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हिमालय उद्यम विकास के व्यवसायिक संवर्धन पर ‘बिजनिश उत्तरायणी 2019 मानिला मीट’ सम्पन्न

सी एम पपनैं
मानिला (अल्मोड़ा)। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रो मे व्यवसायिक जागृति, स्वरोजगार से संसाधनों के संवर्धन एवम पलायन के विरुद्ध एक सशक्त अभियान के अंतर्गत ‘बिजनिस उत्तरायणी’ द्वारा 25-26 दिसंबर को मानिला (अल्मोड़ा) पी.जी.कालेज मे
उत्तराखंड के उघमिता विकास से जुडे अनेकों ज्वलंत मुद्दों पर सार्थक चर्चा सम्पन्न हुई। उक्त बैठक स्थानीय उघमी जी एस चौहान के सानिध्य मे स्थानीय उघमियों के सहयोग से ‘बिजनेस उत्तरायणी-2019 मानिला मीट’ नाम से आयोजित की गई थी।
हिमालयी उद्यम के संवर्धन व उत्थान हेतु आयोजको द्वारा पहली बैठक का आयोजन 18 फरवरी 2019 को विश्व युवक केंद्र चाणक्यपुरी, नई दिल्ली मे ‘हिमालयन हाइट्स विजनेश उत्तरायणी 2019’ नाम से आयोजित की गई थी। दूसरी बैठक 12 अक्टूबर बंगलुरु मे तथा तीसरी 30 नवंबर को फरीदाबाद मे आयोजित की गई थी।
उक्त आयोजित बैठके उत्तराखंड के प्रवासी युवाओ व उघमियो के लिए अभूतपूर्व, उत्साहवर्धक व प्रेरणादायी साबित हुई थी। मानिला (अल्मोड़ा) मे आयोजित इस चौथी बैठक मे उत्तराखंडी मूल के प्रबुद्ध प्रवासी उघमियों के साथ-साथ स्थानीय उघमियों, मानिला पी.जी.कालेज के प्राध्यापकों, छात्रो तथा स्थानीय प्रबुद्ध जनों की बड़ी संख्या मे भागीदारी रही।
गणमान्य स्थानीय आयोजकों, अतिथियों व उघमियों के करकमलों दीप प्रज्वलन की रश्म अदायगी के साथ आयोजित उघम विकास कार्यक्रम का श्रीगणेश हुआ।
बिजनिस उत्तरायणी संस्थापक नीरज बवाड़ी द्वारा आयोजित कार्यक्रम के लक्ष्यों तथा विगत महीनों मे नई दिल्ली, बंगलुरु तथा फरीदाबाद मे आयोजित बैठकों का ब्योरा व मिली सफलता के बावजूद अवगत कराया गया। पी.जी.कालेज प्रिंसिपल डॉ ललिता प्रकाश शर्मा द्वारा सभी उघमियो का कालेज सभागार मे स्वागत किया गया। अपने वक्तव्य मे बिजनिस उत्तरायणी द्वारा उद्यम विकास बैठक के प्रयास को प्रभावशाली व स्थायीय युवाओ के उज्जवल भविष्य के विकास हेतु अति लाभकारी व महत्वपूर्ण बताया।
आयोजन प्रायोजक स्थानीय उघमी जी एस चौहान ने अपने स्वागत भाषण मे सभी स्थानीय उघमियों का आयोजन मे सहयोग देने हेतु धन्यवाद दिया। उत्तराखंड के सुदूर मानिला मे देश के प्रवासी उघमियो को एक मंच पर लाने व उत्तराखंड के उद्यम विकास की योजना को संकल्प के साथ बढ़-चढ़ कर सफल बनाने की योजना हेतु बिजनिस उत्तरायणी सदस्यों को बधाई दी। स्थानीय मानिला के सुविख्यात लोकगायक हीरा सिंह राना को दिल्ली सरकार द्वारा बोली-भाषा अकादमी का उपाध्यक्ष बनाए जाने व पहली बार गृह क्षेत्र आगमन पर स्थानीय संस्थाओं, ग्रामीणों व ग्राम पंचायत सदस्यों की ओर से बधाई दी। उत्तराखड की लोक संस्कृति व बोली-भाषा को बचाने व स्मृद्ध करने के लिए आजीवन किए गए सु-प्रसिद्ध लोकगायक के कार्यो का जिक्र कर सराहना की।
