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उत्तराखंड मूल के उच्च अधिकारियों द्वारा स्थापित ‘उत्तरायणी’ का वार्षिकोत्सव सम्पन्न

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड मूल के उच्च अधिकारियों द्वारा स्थापित संस्था ‘उत्तरायणी’ का वार्षिकोत्सव इंडिया इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र, लोधी रोड मे 23 नवंबर को भव्य सांस्कृतिक आयोजन तथा संस्था द्वारा प्रकाशित स्मारिका 2019-20 के लोकार्पण के साथ सम्पन्न हुआ।
वार्षिकोत्सव का श्रीगणेश कुमांऊनी शगुन आखर-शगुना देशा कोंना दे..रामी चंद्र, लछिमना…के बोलो के साथ ‘उत्तरायणी’ अध्यक्ष कर्नल (डॉ) बिपिन चंद्र पांडे, उपाध्यक्ष क्रमशः जी डी गौड, इंदु भाष्कर भट्ट, सचिव ब्रिज मोहन सुन्दरियाल, कोषाध्यक्ष के एन पांडे, सह सचिव लोकेश गैरोला, संगठन सचिव डॉ एस एस असवाल, तथा सांस्कृतिक सचिव डॉ सरिता पाठक यजुर्वेदी व अन्य गणमान्य सदस्यों एल एस नेगी, उमा पांडे के कर कमलों दीप प्रज्वलन कर किया गया।
अध्यक्षीय संबोधन मे कर्नल (डॉ) बिपिन चंद्र पांडे द्वारा आयोजन मे सरीक सभी प्रबुद्ध संस्था सदस्यों का आभार व्यक्त किया गया। संस्था सदस्यों को परिवार की संज्ञा दे, सभी को विशिष्ट गणमान्य कहा। संस्था के समग्र उत्थान में सभी सदस्यों की वैचारिक एकता की सराहना की। संस्थापक सदस्यों जे पी ममगाई, लाल सिंह नेगी इत्यादि के कार्यक्रम मे पधारने पर हर्ष व्यक्त किया। प्रकाशित स्मारिका मे प्रबुद्ध लेखको के आलेखों व स्मारिका संपादक मंडल को सहयोग हेतु धन्यवाद दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ निधि जोशी पाठक, दीप्ती ध्यानी व भावना के गाए मांगल गीत के बोलो व बाल कलाकारों के नृत्य से हुई।
1-दैणा होया खोली का गणेशा…दैणा होया बद्री- केदारा..।
2-बद्रीनाथा-केदारनाथा महादेवा देवो को भगवाना…नंदादेवी बागनाथा…।
‘उत्तरायणी’ सचिव बृजमोहन सुन्दरियाल द्वारा उत्तराखंड के पलायन, पर्यटन, धार्मिक स्थानों, नदियों इत्यादि के महत्व पर निर्मित लघु फिल्म को स्क्रीन पर प्रदर्शित कर, उत्तराखंड का सु-प्रसिद्ध लोकगीत-
बेडू पाको बारा मासा, ओ नरैण काफल पाको चैता…।
की प्रस्तुति राग दुर्गा मे नृत्य के साथ प्रस्तुत किया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाए जाने वाले, स्व.ब्रजेन्द्र लाल साह रचित सु-प्रसिद्ध लोकगीत की समाप्ति पर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
उमेश साहू हारमोनियम तथा श्रद्धानंद द्वारा तबला मे दी गई संगत मे शास्त्रीय गायिका वसुन्धरा रतूड़ी द्वारा राग दुर्गा मे-
1-लगन तुझसे लागि रे…सुन्दर बाबा…।
2-हे जगत वंदिनी…विपद नि हरी…राज-राजेश्वरी जगत वंदिनी…माता भवानी..।
शास्त्रीय गायन को बहुत प्रशंसा मिली। श्रोताओं ने खड़े होकर, बड़ी देर तक तालियों की गड़गड़ाहट कर, शास्त्रीय गायिका को सम्मान प्रदान किया।
गुरु नंदिनी सिंह जयपुर घराने से सबद्ध उभरती कथक नृत्यांगना श्रीवर्णा रावत द्वारा उत्तराखंडी प्रख्यात पहाड़ी गीतों-
1-चैतो की चैत्वाला…।
2-फुलड़िया….।
3-शिव जी की जटा छोड़ी…।
4-पायेलिया छम-छम बाजे..।
पर कत्थक नृत्य की विविधता भरी प्रभावशाली छटा बिखेर, श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
स्क्रीन पर उत्तराखंड के जन जीवन के क्रियाकलापो पर आधारित लघु फिल्म, ‘मेरा डांडियों का मुलुक’ शीर्षक कुमांऊनी गीत के दृश्यांकन के साथ उत्तरायणी कोषाध्यक्ष के एन पांडे “खिमदा” तथा भूपाल सिंह बिष्ट द्वारा हास्य लघु नाटक का मंचन किया गया। नाटक की पटकथा ठीक-ठाक तथा दोनों पात्रों का अभिनय सराहनीय था।
