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इंडिया एनर्जी वीक 2024 भारत की सबसे बड़ी सर्वव्यापी ऊर्जा प्रदर्शनी और सम्मेलन है

अमर चंद्र ( बेतुल) गोवा। भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 , 6फरवरी से 9 फरवरी तक गोवा में चल रहा है। यह भारत की सबसे बड़ी और एकमात्र सर्वव्यापी ऊर्जा प्रदर्शनी और सम्मेलन है, जो संपूर्ण ऊर्जा मूल्य श्रृंखला को एक साथ लाएगा और एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने भी वैश्विक तेल एवं गैस सीईओ और विशेषज्ञों के साथ एक गोलमेज बैठक की थी। गोवा के बेतुल में ओएनजीसी के प्रांगण में आयोजित हो रहा है

इस आयोजन में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना और उन्हें ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में एकीकृत करना भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 का एक महत्वपूर्ण फोकस दिख रहा है। इसमें विभिन्न देशों के लगभग 17 ऊर्जा मंत्रियों, 35,000 से अधिक उपस्थित लोगों और 900 से अधिक प्रदर्शकों की भागीदारी है। भारतीय एमएसएमई ऊर्जा क्षेत्र में जिन नवीन समाधानों का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्हें प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष मेक इन इंडिया पवेलियन का भी आयोजन किया जा रहा है।

भारत ऊर्जा सप्ताह 2024के दुसरे दिन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 में कतर के केंद्रीय ऊर्जा मामलों के मंत्री साद शेरिदा अल काबी, गुयाना गणराज्य के प्राकृतिक संसाधन मंत्री विक्रम भरत, ओपेक के महासचिव हैसम अल ग़ैस के साथ भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 में ”एनश्योरिंग एनर्जी फॉर नेशन्स एंड इंडस्ट्री इन ए वीयूसीए वर्ल्ड” विषयक एक मंत्रिस्तरीय पैनल में भाग लिया। वीयूसीए का मंतव्य अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता है। यह निरंतर, अप्रत्याशित परिवर्तन की स्थिति को दर्शाता है, जो अब व्यापार जगत के कुछ उद्योगों और क्षेत्रों के लिए सामान्य बात है।

 

वैश्विक ऊर्जा उत्पादन और आपूर्ति की स्थिति का उल्लेख करते हुए, केंद्रीय मंत्री श्री पुरी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना चुनौती है कि परिवर्तन व्यवस्थित तरीके से किया जाए। हमें पारंपरिक ईंधन तक पहुंच प्राप्त है और हम स्वच्छ ईंधन की ओर पूर्वानुमानित अंतरण कर रहे हैं।

 

श्री पुरी ने कहा कि इस समय संतुलित और यथार्थवादी बातचीत की जरूरत है, न कि जीवाश्म ईंधन की आलोचना करना।

 

ओपेक के महासचिव श्री हैसम अल ग़ैस ने कहा कि ऊर्जा अंतरण महत्वपूर्ण होने के बावजूद, “उसके कई रास्ते हो सकते हैं। हमें ऊर्जा परिवर्तन को इसी तरह देखना चाहिए। ओपेक में हम निवेश करना जारी रखेंगे और हमें अगले 20 वर्षों में सैकड़ों अरबों निवेश की जरूरत है।”

 

श्री अल ग़ैस ने जीवाश्म ईंधन उत्पादन में निवेश की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें निवेश करने की जरूरत है, क्योंकि मांग बढ़ने की संभावना है।”

 

कतर के ऊर्जा मामलों के मंत्री शेरिदा अल काबी ने कहा कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत वैश्विक ऊर्जा जरूरतों को पूरी तरह से हल नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, “यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करते हैं। यह मानवता के अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।”

 

गुयाना गणराज्य के प्राकृतिक संसाधन मंत्री विक्रम भरत ने कहा कि गुयाना के अपतटीय क्षेत्र में पाया गया नया हाइड्रोकार्बन समृद्धि की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा, “गुयाना के अपतटीय क्षेत्र में नई हाइड्रोकार्बन खोज ने दुनिया को हमारी ओर आकर्षित किया है। हमारी नीति बहुत सरल है। जितनी जल्दी हो सके हाइड्रोकार्बन को जमीन से बाहर निकालें और उसका उपयोग पारंपरिक क्षेत्रों के निर्माण में करें। तेल के लिए दरवाजे बंद हो रहे हैं, गैस के लिए नहीं।”

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