ये चारों युवा प्राकृतिक परिवेश में स्वरोजगार के जरिए कई अन्य युवाओं को भी रोजगार दे रहे हैं
जगमोहन डांगी
पौडी गढवाल।पलायन का शहर गए नौजवानों को गांव लौटने की राह दिखा रहे पौडी गढ़वाल के कैंडूल गांव के चार युवा आज जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस सक्रमण के चलते ठहर सी गई हैं। सारे उद्योग धंधे रूक गए जिसका सबसे बड़ा असर इस क्षेत्र में कार्यरत कामगारों पर पड़ा इस संकट के समय जो बचा हैं। वह हैं। खेती -बाड़ी जिससे जुड़े किसान अपने ही नही बल्कि देश के लिए भी अंनदाता की बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। उत्तराखण्ड के परिपेक्ष में कहा जाए तो अपने खेत खलिहान से जुड़े कुछ लोग आज अपने संघर्षों के माध्यम से न सिर्फ अपने खेत खलिहानों को आबाद कर रहे हैं।
बल्कि अपना घर गांव छोड़ कर छोटी बड़ी कम्पनी में हाड़ तोड़ मेहनत कर दो जून की रोठी कमाने के लिए संघर्षरत नौजवानों को अपने घर गांव लौटने की राह भी दिखा रहे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली,नोयडा,देहरादून चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों से नौकरी छोड़कर गांव में आकर स्वरोजगार कर रहे पौडी गढ़वाल के कैंडूल गांव के चार युवाओं ने,जो कृषि एवं बागवानी कार्य कर जैविक सब्जियां उत्पादन कर विरोजगार एवं पलायन करने वालो युवाओ को भी राह दिखा रहे हैं। पौडी गढ़वाल के कैंडूल गांव के रॉबिन रावत,पर्पेन्द्र रावत,संदीप रावत,सुखदेव सिंह नेगी चारो युवकों ने अपनी पुरानी बंजर भूमि को चेक बनाकर खुद अपने निजी प्रयासों से घेड़बाद कर सामूहिक खेती करना प्रारम्भ किया जिसकी सफलता युवाओ की हाथ लगी और पहले ही खेप में बंजर भूमि ने सोना उगला बड़ी परिश्रम से 10 कुंटल आलू स्थानीय क्षेत्र में ही बेचे साथ प्रयाप्त मात्रा में अपनी नर्सरी में गेहूं की खेती भी लहरा रही हैं। इन दिनों इनकी मेहनत की नर्सरी में मिर्च-धनिया,बीन्स, टमाटर, चकुंदर, बैगन, सीताफल,सब्जियां तैयार हैं।
इन्होंने सारी सब्जियों के बीज सोलन हिमाचल प्रदेश से स्वयं लाए इन चारों युवाओ के सामने खेतो में सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नही हैं। खेतो में वर्षों पुरानी नहर जगह -जगह क्षतिग्रस्त हो रखी है। लेकिन इन युवाओ ने हार नही मानी स्वयं के प्रयासों से नहर की मरमत की जिला उद्यान अधिकारी कोटद्वार डॉ एस एन मिश्रा ने बताया की उनके संज्ञान युवाओं की यह पहल के बारे में संवाददाता के माध्यम से पता चला उन्होंने क्षेत्र में तैनात उद्यान निरीक्षक को आदेश कर दिए की वह स्वयं स्थल पर जाकर निरीक्षण कर युवाओ से सम्पर्क कर उनका हर सम्भव सहयोग एवं मार्ग दर्शन करे। वही इन नौजवानों का कहना हैं। कि हम संघर्षों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। शहर के प्रदूषण और भीड़ भाड़ से दूर एक सुंदर प्राकृतिक परिवेश में स्वरोजगार के ज़रिए कई अन्य लोगो को भी रोजगार दे रहे हैं। इन युवाओं का कहना हैं। कि हमारे साथ मुहीम में परिजन भी खेती बाड़ी सहयोग कर रहे हैं।
हम परिवार के साथ अपनी मेहनत के साथ खेत खलिहानो में खुश हैं। आपको बता दे कि इन नौजवानों ने अपनी नर्सरी में रहने के लिए दो मंजिला झोपड़ी बना रखी हैं।वही जंगली जानवरों से खेती को बचाने के लिए चार कुत्ते पाल रखे हैं। जो जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा करते हैं। यदि यैसे नौजवानों को सरकार की तरफ से समय समय पर सहयोग प्रदान किया जाता हैं। तो एक दिन हम कह सकते है। कि पहाड़ से हो रहे निरंतर पलायन को रोका जा सकता है। साथ ही खंडर हो चुके पहाड़ो को भी आबाद किया जा सकता हैं।