व्यक्त किया, उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए लोगों ने शहादत दी। मातृशक्ति व युवा दिल्ली पहुचे। दुर्भाग्य, समस्याओं के ज्वलंत प्रश्न आज भी बने हुए हैं। राज्य कल्पनानुसार नही बन पा रहा है। राज्य के संसाधनों का दोहन राज्य हित मे होता तो राज्य समृद्धशाली बनता। नए राज्य की कल्पना प्रश्न बनी हुई है। खेती बंजर, गांव खाली तथा मकान खंडहर स्थिति मे हैं, जो सोचनीय है। उत्तराखंड राज्य माफियाओं के हाथ में जा रहा है। जो डर था, वही हो रहा है। माफिया काबिज हो गया है। राज्य की दयनीय स्थिति बनी हुई है। उम्मीदों के साए मे लोगों द्वारा किया गया राज्य आंदोलन सफल नहीं हो पाया है।
व्यक्त किया, आज की पीढ़ी को जागृत करना है। कैसे व्यवसाय पैदा किए जाय, सोचा जाना चाहिए। आज की बैठक इसी से सबद्ध है। व्यक्त किया, आज बैल पड़ाव जहां बैल बिकते थे, एक लाख लोग जिस व्यवसाय से जुड़े हुए थे, बंद हो गया है। बैल बिना व्यवसाय बंद, खेती बंजर व लोग बेरोजगार हो गए हैं। व्यवसाय नोकरी बन गई है। खेती से ध्यान हटा है। दूध दोह, गाय जंगल में छोड़ बेसहारा हो गई है। किसानों के खेत चर रही है। प्रशासन सुनता नही है। चुने प्रतिनिधियों की सोच नही है।विद्यालयों मे पद खाली पड़े हुए हैं, भर्ती नही हो रही है। सड़क सफाई साल में एक बार होती है। नकदी फसलों का उत्पादन सिकुड़ गया है। फसले जैविक हैं, लेकिन खेती नही हो रही है। फल आधारित उद्योग लगे तो क्षेत्र का विकास संभव है। स्थानीय नदियों में छोटे-छोटे डैम बना कर पर्यटन को बढ़ाया जा सकता है। प्रकृति सुंदर है, उसका लाभ लिया जा सकता है। होटल, रिसोर्ट तभी सफल हो पाएंगे। पलायन रोकने व उघोग खुलवाने के लिए समर्पित व्यक्तित्व के लोग पहाड़ो मे स्वरोजगार के क्षेत्र मे कार्य करे। किसानों के उत्पादित उत्पाद लोगों तक पहुचे।
अन्य उघमियों व अतिथि वक्ताओं मे बिल्लेख (रानीखेत) मे अव्वल डेलीशस सेव उत्पादन के क्षेत्र मे अग्रणी गोपाल दत्त उप्रेती, शॉपिंग स्ट्रीट के को फाउंडर सीए कुंदन सिंह बिष्ट, राजस्थान के उघमी डॉ शंकर गोयंका, कर्नल (डॉ) डी पी डिमरी, डॉ गोरखनाथ, रविंद्र रावत, वी एन लकचोरा, चंद्रमोहन पपनैं, चारु तिवारी, पोखरम इंस्टीट्यूट रानीखेत के निर्देशक त्रिभुवन सिंह बिष्ट, यूएन जीसीएनआई के इग्जूकिटिव डायरेक्टर कमल सिंह बिष्ट तथा उत्तराखंड कुमांऊनी, गढ़वाली व जौनसारी बोली-भाषा दिल्ली सरकार के पहले नवनियुक्त उपाध्यक्ष हीरा सिंह राणा ने उद्यम विकास हेतु सारगर्भित महत्वपूर्ण विचार रखे।
यूएनजीसीएनआई के इग्ज्यूकिटिव डायरेक्टर कमल सिंह बिष्ट ने अपने संबोधन मे वैश्विक स्तर पर हो रहे युवा उद्यमियों के प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा चलाए जा रहे सस्टैनेबल डैभलपमैंट गोल्स के तहत सम्पूर्ण उत्तराखंड में उद्यमिता विकास के लिए की जा रही महत्वपूर्ण व उपयोगी जानकारी से अवगत कराया।
उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कला की विशेषताओं, जैविक कृषि एवं फलोत्पादन के क्षेत्र में अनंत संभावनाओंं, मॉड्यूलर फर्नीचर, बिजनिस नेटवर्किंग, महिलाओं की उद्यमिता विकास के क्षेत्र में विशेष भूमिका तथा भविष्य की अनंत संभावनाओं में महिलाओं की सहभागिता, कौशल विकास एवं स्वरोजगार की व्यापक जानकारी, होटल मैनेजमैन्ट एवम् चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े उघमिता विकास की संभावनाओ पर वक्ताओ द्वारा उनके अपने स्वयं के द्वारा किए जा रहे कार्यो, अनुभवो तथा उन्हे स्वयं को मिल रही सफलताओ के बावजूद अवगत कराया गया।
