूद गाँव में रहकर खेती-बाड़ी करते हैं, जबकि बहनें अपने वैवाहिक जीवन में सुखी जीवन व्यतीत कर रही हैं। दिल्ली में अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का पूरी तरह निर्वहन करने वाले मलिक पत्रकारिता से इतनी बारीकी से जुड़े हैं कि उनके दोनों तरफ़ के जुड़ाव को उनसे अलग नहीं किया जा सकता। 

मलिक आज आप अपनी लेखन कला के दम पर न केवल गाँव, ग़रीब और किसान की सक्रिय और मज़बूत आवाज़ बन चुके हैं, बल्कि युवा पत्रकारों के लिए एक प्रेरणा भी बन चुके हैं। पिछले दिनों उन्हें मीडिया के देश के प्रतिष्ठित ‘मुंशी प्रेमचंद पुरुस्कार’ से नवाजा गया था।

दिल्ली के राजनीतिक गलियारों और लुटियंस ज़ोन में आपकी अच्छी पकड़ है। लगभग दो दशकों से अधिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होने वाले तमाम राजनीतिक घटनाक्रमों और हालातों पर पैनी नज़र के साथ देश की संसद को कवर करते रहे हैं। के.पी. मलिक ने मीडिया के उतार-चढ़ाव को बड़े क़रीब और बारीक़ी से देखा है। वह साल 2001 के ऐतिहासिक संसद हमले को कवर करने वाले एवं उस घटनाक्रम के चश्मदीद गवाह भी हैं। मलिक हमेशा सरकार और मीडिया संस्थानों से पत्रकारों के हक़-हक़ूक की लड़ाई लड़ने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

क़रीब 28 साल से पत्रकारिता में सक्रिय के.पी. मलिक इन दिनों देश के सबसे बड़े प्रतिष्ठित अखबार ‘दैनिक भास्कर’ के उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड संस्करणों के ‘राजनीतिक संपादक’ के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इसके अलावा वह पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था नेशनल यूनियन जर्नलिस्ट (इंडिया) से संबद्ध ‘दिल्ली पत्रकार संघ’ के महासचिव, ‘प्रेस एसोसिएशन आफ इंडिया’ के कार्यकारी सदस्य एवं ‘एंटी कोरोना टास्क फोर्स’ के ‘राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी’ के रूप में भी सेवाएँ दे रहे हैं और दिल्ली के प्रसिद्ध प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के सम्मानित सदस्य हैं।

इतना ही नही वैश्विक महामारी कोरोना-काल में हुई तालाबंदी के दौरान मलिक ने तमाम पत्रकारों की समस्याओं को केंद्र सरकार एवं दिल्ली सरकार के समक्ष बड़े ही ज़ोरदार तरीक़े से उठाने का सराहनीय कार्य किया है। इसके अलावा आप लगातार देश के किसानों और सामाजिक मुद्दों पर बेबाक़ी से टीवी चैनलों पर बोलते और अख़बारों एवं पत्रिकाओं में लिखते रहते हैं।

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