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उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासियों मे जनसरोकारों के दर्शन

सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड यूथ एसोसिएशन एवं दिल्ली एनसीआर की जनसरोकारों से जुडी अनेकों संस्थाओं द्वारा सुप्रसिद्ध शहीद देव सिंह नेगी (उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी व गैरसैण राजधानी समर्थक) के परिवार के आर्थिक सहायतार्थ गढ़वाल भवन मे आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम मे बड़ी संख्या मे प्रवासी सांस्कृतिक, सामाजिक व बौद्धिक संस्थाओं से जुड़े प्रबुद्ध लोगों की बड़ी संख्या मे प्रशंसनीय भागीदारी देखी गई। आयोजित कार्यक्रम की खूबी रही, इसमे कोई मुख्य अतिथि या अन्य अतिथि नही था। जनसरोकारों से जुड़े प्रबुद्ध पुरुषों व महिलाओं की भरमार थी। जिस किसी ने आर्थिक मद मे हाथ बढ़ाया, उक्त परोपकारी को सम्मानित मंच पर स्थान दे, सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रतिभागियों को सम्मानित करने, प्रमाणपत्र देने व स्मृतिचिन्ह देने का अवसर प्रदान किया गया। उक्त विधि को खचाखच भरे सभागार मे बैठै श्रोताओं द्वारा स्वीकारा व सराहा गया, हर्ष व्यक्त किया गया।
आयोजित कार्यक्रम मे आयोजको द्वारा उत्तराखंड के लगभग सभी पक्ष-विपक्ष के प्रबुद्ध सांसदों व अन्य सुधी राजनीतिज्ञयो को सादर आमंत्रण भेजा गया, जनसरोकारों से जुड़े लोगो की हौसलाअफजाई हेतु। दुर्भाग्य! कोई नही आया।  यह दुर्भाग्य आयोजको व  खचाखच भरे सभागार मे उपस्थित दिल्ली एनसीआर के आसपास से पहुचे करीब आठ सौ प्रबुद्ध लोगों का नही, वरन उन राजनीतिज्ञयो का आंका गया, जिन्हे प्रवासी जन के बीच समय-समय पर आदर सम्मान अर्जित कर अपनी व्यक्तिगत साख का होवा उच्च हाईकमान तक पहुंचा कर, बुलंदिया हासिल करनी होती है।
अति प्रभावशाली व मनोहारी मंचित सांस्कृतिक कार्यक्रम को दो वर्गो मे बाट कर देखा जा सकता था, कनिष्ठ वर्ग व वरिष्ठ वर्ग। गायक कलाकारों के कर्ण प्रिय गायन व बज रही मधुर संगीत की धुनों  ने खचाखच भरे सभागार मे बैठै श्रोताओं को न सिर्फ मंत्रमुग्ध किया, बल्कि देर तक उन्हे तालियों की गड़गड़ाहट करने को विवश भी किया।
भुवन रावत का हुड़के की थाप मे गाई छपेली-
लौंडा रे गोबिंद सुरु रु मुरली बाजिगे….।
आशा नेगी-
1- भारत का वीरो अमर रे जाया..।
2- माया लौंडा मालुआ बैराठ की छना, गोरी मुखड़ी रजूली सौके की च्यैली..।
रेनू गौण पोखरियाल-
सुण ले दगड्या बात सुणी जा…याद त्येरी संग रैली…आँख मे अन्यार त्येरी…।
आशा नोटियाल-
हे फोखंडिया हे हे … किले छोड़ी गये… द्विआँखिया तुम किले छिन्दके…त्युथे यो विले किले छोड़ी दी…।
सगुन उनियाल-
हो देव बाबा की याद या…बाबा जी की ड्यूटी लद्दाख बॉर्डर मा…कन मे बंदूक डाड्युक कि हवा…चन्द्रसिंह गढ़वाली जैले नाम कमायो…।
प्रियांशी मिश्रा-
पहाड़ो ठण्ड पाणी, मीठी बाणी, छोड़नी नि लागनी…ज्युन मा बरफ पड़ी छा… सुकिल पहाड़ छोड़ि…।