वक्ताओ ने प्रबुद्ध व्यवसायियो का आह्वान कर व्यक्त किया, आप सब आगे बढ़ें और उत्तराखंड में यथा संभव व्यवसायिक उद्यम स्थापित करने का प्रयास करें। पलायन के विरुद्ध सरकार के उदासीन रवैए के चलते स्वरोजगार एवं उद्यमिता विकास ही भविष्य में पहाड़ों की एकमात्र संभावना है, जिसे सम्पन्न प्रवासी बन्धु यदि अपना लें तो निश्चित तौर पर उत्तराखंड विकास की दौड़ में अग्रसर हो जायेगा। छोटे-छोटे लघु उद्योगों से भी उत्तराखंड के स्वरूप को बदला जा सकेगा।
उघमी वक्ताओ द्वारा मानिला सहित उत्तराखंड के अन्य सभी क्षेत्रो मे भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत युवाओं को कौशल विकास की ट्रेनिग  के बल पहाड़ों में उद्यम शुरू करने की अपनी तैयारियों से अवगत कराया गया। उघमी वक्ताओ द्वारा बिजनिस उत्तरायणी के सानिध्य मे पहाड़ों में युवा उघमियो द्वारा किए जा रहे कार्यों में बढ़-चढ़ कर पूर्ण सहयोग देने के वायदे की बात कही गई।
भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए उघमी वक्ताओ द्वारा व्यवसाय में पहाड़ के संसाधनों को बिना क्षति पहुचाए, दोहन कर, किस प्रकार सार्थक उपयोग किया जा सकता है, अवगत कराया गया। उघम विकास की अनंत संभावनाओ पर प्रकाश डालते हुए, उससे जुड़े विभिन्न आयामों से उत्तराखंड के समुचित विकास की ओर सबका ध्यान केंद्रित किया। उत्तराखंडियों को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट हो व्यवसायिक सहभागिता पर काम करने का आह्वाहन उघमी वक्ताओ द्वारा किया गया।
राष्ट्रीय एवम् अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड की प्रतिभाओं के शानदार प्रदर्शन एवम् समर्पण को साक्षी मान सभी युवाओं का आह्वान किया गया। व्यक्त किया गया, सब एकजुट हो साहसिक प्रयास करें तथा अपने ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यम स्थापित करे। कहा गया, युवाओ के सतत प्रयासों से ही भारत एवम् उत्तराखंड में नई ऊर्जा से भरपूर संभावनाएं तलाशने हेतु बल मिलेगा।
हिमालयी उद्यम विकास के संवर्धन व उत्थान पर निरंतर 2007-2008 से कार्यरत बिजनिस उत्तरायणी संस्था हिमालयन क्षेत्रो मे पलायन रोकने के लिए एक अलग प्रकार की मुहिम, जिसमे राष्ट्रीय सहभागिता का सामूहिक प्रयास मुख्य लक्ष्य है। साथ ही व्यवसायिक सरोकारो के विकास हेतु मिलकर काम करने की सोच पर कार्यरत है, प्रबुद्ध वक्ताओ द्वारा संस्था की कार्ययोजना को सराहा गया।
प्रबुद्ध वक्ताओ ने व्यक्त किया, संस्था से जुड़े प्रबुद्ध उत्तराखंडियों मे विख्यात विदेशी कम्पनियो तथा भारत सरकार मे उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों के साथ-साथ समाज से जुड़े सु-विख्यात समाजसेवी, ख्यातिप्राप्त साहित्यकारो तथा पत्रकारो के जुड़ने से संस्था के महत्व, स्तर व कार्यरूप को पहचाना जा सकता है।
