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कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ का गढ़वाल हितैषिणी सभा द्वारा भव्य नागरिक अभिनन्दन 

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासियों द्वारा सन 1923 दिल्ली प्रवास मे स्थापित सामाजिक संस्था ‘गढवाल हितैषिणी सभा’ द्वारा श्री देव सुमन वरिष्ठ सदस्य सम्मान 2020 एवं वर्ष 2020 मे पद्मश्री सम्मान से सम्मानित होने जा रहे बमोड़ी गांव (चमोली) के सु-विख्यात पर्यावरण विद कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ के सम्मान मे गढ़वाल भवन में 2 फरवरी की सायं भव्य नागरिक अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया।
मुख्य अतिथि पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत, विशिष्ट अतिथि डॉ देवेन्द्र सिंह चौहान सीएमओ आरएमएल हास्पिटल, प्रो.(डॉ) हरेंद्र असवाल, कैलाश नेगी डीआईजी भारतीय तट रक्षक बल, कैलाश घोनियाल, हरीश कुकरेती तथा पूर्णिमा पांथरी सहायक पुलिस आयुक्त दिल्ली पुलिस, अजय सिंह नेगी राजस्थान राज्य क्षेत्रीय प्रबंधक, सिंडिकेट बैंक के सानिध्य मे गढ़वाल हितैषिणी सभा से जुड़े रहे 65 वर्ष से अधिक उम्र के छत्तीस वरिष्ठ सदस्यों को समाज एवं सभा मे उनकी रचनात्मक व सकारात्मक सहयोग के लिए ‘श्री देव सुमन वरिष्ठ सम्मान’ से नवाजा गया।
आयोजन का श्रीगणेश मुख्य व विशिष्ट अतिथियो द्वारा दीप प्रज्वलन व मधु बेरिया के गाए मांगल गीत-
दीप ज्योति परम ज्योति…दीपो हर तू पापम…दीप ज्योति नमो स्तुतिते…शुभम करोति कल्याण आरोग्य सुख संपदा…।
के साथ किया गया।
सार्वभौमिक गायक कलाकारो मधु बेरिया, पुष्पा जोशी व कुबेर सिंह द्वारा राकेश गुसाई के संगीत निर्देशन व देवेन्द्र गुड़ियाल ढोलक, वीरेन्द्र सैलानी बांसुरी वादन के सानिध्य मे श्रीदेव सुमन रचित चार रचनाओं का गीत-संगीत के माध्यम प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण किया गया।
गायिका मधु बेरिया द्वारा राग मालकोस मे प्रस्तुत श्रीदेव सुमन की रचना-
माँ भारती प्राण घट मे, भाव तुम भरती रहो…सुमन मन वीर बनो…।
बहुत कर्णप्रिय स्वर मे प्रस्तुत की गई।
गढ़वाल हितैषिणी सभा अध्यक्ष मोहब्बत सिंह राणा तथा महासचिव पवन मैठाणी द्वारा मुख्य व विशिष्ट अतिथियो तथा सम्मानित होने जा रहे सभा के वरिष्ठ सदस्यों, सभा पदाधिकारियो पत्रकारों तथा अन्य सभी जनों का हार्दिक अभिनंदन किया गया। अवगत कराया, सामाजिक संगठन होने के नाते सभा अपने दायित्वो का निर्वाह सभी सदस्यों के सहयोग से निभा रही है। प्रतिवर्ष कुछ नया दायित्व निभा रही है। विगत दो वर्षो मे बारहवी पास बच्चों के कैरियर काउंसलिंग हेतु दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े वरिष्ठ प्रोफ़ेसरो के सानिध्य में कार्यक्रम आयोजित किए गए। वीर चंद्रसिंह गढ़वाली मेधावी छात्र सम्मान, उत्तराखंड के साहित्य- संस्कृति के उत्थान हेतु संस्थाओं का सहयोग, उत्तराखंडी बोली-भाषा कवि सम्मेलन, फिल्म, नाटक इत्यादि से जुड़े कार्यक्रम नयी योजनाओं में मुख्य रहे।
अवगत कराया गया, झंडेवालान मेट्रो स्टेशन पर गढ़वाल भवन की दिशा अंकित करवाई गई। 1923 मे स्थापित संस्था का 1941 मे बने संविधान मे सर्वसम्मति से संस्था उत्थान हेतु संसोधन किया गया। जरुरत मन्द उत्तराखंडियो की बीमारी व दुर्घटना मे आर्थिक मदद की गई। भवन में बीमार तीमारदारो की ठहरने की व्यवस्था की गई। उत्तराखंड के प्रतिभावान लोगों को सम्मानित किया गया। आजीवन वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित करते रहे हैं। सभा पदाधिकारियों द्वारा सभी के सहयोग व समर्थन की कामना की गई।
