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ग्रेटर नोएडा वेस्ट में निवासरत बारह लाख की आबादी बुनियादी सुविधाओं से वंचित

सी एम पपनैं
दिल्ली एनसीआर (ग्रेटर नोएडा)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अंतर्गत आने वाले उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा के 3,635 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए उपनगर का एक भाग है ग्रेटर नोएडा वेस्ट, जिसमें करीब सोलह गुर्जर बहुल गांवों को समाहित किया गया है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उक्त क्षेत्र की जनसंख्या मात्र एक लाख सात हजार के करीब थी जो वर्तमान में बढ़कर बारह लाख के करीब आंकी जा रही है। उक्त क्षेत्र में निवासरत लाखों की आबादी विगत एक दशक से भी अधिक समय से बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। शासन-प्रशासन की लप्पेबाजी में उलझी हुई है।
अवलोकन कर ज्ञात होता उक्त क्षेत्र में केंद्रीय अवकाश प्राप्त सरकारी व गैर सरकारी कर्मचारियों तथा मध्यम आय वर्ग के लोगों द्वारा अपना आशियाना बनाया गया है। दिल्ली में कार्यरत उक्त सभी अवकाश प्राप्त जनों द्वारा दिल्ली में निर्मित फ्लैटों, मकानों व जमीन की अति महंगी दरों को देख ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अपना आशियाना बना सपरिवार शिफ्ट कर गए थे। अवकाश प्राप्त लोगों के शिफ्ट होने का क्रम बिल्डरों द्वारा निर्मित गगन चुंबी इमारतों में निरंतर बना रहा है। आंका जा रहा है वर्ष 2025 तक ग्रेटर नोएडा वेस्ट की आबादी करीब पंद्रह लाख के आंकड़े को पार कर जायेगी।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में निवासरत अवकाश प्राप्त हजारों सेवानिवृत केंद्रीय कर्मचारियों की अगर बात करें तो वे सभी देश के वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में आते हैं। कुछ तो केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से उच्च पदों से अवकाश प्राप्त हैं जिनमें उत्तराखंड व बिहार के लोगों की बड़ी संख्या नजर आती है। उक्त पदस्थ लोगों में अधिकतर जीवन के करीब सत्तर-अस्सी वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं। उक्त वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ सुरक्षा के साथ-साथ बहुत सी ऐसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अभाव है जिसकी उन्हें सख्त जरूरत है। उक्त अति आवश्यक जरूरतों को पूर्ण करने हेतु केंद्र और राज्य सरकार से जुड़ा शासन-प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
अवकाश प्राप्त वरिष्ठ केंद्रीय कर्मचारियों हेतु सीजीएचएस डिस्पेंसरी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक की कोई सुविधाए नहीं है, जिसकी वजह से सभी सीजीएचएस कार्ड धारकों को विशेष कर वरिष्ठ नागरिकों को पंद्रह से बीस किलोमीटर की दूरी मेडिकल सुविधाओं हेतु नोएडा के सेक्टर 82, सेक्टर 11 या ग्रेटर नोएडा डिस्पेंसरी में माह में दो से तीन बार अनुमति लेने के लिए, दवाइयां लिखवाने के लिए और इंडेंट की गई दवाइयां को लेने के लिए चार सौ से पांच सौ रुपया तक एक तरफ का ऑटो या टैक्सी किराया देकर आना-जाना पड़ता है। क्योंकि इस पूरे क्षेत्र में किसी भी प्रकार की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था, मैट्रो, रैपिड मैट्रो व मेट्रो फीडर सेवा इत्यादि की कोई भी सुविधा शासन-प्रशासन द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