उद्यमीयों ने व्यक्त किया, उत्तराखंड से निरंतर बढ़ते पलायन से खाली होते गांवो व जटिल पहाडी खेती-किसानी से लोगों के अलगाव को विराम देने के उद्देश्य से संस्था जहां उनसे जुड़े प्रबुद्ध समाजसेवियों के बल देश-विदेश के निवेशकों को लुभाने की कोशिश कर रही है, वक्ताओ द्वारा इस प्रयास को सराहा गया। नई दिल्ली, बेंगलुरु तथा फरीदाबाद मे आयोजित बैठको से संस्था को बिजनेश नेटवर्क बनाने मे जो आशानुकूल बल मिला, उसकी भी वक्ताओ द्वारा सरहना की गई।
वक्ताओ ने व्यक्त किया, संस्था के उद्देश्यानुसार वे सब मिलजुल कर आगामी बैठको मे प्रबुद्ध प्रवासी उघमियों को आपस मे जोड़, भविष्य की योजना बना, औद्योगिक अवसर मिलने पर उत्तराखंड का ग्रामीण व शहरी स्तर पर ओद्योगिक विकास मिलजुल कर सके, इस उद्देश्य पर कटिबद्ध रहेंगे।
वक्ताओ द्वारा संस्था की मुहिम, ‘कुछ लोग साथ जुड़ कर उत्तराखंड मे निवेश कर, संयुक्त उपक्रम स्थापित कर, नए आयाम स्थापित करे’, इस उद्देश्य को सराहा गया। उपस्थित प्रबुद्ध जनो द्वारा सारगर्भित चर्चा कर, संभावनाओ को तलाश, उद्देश्य को धरातल पर उतारने की मुहिम को प्रतिबद्धता के तहत स्वीकार किया गया।
प्रबुद्ध वक्ताओ ने राय व्यक्त कर कहा, पिछले आयोजनों की तरह देश के अन्य उत्तराखंडी प्रवासी बहुल कस्बो व शहरो मे कार्यक्रम आयोजनों के माध्यम से उत्तराखंड के प्रवासी उघमियों को प्रेरित कर हिमालय के व्यवसायिक सरोकारो, स्वरोजगार व उघमिता विकास हेतु योजना बद्ध तरीके से कार्ययोजना पर सारगर्भित चर्चा कर, योजना बना, उत्तराखंड के समुचित उत्थान, संवर्धन की नींव रखने हेतु सभी प्रवासी उद्यमियों को जागृत करना नितान्त आवश्यक है, जिससे उत्तराखंड से निरंतर बढ़ते जा रहे पलायन पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
उत्तराखंड मे उत्पादित कृषि उत्पादों व स्थानीय अन्य उघमो मे युवाओं की रूचि बढाने। पलायन की रफ्तार पर लगाम लगाने। प्रवास मे निवासरत उत्तराखंड के प्रवासियों को उनके मूल गांवो की ओर वापसी की राह दिखाने। उत्तराखंड के जनसरोकारों के उत्थान व संवर्धन हेतु निरंतर कार्य कर, संस्था के उद्देश्यो को मिलजुल कर सफल बनाने हेतु सभी वक्ताओ ने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
इस अवसर पर प्रवासी उघमियो द्वारा कालेज प्रिंसिपल डॉ ललिता प्रकाश शर्मा के सानिध्य में प्रवासी उघमी गोपाल रावत के उद्ययोग निर्मित एनडी मसालों का लोकार्पण भी किया गया। सु-विख्यात लोकगायक हीरा सिंह राणा ने अपने संबोधन के बीच मनोहारी लोकगीत भी प्रस्तुत किए। जिनके बोल थे-
1-अ हारे जमाना, ओ हो रे जमाना….। सबु है बे ठुल है गो दुनि मे पैस…।
2- गढ़वाली कुमांऊनी जौनसारी भाषा अकादमी है ग्य्ये हमारी….।
3- यो हरिया स्यारी…।
आयोजकों द्वारा सभी उघमियो, वक्ताओ व कालेज प्राध्यापको व छात्रो को प्रशस्ति प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
उत्तराखंड के जनसरोकारों से जुडी महत्वपूर्ण बैठक का संयोजन एवम मंच संचालन संस्था संस्थापक नीरज बवाड़ी द्वारा बखूबी किया गया।
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