गढ़वाल हितैषिणी सभा पदाधिकारियो द्वारा मुख्य अतिथि तीरथ सिंह रावत तथा कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ का शाल ओढ़ाकर, पुष्पगुच्छ तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। सभी विशिष्ट अतिथियों को पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेट कर श्रीदेव सुमन सम्मान से नवाजा गया।
इस अवसर पर श्रीदेव सुमन वरिष्ठ सदस्य सम्मान 2020 से नवाजे जाने वाले सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रबुद्ध वरिष्ठ जनो मे डॉ श्रीकृष्ण सेमवाल, एसीपी सतीश शर्मा, मोहन सिंह रावत, डॉ सुरेश बन्धुनी, बलवीर सिंह कमवाल, सूरत सिंह रावत, राजेश्वर प्रसाद कन्सवाल, दीपा जुगरान, विजय सती, धनसिंह नेगी, विजय सिंह राणा, जय प्रकाश डबराल, अवतार नेगी, महावीर सिंह केमवाल, मुरारी लाल खंडूरी, कैलाश चन्द्र धस्माना, मोहब्बत सिंह राणा, रामेश्वर प्रसाद, उम्मेद सिंह धमाढ़ा, सतीश घोनियाल, मंगत राम चमोली, सेवानंद चंदोला, दरवान सिंह रावत, कमला दत्त सेमवाल, द्वारका प्रसाद खंडूरी, अजय सिंह नेगी, शशि भूषण खंडूरी, ज्ञान देव कोठारी, आजाद सिंह रावत, होशियार सिंह, अतर सिंह, ललित प्रसाद जोशी, जीत सिंह रावत, लक्ष्मी रावत, प्रसाद गोस्वामी इत्यादि मुख्य थे। सभी वरिष्ठ सम्मानित वरिष्ठ जनों को पुष्पगुच्छ व स्मृतिचिन्ह मुख्य व विशिष्ट अतिथियो के करकमलों प्रदान किए गए।
मुख्य अतिथि सांसद तीरथ सिंह रावत ने अपने संबोधन में गढ़वाल हितैषिणी सभा द्वारा श्रीदेव सुमन वरिष्ठ सदस्य सम्मान से सम्मानित किए जा रहे वरिष्ठ सदस्यों व कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ को पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र मे दिए उनके अमिट योगदान तथा पद्मश्री से नवाजे जाने पर आयोजित नागरिक सम्मान पर सभा सदस्यों द्वारा दलगत राजनीति से हट कर किए जा रहे कार्यो की प्रशंसा की।
उत्तराखंड के बलिदानियों व वर्तमान में देश के शीर्ष पदों पर बैठै उत्तराखंडियो द्वारा परिश्रम, मेहनत व निष्ठा के बल हासिल पदों पर बैठ, देश हित में निभाए जा रहे दायित्वो की सराहना की। उक्त प्रबुद्ध जनों के बल उत्तराखंड को मिल रही विशेष पहचान का जिक्र किया। व्यक्त किया, बुनियादी आधार मजबूत होना जरूरी है। हमे अपनी संस्कृति को संजो कर रखना जरूरी है।
मुख्य अतिथि ने व्यक्त किया, भारतीय संस्कृति की समृद्धि मे उत्तराखंड का सबसे बड़ा योगदान है। कल्याण सिंह रावत ने पर्यावरण संवर्धन के क्षेत्र मे ‘मैती’ के द्वारा छाप छोड़ी है। पानी व हवा को धर्म समझ, आगे बढ़ाया है। उनके लगाए पांच लाख पेड़ो से जन को पानी व आक्सीजन मिल रही है, जिसके बगैर जीवन नही जिया जा सकता। पर्यावरण संवर्धन व संरक्षण हित में कार्य करने हेतु कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ को पद्मश्री मिलने व उत्तराखंडी प्रवासियों की प्रतिष्ठित संस्था गढ़वाल हितैषिणी सभा द्वारा उनके सम्मान मे नागरिक अभिनदंन समारोह आयोजित करने को गौरव व सम्मान कहा।
कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ द्वारा उनके सम्मान में नागरिक सम्मान आयोजित करने हेतु गढ़वाल हितैषिणी सभा का आभार व्यक्त किया गया। अवगत कराया, उन्हे उनके जीवन में पहला सम्मान ‘गढ़वाल गौरव’ नाम से मिला था, अब पद्मश्री प्रेरणा का श्रोत बना है। उन्होंने कहा, मैती आंदोलन एक पीड़ा थी। सर्वप्रथम उन्होंने चोरीखाल (पौड़ी) मे अध्यापन के दौरान पेड़ लगाने की शुरुआत की। कनिस्तरो से पानी लाकर पेड़ो को सींचा। बच्चों व गांव वालों की मदद से खेलने के लिए मैदान बनाया। उनकी मदद से पेड़ लगाए। बलि प्रथा जिसके तहत करीब चार सौ पशुओ की बलि दी जाती थी, लोगों को जागरूक कर  पशु बलि पर अंकुश लगाने की कोशिश की।