कल्पना चौहान-
गाड़ो गुलोबन्द को नगीना, तुमथे म्येरी सासु ब्यारी की अगीना…खट्टी मिट्ठी दी दे ल्युण की डईमा…।
सत्येन्द्र फण्डरियाल-
ऊंची नीची डांडी झख, हरि भरी स्यारी भख, दयप्तो को वास…जग बद्री केदार बाट हो…ऊंचो हिमाला..ऊंचो…ऊ हिमाला ऊंच शिवाला…।
सौरव कपटवाल-
न दौड़ न दौड़ तै हुनर का बाटा…बरखा बतुडमा…।
बंदना उनियाल-
ह्यून का दिना फिर मोड़ीऐगीना…स्वामी ज्यू तुम बिना…आँखों मे पीड़ थर थर चुंद… कुशल मंगल स्वामी तुमुकै चानू.. ज्योन लगदु स्वामी जी तुम बिन…।
मुकेश शर्मा-
हिमाल को ऊंचा डना…प्यारो गांव छबीलो गढ़वाल, मयरो रंगीलो कुमाउं…यो भूमि जनम म्यरो…।
लोकगीतो के गायन के साथ-साथ लघु नाटिका ‘तुडम तुडा’ का प्रभाव शाली मंचन दर्शको को बहुत भाया। मंचित नाटक मे हरेंद्र रावत, गिरधारी रावत, कुलदीप असवाल, रवीन्द्र रावत ‘गौरी’ व दलवीर रावत ने अपनी अदाकारी व व्यक्त संवादो से प्रवासी श्रोताओं को पलायन सम्बन्धी मसले पर गहन मंथन करने को मजबूर किया।
हम उत्तराखंडी छो…..
लोकगीत के बोलो मे भगवंत मनराल के ख्यातिप्राप्त ग्रुप द्वारा मंचित आकर्षक उत्तराखंड के विविध शैलियों व परिधानों से युक्त लोकनृत्यों का मनोहारी मंचन श्रोताओं के नयनो व मन- मष्तिष्क मे छाता दिखा। उत्तराखंड के सांस्कृतिक जनजीवन से जुड़े धार्मिक उत्सव, वीरता, आंदोलन, खेत-खलिहानों की गीत- संगीत परिपाठी मंचित विविध नृत्य शैलियो के माध्यम से प्रभावशाली रूप मे दृष्टिगत हुई।
उत्तराखंड के सु-विख्यात गढ़वाली लोक कवि रमेश घिंडियाल की स्व-रचना काव्य पाठ-
उत्तराखंड राज्य बना उन्नीस साल हैग्यु…सोच भयो कैक बाण उत्तराखंड बडायो..क्वैल कुछ न पायो.. कुण कुगड़ी बांजी छना…गरीब छन फाक छन… इन उत्तराखंड देखी भला हमूल बणायो…आज मिली भैबन्धो हम कसम खोलों…देवो का बलिदान…हम सब मिली उत्तराखंड बनोलो…।
रमेश घिंडियाल का काव्य पाठ आयोजित ‘शहीद देव सिंह नेगी व उन जैसे अनेको बलिदानियों के स्वप्न आधारित था, जिसे सत्तासीनों ने चकनाचूर कर दिया है।
आयोजित कार्यक्रम की विशेषता रही, प्रातः 10 बजे से सांय 5 बजे तक दिल्ली एनसीआर इर्दगिर्द के इलाकों से प्रबुद्ध जन सैकड़ो की तादात मे आते-जाते रहे, शहीद देव सिंह नेगी के परिवार को आर्थिक मदद मे योगदान देने हेतु।
उत्तराखंड यूथ एसोसिएशन के जिन प्रबुद्ध प्रवासी जनसरोकारों से जुड़े समाजसेवियों ने आयोजन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उनमें प्रमुख रूप से अनिल पंत, प्रेमा धोनी, दलवीर सिंह रावत, जगमोहन जिज्ञासु, नरेश देवरानी, कैलाश पांडे, सतीमोहन कोटनाला व देव सोटियाल का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम मे लोकसंगीत की धुनों को बड़ी सिद्धत से सवारने मे भूमिका निभाई थी, अरुण तिवारी (पैड) पर, शेखर भट्ट (हुड़का), संजय (की बोर्ड), गौरव पंत (ढोलक) व मुकेश (तबला) पर। मंच संचालन राहुल सती ने अति प्रभावशाली व बेबाक अंदाज मे बखूबी किया।
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