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सेवा करना मेरे जीवन का मूल मकसद–सुरेश चंद्र पांडेय

देवभूमि उत्तराखंड के लोग आज देश-विदेश में अपनी मेहनत का लोहा मना रहे हैं। देश की राजनीति से लेकर बड़े-बड़े पदों पर सुशोभित होकर उत्तराखंड प्रदेश का नाम रोशन करते नजर आ रहे हैं। देश मैं कहीं क्षेत्रों व उद्योगों क्षेत्र में भी अपना नाम कमा रहे। उत्तराखंड के मूल निवासी अपनी मूल जड़ों से जुड़ कर प्रदेश का नाम और अपने गांव परिवार का नाम रोशन करते हुए अपनी संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने में भी प्रयासरत रहते हैं। आज amarsandesh.com आपको ऐसी शख्सियत से रूबरू करा रहा है जो अपनी मेहनत और लगन और परिवार के आशीर्वाद से आज एक मुकाम पर पहुंचकर समाज के हित में भी काम कर रहे हैं। उत्तराखंड प्रदेश के मूलनिवासी वर्तमान में बड़ोदरा निवासी सूरेश चंद्र पांडेय उद्योगपति एवं समाजसेवी मूलता उत्तराखंड समाज से हैं और आप अभी तक अपने समाज से जुड़े हुए, एक बहुत नामी सुप्रसिद्ध और एक सफल बिजनेसमैन होने के साथ ही सरल स्वभाव मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी सुरेश चंद पांडे ने अमर sandesh.com को बताया कि उन्होंने जीरो से शुरू करके आज इस मुकाम पर पहुंचे है, ये सब ईश्वर की कृपा और मेरे माता पिता के आशीर्वाद और मेहनत का ही असर है, ऐसा तो नहीं है कि मैं एक बहुत बडे परिवार से हूं, किंतु यह सब मेरी मेहनत और ईमानदारी के माध्यम से ही मैंने यह मुकाम हासिल किया है।

 

इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि व्यक्ति को कभी भी अपनी मूल जड़ें नहीं भूलनी चाहिए , उन्होंने बताया कि 1989 में जब उन्होंने शुरुआत की तो उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा किंतु उस वक्त में उनके साथ ऐसे कई लोग थे जिन्होंने उनकी आगे बढ़कर उनका हौसला अफजाई और उन्हें प्रेरणा दी यही कारण है आज के समय में एक सफल बिजनेसमैन होने के बाद भी आज वे संघर्ष करने वाले लोगों की मदद करने कि हर संभव प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया की यह सब लोगों के प्यार और भगवान के माध्यम से ही यह मुकाम हासिल किया है, और जिन लोगों ने उनकी संघर्ष के दिनों मे हौसला अफजाई की वह आज भी उनके दिल में छाप छोड़ गए हैं, यही कारण उनको प्रेरणा देता है कि वह अन्य लोगों की मदद करें एक सफल कामयाब इंसान बनने में। और जब उनकी सफलता के पीछे उनकी प्रेरणा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपनी पत्नी का नाम लेते हुए बताया कि उनकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उनकी पत्नी का है।

आगे उन्होंने बताया कि मेरे पास 80 परसेंट स्टाफ उत्तराखंड मूल का है उन्होंने कहा जब मैं संघर्ष के दिनों में था तो मुझे याद है कि मैंने किस तरह से अपना जीवन व्यतीत किया। लेकिन ईश्वर ने मुझे इस लायक बनाया तो मैं विशेषकर उत्तराखंड मूल के लोगों लिए कुछ करने का प्रयास करता रहता हूं, और आगे भी करता रहूंगा। उन्होंने का मुझे अपनी संस्कृति अपनी देवभूमि से बहुत ही लगाओ है मैं प्रदेश के लोगों के और प्रदेश के विकास के लिए हर संभव प्रयास करता रहूंगा।

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