उक्त क्षेत्र में निवासरत अवकाश प्राप्त केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ निम्न व मध्यम आय वर्ग के जनमानस को भी भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ता है। काम काजी लोगों को अपने छोटे-मोटे रोजगार हेतु दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद इत्यादि इत्यादि जगहों पर जाना होता है। मैट्रो तथा सिटी बस सेवा के आभाव में कैब या ‌ऑटो ही उनका एक मात्र सहारा होता है। जिनको हायर करने पर देय भाड़ा लोगों की जेब पर भारी बोझ होता है। 
अवलोकन कर ज्ञात होता है, दिल्ली में सामान्य व्यक्ति मात्र 60 रुपयों में दिल्ली के एक कोने से दूसरे कोने तक का सफर तय कर गंतव्य तक पहुंच सकता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोगों का निकटतम मैट्रो स्टेशन नोएडा सेक्टर 52 है। उक्त स्थान तक शेयरिंग ऑटो वाले 50 से 60 रुपये तक एक तरफ का किराया चार्ज करते हैं। उसके बाद गंतव्य तक का सफर तय करने हेतु मैट्रो किराया अतिरिक्त होता है। देखा गया है, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में शेयरिंग ऑटो भी हर समय उपलब्ध नहीं होते हैं, न ही क्षेत्र के विभिन्न इलाकों तथा रेलवे व बस स्टेशन जाने के लिए कोई सुविधा उपलब्ध है। ऐसी परिस्थिति में लोगों को टैक्सी या ‌ऑटो ही बुक कराने पड़ते हैं, भारी भरकम भाड़ा चुकाना होता है। उक्त बुनियादी सुविधाओं के अभाववश अनेकों लोग जो इस क्षेत्र में अपना आशियाना बनाना चाहते हैं खरीदे गए मकानों व फ्लैटों में शिफ्ट करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के उक्त इलाके में बिल्डरों द्वारा निर्मित फ्लैट्स और शॉपिंग माल तो निरंतर निर्मित होते और व्यवसाय करते देखे जा सकते हैं परन्तु आम जन के सरोकारों से जुड़े बुनियादी सुविधाओ के नाम पर कुछ भी होता दिखाई नहीं दे रहा है। उक्त इलाके के लाखों वाशिंदों द्वारा नोएडा, गाजियाबाद तथा दिल्ली से सार्वजनिक परिवहन सेवाओं जैसे मैट्रो तथा सिटी बस से जोड़ने हेतु अनेकों बार शासन-प्रशासन से आग्रह किया जा चुका है, वरिष्ठ नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा स्थानीय सांसद डॉ. महेश शर्मा के माध्यम से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व स्थानीय विधायक पंकज सिंह के माध्यम से अन्य संबंधित विभागो के मंत्रियों व अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया जा चुका है।
उक्त क्षेत्र के प्रबुद्ध जनों के प्रतिनिधि मंडलों को आश्वासन शासन-प्रशासन व नेताओं द्वारा समय-समय पर दिया जाता रहा है, परन्तु धरातल पर कुछ भी होता नजर नहीं आता है। अति आवश्यक बुनियादी सुविधाओ से क्षेत्रीय जनमानस वंचित, त्रस्त व अभावग्रस्त बना हुआ है, उनका हाल बेहाल है। उक्त क्षेत्र में निवासरत लाखों लोग निराशा में डूबे हुए नजर आते हैं। अवकाश प्राप्त अनेकों वरिष्ठ केंद्रीय कर्मचारी सीजीएचएस डिस्पेंसरी की सुविधा के अभाव में इस लोक को अलविदा कह परलोक भी सिधार गए हैं।