अपार ख्याति की ओर अग्रसर उत्तराखंड की उभरती गायिका रिया भट्ट के गाए गढ़वाली व कुमांऊनी लोक गीत श्रोताओं द्वारा बहुत सराहे गए। लोकगीतों के बोल थे-
1-छम-छम बगदू छचड़ो को पाडी…।
2-विधाता ले क्या-क्या रचा छो, विष्णु माया गुम छैला- छैला…।
आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के गायन की बेहतरीन प्रस्तुतियों मे पूर्व रेसीडेंट कमिश्नर शंकर दत्त शर्मा (हारमोनियम), कैलाश पांडे, पी एन शर्मा, आर एस ठाकुर (तबला) की संगत मे प्रस्तुत कुमाऊँ की बैठ होली ने धमाल मचा, श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
ब्रजभाषी होरी गायन के बोल थे-
1-संग होली…सखीरी… होली खेलत…रहे…।
2-आज रंग है बृज मे री…चयल खेले होरी..कैसे रंग हैं आज बृज मे..डमरू बजत है री..मुरली बजत है..शंख बजत है री…।
के एन पांडे “खिमदा” के सानिध्य मे खड़ी होली की प्रस्तुति मे भुवन रावत व महेंद्र लटवाल के होली गीत के बोल-
ओ हो हो मोहन गिरधारी…चीर चुराय कदम चढ़ि बैठी…।
ने भी नृत्य व गायन के द्वारा धमाल मचाया। नर्तकों ने जम कर होरी गीत मे नृत्य की छटा बिखेरी।
आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम मे नरेश बिष्ट द्वारा प्रस्तुत न्योली, आशाराम नोटियाल द्वारा समाज पर कटाक्ष स्वरूप प्रस्तुत गढ़वाली हास्य कविता ‘ढाँगा से साक्षात्कार’, मीना कंडवाल द्वारा गाए ‘गिर्दा के जन गीत’ तथा मंजू सुन्दरियाल द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य श्रोताओं द्वारा सराहे गए।
मंचित लोकगीत व नृत्यो का संगीत निर्देशन नरेंद्र नेगी ‘अजनवी’ (सन्थिथाइजर वादक) द्वारा वाद्यसंगतकारों- तबला-श्रद्धानंद, ढोलक-महेश गंधर्व, बांसुरी- सुभाष सुण्डली, हुड़का-भुवन रावत, ऑक्टोपैड-खेम चंद्र शास्त्री के संगत मे बखूबी प्रस्तुत किया गया।
‘उत्तरायणी’ द्वारा प्रकाशित स्मारिका 2019-20 के लोकार्पण के साथ-साथ 1 अक्टूबर 2019 को संस्था द्वारा इंडिया इंटरनैशनल सेंटर नई दिल्ली मे ‘जल संचय’ पर आयोजित संगोष्ठी पर आधारित पुस्तक ‘जल जीवन है’ का लोकार्पण उत्तरायणी के प्रबुद्ध पदाधिकारियो व गणमान्य सदस्यों के हाथों सम्पन्न किया गया।
वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य पर ‘उत्तरायणी’ द्वारा मंचित सांस्कृतिक कार्यक्रम से जुड़े करीब चालीस कलाकारों को प्रशस्ति पत्र गणमान्य सदस्यों व पदाधिकारियो के हाथों प्रदान किए गए।
सेवानिवर्त सीनियर डायरेक्टर (एचआर) & चीफ विजिलैन्स आफिसर जी डी गौड़ उपाध्यक्ष ‘उत्तरायणी’ द्वारा नवगठित कार्यकारिणी पदाधिकारियो, प्रबुद्ध संस्थापक सदस्यों सहित अन्य सभी सदस्यों, प्रकाशित स्मारिका संपादक मंडल, विज्ञापनदाताओं तथा सभागार मे बैठे सभी सदस्यों के परिवारों का धन्यवाद करने के साथ ही वार्षिकोत्सव के समापन की घोषणा की।
कार्यक्रम मंच संचालन मीना कंडवाल, के एन पांडे ‘खिमदा’ तथा डॉ सरिता पाठक यजुर्वेदी द्वारा बखूबी किया गया।
‘उत्तरायणी’ संस्था उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के सांस्कृतिक, साहित्यिक, आर्थिक एवं सामाजिक सरोकारों के क्षेत्र मे विगत दो दशकों से एक समाज सेवी संस्था होने के नाते जन चेतना जगा कर क्षेत्र के सामाजिक व आर्थिक विकास मे महत्वपूर्ण योगदान देने मे तत्पर रही है।
