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अर्थव्यवस्था के निर्माण में इस्पात महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है : प्रधान

आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण में इस्पात की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए श्री प्रधान ने कहा विश्व औद्योगिक क्रांति 4.0 से गुजर रहा है। बड़े डेटा संकलन, डिजिटलीकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थव्यवस्था और समाज में आमूल बदलाव ला रहे हैं। इस तरह के बड़े व्यवधानों के बावजूद आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण में इस्‍पात महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

भारत के बदलते आर्थिक परिदृश्‍य पर बोलते हुए उन्होंने कहा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली हमारी सरकार निर्णायक, सुधारवादी और दूरदर्शी है। एक फौलादी इरादे के साथ भारत की उद्यमशीलता की भावना के साथ काम करते हुए हम प्रधानमंत्री की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की परिकल्‍पना को साकार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।  उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश 2024 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेगा। श्री प्रधान ने कहा कि इस्‍पात उद्योग को अपनी क्षमता और ताकत का एहसास होना चाहिए और इसका भरपूर इस्‍तेमाल करना चाहिए।

देश में इस्‍पात की खपत पर श्री प्रधान ने कहा भारत में इस्‍पात का इस्‍तेमाल बढ़ना तय है। हमने देश में इस्‍पात के उचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड बिल्डिंग के तहत एक सहयोगात्मक अभियान “इस्पाती इरादा” शुरू किया है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं देश में इस्पात के उपयोग को और बढ़ावा देंगी। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव है, जिसमें इस्पात की बहुत खपत होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था खपत पर आधारित है और जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा इस्‍पात की खपत में तेजी आएगी।

इस्‍पात का एक बड़ा निर्यातक बनने की भारत की महत्वाकांक्षा के बारे में बोलते हुए श्री प्रधान ने कहा ऐसी कोई वजह नहीं है कि हम इस्पात क्षेत्र में बड़े निर्यातक नहीं बन सकते। राष्ट्र के विकास के लिए हमें घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए और इस्‍पात का बड़ा निर्यातक देश बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न बाधाओं को पार करने में इस्‍पात उद्योग को मदद करना जारी रखेगी। उन्‍होंने इस्‍पात क्षेत्र से घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने का आह्वान किया और सहायक क्षेत्रों को मदद देने की अपील की। उन्होंने इस्‍पात उद्योग से अपने संसाधनों की पूलिंग करने और संयुक्‍त परि‍वहन सुविधाएं विकसित करने पर विचार करने के लिए कहा।

भारत द्वारा क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी समझौता – आरसीईपी से हटने के हाल के फैसले को इस्‍पात के लिए बड़ी राहत बताते हुए केन्‍द्र मंत्री ने कहा कि आरसीईपी की मौजूदा व्‍यवस्‍थाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री द्वारा इससे बाहर रहने के फैसले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि उसके लिए राष्‍ट्रीय हित सर्वोपरि है। सरकार का यह फैसला इस्‍पात क्षेत्र के सा‍थ ही अन्‍य क्षेत्रों के लिए भी फायदेमंद रहेगा। सरकार के विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाने के हालिया निर्णय पर श्री प्रधान ने कहा कि कारोबार में बने रहना सरकार का काम नहीं है। सार्वजनिक उपक्रमों को अधिक प्रतिस्पर्धी और उत्पादक बनना होगा क्योंकि उनका स्वामित्व देश के आम आदमी के हाथों में है। इस अवसर पर “भारतीय इस्पात उद्योग की स्थिति” पर एक रिपोर्ट जारी की गई।

श्री प्रधान ने इस अवसर पर भारतीय इस्‍पात संघ द्वारा विभिन्‍न श्रेणियों में दिए गए पुरस्‍कार बांटे।1) इकोनॉमिक टाइम्‍स की सहायक संपादक राखी मजूमदार और स्‍टील 360 की संपादक मीता मुखर्जी को ‘इस्‍पात पर उत्‍कृष्‍ट पत्रकारिता’ का पुरस्‍कार दिया गया।2) हैदराबाद की मेटालर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरीज के रक्षा वैज्ञानिक डॉ बालामुरलीकृष्‍णन को एक शिक्षण संस्‍थान / अनुसंधान और प्रयोगशाला में उत्‍कृष्‍ट अनुसंधान का पुरस्‍कार दिया गया। 3) रामकृष्‍ण फोर्जिंग को इस्‍पात उद्योग में नवाचार का पुरस्‍कार दिया गया। 4) लार्सन और टुब्रो कंपनी ने इस्‍पात की घरेलू बिक्री में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए पुरस्‍कार जीता।

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