देश जब अखंड और मजबूत है, तभी राजनीति और सत्ता है: नड्डा
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने EZCC, सॉल्ट लेक, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 (A) के उन्मूलन विषय पर विशाल जन-जागरण कार्यक्रम को संबोधित किया और कई मुद्दों पर पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कुछ तीखे सवाल पूछे। कार्यक्रम में उन्होंने धारा 370 के उन्मूलन पर एक पुस्तिका भी जारी की। ज्ञात हो कि धारा 370 की समाप्ति से देश को अवगत कराने और जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए देशवासियों से एकजुट होने की अपील करने हेतु भारतीय जनता पार्टी 01 सितंबर 2019 से 30 सितंबर 2019 तक पूरे देश में व्यापक जनसंपर्क एवं जनजागरण अभियान आयोजित कर रही है जिसके तहत ही यह कार्यक्रम आज कोलकाता में आयोजित किया गया। ज्ञात हो कि कार्यकारी अध्यक्ष दो दिवसीय प्रवास पर आज से पश्चिम बंगाल में हैं जहां वे कई कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। श्री नड्डा ने कहा किजम्मू-कश्मीर को हिन्दुस्तान का अभिन्न अंग बनाने के आंदोलन की शुरुआत पश्चिम बंगाल की धरती से ही हमारे प्रथम अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने की थी और देश में ‘एक विधान, एक प्रधान और एक निशान’ का नारा देते हुए देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।यह केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी है जो देश की आजादी से लेकर आज तक जम्मू-कश्मीर पर अपने स्टैंड पर खड़ी रही और धारा 370 एवं 35 (A) को विलोपित करते हुए इसे भारत के अभिन्न अंग के रूप में प्रतिस्थापित किया। कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि देश की आजादी के बाद सरदार पटेल के नेतृत्व में 600 से अधिक राजे-रजवाड़ों का विलय भारतवर्ष में हुआ लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी ली और आज तक जम्मू-कश्मीर में समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी, एनसी और पीडीपी ने लगातार देश और दुनिया को गुमराह करते हुए धारा 370 को जम्मू-कश्मीर के लिए स्पेशल स्टेटस देने वाला संवैधानिक अंग बताया जबकि संविधान के अनुसार यह टेंपररी और ट्रांजिशनल है। उन्होंने कहा कि जब धारा 370 अस्थायी है तो फिर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 (A) के हटाने का विरोध क्यों? क्या उनके लिए देश से बढ़ कर वोट बैंक की राजनीति है, क्या उनके लिए देश बढ़ कर कुर्सी और सत्ता है? क्या यही उनकी देशभक्ति है?
श्री नड्डा ने तृणमूल कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि देश अखंड और मजबूत है, तभी राजनीति और सत्ता है। और वैसे भी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के शासन का अंत निश्चित है। तृणमूल कांग्रेस जाने वाली है, भारतीय जनता पार्टी आने वाली है और इसके बारे में लोक सभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की जनता ने स्पष्ट संकेत दे दिया है। उन्होंने कहा कि देश सेवा के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर हम सबको साथ में मिल कर काम करना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि ममता बनर्जी इस मौके को चूक गई। अब तृणमूल कांग्रेस को पतन से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता इस मुद्दे पर ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस से सवाल पूछे लेकिन उनमें न जवाब देने की ताकत है और न ही पश्चिम बंगाल की जनता और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को रोकने की ताकत। कार्यकारी अध्यक्ष ने ममता बनर्जी का इस मुद्दे पर समर्थन करने वाली पार्टियों पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए धारा 370 की समाप्ति पर अपने देश को ही कठघरे में खड़ा करते हैं और उनके बयानों का उपयोग पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के खिलाफ अपनी दलीलों में करता है। क्या ये हिंदुस्तान में रह कर पाकिस्तान की वकालत कर रहे हैं? क्या यही इनकी देशभक्ति है जो अपनी तुच्छ वोट बैंक की पॉलिटिक्स के लिए देश की एकता व अखंडता के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकती? श्री नड्डा ने कहा कि धारा 370 तथा 35 (A) के कारण जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार अपनी जड़ें गहरी करता चला गया और इसी का परिणाम है कि जम्मू-कश्मीर में आज तक समस्याएं बनी रहीं। आजादी के 70 साल बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृह मंत्री एवं हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कुशल रणनीति के बल पर पहली बार हमने जम्मू-कश्मीर की समस्याओं के पूर्ण समाधान, राज्य के विकास और वहां रहने वाले लोगों के जीवन-स्तर में सुधार लाने के ठोस प्रयास शुरू किये हैं। धारा 370 के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में एक भी गोली नहीं चली है और न ही इसमें कोई मौत हुई है। हम जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा, समृद्धि और विकास के लिए कृतसंकल्पित हैं।
श्री नड्डा ने देशवासियों को याद दिलाते हुए कहा कि शेख अब्दुल्ला के प्रभाव में पंडित नेहरू द्वारा किस तरह धारा 370 लागू किया गया और पहले विधान सभा चुनाव में प्रजा परिषद् के उम्मीदवारों के फॉर्म को एक साजिश के तहत रिजेक्ट करते हुए किस तरह से जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को ही हाईजैक कर लिया गया। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच में ‘दिल्ली अकॉर्ड’ भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ था। यह समझौता न तो हस्ताक्षरित था और न ही संवैधानिक। इसके अनुसार यह निर्णय लिया गया कि जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान होगा। संसद के कानून जब तक जम्मू-कश्मीर की विधान सभा से पारित नहीं होगा, तब तक जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगा। इसके कारण एक ही देश में दो प्रधान, दो विधान और दो निशान की नींव पड़ी। कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि धारा 370 और 35 (A) को हटाने का फैसला राष्ट्रहित में लिया गया है। इस फैसले से देश के हर नागरिक के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की पूरी आवाम खुश है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में अब देश की मुख्यधारा से जुड़ पायेगा और हर क्षेत्र का विकास हो पायेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय बनाने की साजिश की लेकिन उसे हर जगह मुंह की खानी पड़ी और मोदी सरकार की सफल विदेश नीति और कूटनीति के कारण उसे कदम-कदम पर मात ही मिली। देश के बनाए गए सभी क़ानून अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे। अपने अधिकारों से वंचित गुर्जर, बकरवाल और वाल्मीकि समुदाय के लोगों को भी उनका हक़ मिलेगा। विधान सभा और लोक सभा की कुछ सीटें भी आरक्षित होंगी और वर्षों से मतदान के अधिकार से वंचित लोगों को उनका अधिकार मिलेगा। अब वे चुनाव भी लड़ सकते हैं और अपना भाग्य खुद तय कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक केंद्र सरकार से जो भी पैसा जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए भेजा जाता था, उसे जम्मू-कश्मीर में राज करने वाले तीन घराने मिल कर भ्रष्टाचार के जरिये हजम कर जाते थे लेकिन अब ये पैसा सीधे जम्मू-कश्मीर की आवाम की भलाई में काम आयेगा।