पर्वतीय क्षेत्र मे जनसरोकार के कार्यो से जुडी संस्थाओं से जुड़ कर समाज की स्मृद्धि हेतु नए प्रयोग कर रही है। रोजगारोन्मुख दक्षता बढाने हेतु भवन निर्माण कार्य, उत्तराखंड की लोक परम्पराओ के संरक्षण, उनकी स्मृद्धि व प्रचार-प्रसार पर कार्य, उत्तराखंड के दूर दराज इलाकों में समय-समय पर देश के प्रतिष्ठित संस्थाओं से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टरों की सहायता से निः शुक्ल स्वास्थ शिविरो का आयोजन करती आई है। केदार घाटी मे घटित भौगोलिक आपदा मे तन-मन-धन से संस्था द्वारा सराहनीय योगदान दिया गया था।
उत्तराखंड के जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर संस्था द्वारा एक संगोष्ठी 1 अक्टूबर 2019 को आईआईसी नई दिल्ली मे आयोजित की गई थी। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों पर विगत बीस वर्षों से ‘उत्तरायणी’ ने अपने ‘सीखो- कमाओ-लौटाओ’ की नीति के पथ पर चल कर अपने उद्देश्य मे सफलता प्राप्त कर ख्याति अर्जित की है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की भौगोलिक भिन्नता के कारण उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की समस्याऐ थोड़ी भिन्न किस्म की हैं। जिस पर संस्था निरंतर कटिबद्ध होकर काम कर रही है। संस्था सदस्यों का मानना है, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पर्वतीय क्षेत्रो की समस्याऐ और बढ़ गई हैं। पलायन ने भीषण महामारी का रूप धारण कर लिया है। रोजगार के अवसर और सामान्य जन सुविधाओं के अभाव के चलते, ग्रामीण निरंतर शहरो की ओर रुख कर रहे हैं। पर्वतीय विकास का कोई मॉडल नही है।
‘उत्तरायणी’ सदस्यों का कहना है, जिस तपोभूमि ने निजता को सार्वजनिकता मे बदलने का ज्ञान दिया, उसे आज की निजता उपेक्षा मे बदल रही है। यह संस्था आज अपने उत्तराखंडी मूल के प्रबुद्ध प्रवासी बन्धुओ से अपने जड़ो की ओर लौटने की आकांक्षा रखती है।
‘उत्तरायणी’ संस्था के उद्देश्य व जनसरोकारों के कार्यो मे मिल रही सफलता का ही प्रतिफल रहा है, वर्तमान में इस संस्था से उत्तराखंड मे जन्मे देश के सर्वोच्च नोकरशाहो जनरल बिपिन रावत, अश्विनी लोहानी (सीईओ एअर इंडिया), सतीश तिवारी (आईएएस), रविंद्र पवार (आईएएस), हेम पांडे (आईएएस), ले.जनरल जयवीर सिंह नेगी, एन पी नवानी (रि.आईएएस), एल के जोशी (रि.आईएएस), के आर्या (रि.आईएएस) दिनेश भट्ट (आईपीएस), कमल सिंह ईडी&सीईओ यू एन ग्लोबल कॉम्पैक्ट, एस डी नोटियाल जॉइंट सैकेट्री पार्लियामेंट इत्यादि उच्च पदों वाले करीब चार सौ पचास अधिकारी जुड़े हुए हैं।
‘उत्तरायणी’ के उद्देश्य। संस्था से जुड़े गणमान्य सदस्यों की गरिमा। संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यो की रूपरेखा। अब तक संस्था को मिली अपार सफलता व भविष्य की कार्य प्रणालियों का अवलोकन कर कयास लगाया जा सकता है, उच्च नोंकरशाहो व बुद्धिजीवियों से सुसज्जित गठित यह सम्मानित संस्था उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र मे जंगली जानवरों से चौपट हो रही खेती-किसानी से निजात दिलवाने। आजीविका की तलाश मे शहरो व महानगरो की ओर निरंतर हो रहे पलायन से खाली हो रहे गांवो की दुर्दशा को रोकने। स्वास्थ, शिक्षा, रोजगार की दयनीय दशा को सुधारने। बढ़ते नशे के प्रचलन पर रोक लगाने। ग्रामीण जनो के सर्वहित मे कड़ा भूमि कानून बनवा, बाहरी लोगों द्वारा भूमि की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने तथा चकबंदी को प्राथमिकता देने जैसे ज्वलंत मसलो को प्राथमिकता के आधार पर संस्था की कार्ययोजना मे शामिल कर, स्थानीय लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित कर, पर्वतीय क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की पहल हेतु कदम बढायेगी।
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