अवलोकन कर प्रत्यक्ष देखा जा सकता है, दिल्ली एनसीआर से जुड़े शहरों गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़ इत्यादि इत्यादि में मैट्रो, रेपिड मैट्रो व सिटी परिचालन की अच्छी व्यवस्थाएं चलायमान हैं।रेल, हवाई और बस स्टेशनों तक उक्त शहरों से आवागमन की अच्छी सुविधाए हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बारह लाख लोग उक्त बुनियादी सुविधाओं से क्यों वंचित हैं? उनकी सुध क्यों नहीं ली जा रही है? पूछा गया है क्षेत्र के कुछ प्रबुद्ध जनों में प्रमुख अनिल रस्तोगी, देवेन्द्र प्रसाद कुकरेती, गोपाल सिंह रौतेला, रमेश चन्द्र भट्ट, राजीव नयन शर्मा, मैथ्यू जोश (साया जिओन, ग्रीनो वेस्ट), अनुपमा मिश्रा (काशा ग्रीनस वन), दीपा जोशी (पंचशील ग्रीन टू विलाश) इत्यादि इत्यादि दर्जनों लोगों द्वारा।
अवलोकन कर ज्ञात होता है, दिल्ली एनसीआर के आसपास के शहरों में फ्लैटों तथा मकानों की आसमान छूती कीमतों को देखते हुए निम्न व मध्यम आय वर्ग तथा केन्द्र सरकार से अवकाश प्राप्त लोगों के सम्मुख विकल्प ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बसने का रहा है। अनुमानन वर्तमान में ग्रेटर नोएडा वेस्ट की जनसंख्या बारह लाख से अधिक है। कई हाउसिंग सोसाइटियों के प्रोजेक्ट्स निर्माणाधीन हैं। पूर्ण हो चुके अनेकों प्रोजेक्ट में लोगों को अभी तक कब्जे का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। निर्माणाधीन हाउसिंग सोसाइटियों के प्रोजेक्ट्स पूर्ण होने पर इस क्षेत्र की जनसंख्या पंद्रह लाख के आंकड़े को पार कर जाएगी, कयास लगाया जा सकता है।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में निर्माण कर रहे बिल्डरों द्वारा विगत एक दशक से भी अधिक समय से फ्लैट खरीदारों को आश्वस्त किया जाता रहा है, आवागमन की सुविधाए जल्द शुरू होने जा रही हैं, बेहतर सुविधाओं हेतु शासन-प्रशासन द्वारा नीति नियोजन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। उक्त लारे-लप्पो को व्यक्त कर, लोगों को गुमराह कर बिल्डर सैंकड़ों फ्लैट बेच कर करोड़ों का लाभ कमा चुके हैं, स्थापित सरकारे भारी भरकम टैक्स वसूल चुकी हैं। जनमानस अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
विगत दशक में दो लोकसभा व दो विधानसभा के चुनाव भी हुए हैं। राजनैतिक पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं द्वारा भी जनमानस को चुनावी बैठकों व आयोजित रैलियों में स्थानीय जनमानस को बुनियादी सुविधाए मुहैया करवाने के लिए आश्वासन दिए जाते रहे हैं, उक्त आश्वासन व दावे भी खोखले नजर आए हैं। स्थानीय जनमानस व फ्लैट खरीदार अपने आप को सदा ठगा सा महसूस करते रहे हैं।
अवलोकन कर ज्ञात होता है देश के प्रत्येक प्रान्त के लोग बड़ी संख्या में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में निवासरत हैं। स्थानीय वीर गुर्जर बिरादरी के लोगों की अच्छी खासी आबादी के साथ-साथ पूर्वांचल, बिहार और उत्तराखंड के लोग भी बड़ी संख्या में उक्त क्षेत्र में निवासरत हैं। शासन-प्रशासन से जुड़े शीर्ष अधिकारियों और नेताओं की अगर चाहत रहे तो ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अवकाश प्राप्त केंद्रीय कर्मचारियों की सुविधा हेतु सी जी एच एस डिस्पेंसरी, निवासरत लाखों लोगों की सुविधा हेतु नोएडा, गाजियाबाद तथा दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन सेवाओं जैसे मैट्रो, रैपिड मैट्रो, मैट्रो फीडर, राज्य परिवहन बस सेवा तथा सिटी बस सेवा उपलब्ध करवा कर अनेकों समस्याओं से निजात दिलवाई जा सकती है। लोगों के खर्च का बोझ कम व समय की बचत करवाई जा सकती है, निः स्वार्थ भाव, संकल्प लेकर।
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