राजगढ़ी मे स्थानांतरण के बाद देखा, ग्रामीण पेड़ तो काटते थे, परंतु पेड़ रोपते नही थे। तिरतालीस हजार पौधों की नर्सरी तैयार कर, पेड़ो की रुपाई की। आज वहां जंगल बना है, जो सुखद लगता है। गांव वाले हजारों जंगली जानवरों को मार भक्षण करते थे। कैम्प लगा लोगों को शाकाहारी व मांसाहारी के बावत जागृत किया। स्वयं जंगली जानवरों की देख-रेख कर उनकी रक्षा की। अवगत कराया, ये सब जीवन के पर्यावरण संरक्षण के शुरुआती कार्य थे।
उन्होंने कहा, स्कूली जीवन गोपेश्वर मे बीता, जहां चंडीप्रसाद भट्ट के साथ चिपको आंदोलन हेतु कार्य किया। स्कूली जीवन से ही पर्यावरण से जुड़ा रहा। हिमालयी वन्य प्राणियों को बचाया। एनजीओ जहां पेड़ लगा रहे थे, एक भी पेड़ नही था। पेड़ लगा कर उन्हे बचाना जरूरी था।
कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ ने अनेकों उदाहरण दे, अवगत कराया, उन्होंने बेटी व माँ के अटूट रिश्ते व भावनाओ व समर्पण को देख, इसे पेड़ से जोड़ा। शादी मे बेटी के लगाए पेड़ को माँ की ममता बचायेगी इस सोच पर ‘मैती’ का शुभारंभ किया। गांव मे पांच विवाह हुए पांच पेड़ बचे। पेड़ मे फल लगे, बच्चो ने खाए।
‘मैती’ संस्कृति व प्रकृति से आगे बढ़ी। पेड़ लगाने पर दूल्हे द्वारा पैसा देने का रिवाज चलाया, जूता चुराने की प्रथा बंद हुई। पेड़ रुपाई के दौरान दूल्हे द्वारा दिए पैसो से जरुरत मंद बेटियों की इच्च्छाऐ पूरी हुई। पैसा समरसता मे काम आया।
उन्होंने कहा, पेड़ लगेंगे, पानी नही सूखेगा। हरियाली होगी। फल लगेंगे। गांव वालों की आर्थिक समृद्धि होगी। यह कार्य ‘मैती’ द्वारा किया गया। पेड़ के महत्व को जानने व समाज के जागरूक होने पर, पंद्रह बीस वर्षों में ही काया पलट देखी जा सकेगी। गंगा बचेगी। नदिया बचेंगी। हिमालय बचेगा। जनमानस को शुद्ध आक्सीजन मिलेगी।
पेड़ अमूल्य उपहार है, इसका उदाहरण इस प्रकार दिया गया, बेटी दुल्हन बन कर ससुराल जाती है, उसे पानी के धारे पर ले जाकर धारे की पूजा की जाती है, दुल्हन को पानी के बारे में बताया जाता है। पूजा से पानी नही बचेगा। पानी पेड़ से बचेगा। इसीलिए बेटी से पेड़ लगवाया। शादी में दो पेड़ लगे। मायके व ससुराल में। इस तरह अब तक शादियों मे करीब पांच लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। देश के अन्य राज्यो मे भी यह क्रम चल पड़ा है।
अवगत कराया गया, कौसानी सेमिनार मे कनाडा की पूर्व प्रधानमंत्री फ्लोरा डोनाल्ड ‘मैती’ से अवगत हुई, जिसने उनके दिल को छुआ। आंदोलन कनाडा में पहुच, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने लगा। भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हे भावनात्मक पत्र लिखा, ‘मैती’ बड़ा आंदोलन है, इसे आगे बढ़ाते रहो।
कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ ने अवगत कराया, 2014 मे अध्यापन कार्य से सेवानिवर्त होकर उन्होंने अनेक संस्कृतियो को जोड़ने का प्रयास किया है। उत्तराखंड के प्रत्येक स्कूल से हस्ताक्षर युक्त एक बैनर देहरादून मंगवा, दो किलोमीटर लम्बा बैनर जिसमे बारह लाख स्कूली बच्चों के संकल्प युक्त हस्ताक्षर थे। राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ उक्त बैनर की गांठ बाध एफआरआई को सौपा गया।
उन्होंने कहा, गीत लिख कर, गाने गाकर, टिहरी नही बचना था। स्कूली बच्चों का आहवान कर उन्होंने टिहरी के तैतीस ऐतिहासिक जगहों से मिट्टी लेकर, आठ सौ बच्चों के दल को बादशाहत हाल ले जाकर, मिट्टी गड्ढों मे डलवाई, पेड़ लगवाए। टिहरी की मिट्टी संभाल कर रखी। कोन कहता है टिहरी डूबी?  इस तरह बहुत से प्रयोग जीवन में किए, कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ ने अपने संबोधन में व्यक्त कर अवगत कराया।
गढ़वाल हितैषिणी सभा उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा सभी का आभार व्यक्त करने के साथ ही नागरिक अभिनन्दन समारोह का समापन हुआ। मंच संचालन अजय सिंह बिष्ट व पवन मैठाणी ने बखूबी किया।
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