जारी वर्ष में 90,000 दिव्यांगों को कौशल विकास प्रशिक्षण का लक्ष्य निर्धारितः गहलोत
रोजगार को सशक्तिकरण की प्रमुख पूॅजी करार देते हुए दिव्यांगतनों के कौशल विकास के लिये योजनाओं की तैयारी पर खासा जोर देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि सरकार ने जारी वर्ष में 90,000 दिव्यांगों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
राजधानी दिल्ली में सामाजिक अधिकारिता एंव न्याय मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनों के लिए कौशल विकास हेतू राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि दिव्यांग लोगों के कौशल विकास को बढ़ावा देने के उदेश्य से केंद्र सरकार ने विगत वर्ष दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 लागू किया था। उन्होंने यह भी जानकारी दी की कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से दिव्यांजन सशक्तिकरण विभाग ने मार्च 2015 में राष्ट्रीय कार्य योजना की ‘ाुरूआत की थी। इसके अलावा दिव्यांजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा अलग से संचालित की जा रही दिव्यांगजन अधिनियम कार्यान्वयन योजना एसआईपीडीए का जिक्र करते हुए श्री गहलोत ने कहा कि अभी तक सभी कार्यक्रमों के तहत 1 लाख 40 हजार दिव्यांगो को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
गौरतलब है कि भारत ने दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट संघ के घोषणा पत्र (यूएनसीआरडीपी ) पर अप्रैल 2017 में हस्ताक्षर किये थे। इसके बाद भारत ने आरपीडब्यूडी अधिनियम को अधिनियमित करते हुए इसमें संयुक्त राष्ट के घोषणापत्र की मूलभावना को ‘ाामिल किया था। अभी तक पूरे देश में 26 सरकारी संगठनों सहित 232 गैर सरकारी संगठन दिव्यांगों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम कौशल विकास एंव उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने दिव्यांगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए पेट्रोलियम तथा गैस मंत्रालय एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की औैर से पूर्ण आश्वासन दिया, श्री प्रधान ने कहा कि कौशल विकास कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए रोजगार के अवसरों में पर्याप्त वृद्धि करनी होगी।
वर्तमान में 28 राज्यों में 258 प्रशिक्षण केंद्र संचालित हो रहे हैं तथा एक केंद्रशासित प्रदेश ने भी दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में स्वयं को सूचीबद्ध किया है।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती ‘ाकंुतला डी गैमलिन ने स्वतंत्र जीवन यापन के लिए आर्थिक सशक्तिकरण को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सशक्तिकरण लाभकारी नकद मजदूरी के रोजगारों या स्वरोजगार के जरिये ही संभव है।
संपन्न कार्यशाला में दिव्यांगजनों के कौशल विकास प्रशिक्षण सहित उनके नियोजन, रोजगार और बाजार मांग आदि कई मुद्दों पर विचार विर्मश हुआ। चार सत्रों में संपन्न हुई इस एक दिवसीय कार्यशाला का विधिवत् उद्घाटन केंद्रीय सामाजिक न्याय एव्र अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने किया जबकि केंद्रीय पेट्रोलियम एवं कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती गैमलिन सहित अन्य अनेक वरिष्ठ अधिकारियों कॉर्पोरेट क्षेत्र तथा राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों व दिव्यांगजन दिव्यांगजन विभाग में सूचीबद्ध प्रशिक्षण केद्रों के संचालकों ने भी शिरकत की।