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छठां ‘ग्लोबल लिटरेरी फेस्टीवल’ 2020 सम्पन्न

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। उत्तर भारत के सबसे सफल और लोकप्रिय साहित्यिक महोत्सव ‘ग्लोबल लिटरेरी फेस्टीवल’ 2020 के छठे संस्करण का आयोजन वेबिनार द्वारा 17 से 19 सितंबर तक डॉ संदीप मारवाह फेस्टिवल प्रेसीडेंट एशियन अकादमी आफ आर्ट एंड इंटरनेशनल चैंबर आफ मीडिया एंड इंटरटैंमैंट इंडस्ट्री की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। तीन दिनों तक आयोजित साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन सु-विख्यात लेखिका मृदुला गर्ग व ममता कालिया को लाइफ टाइम अचीवमैंट अवार्ड तथा पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना को अटल बिहारी नेशनल अवार्ड फार प्रमोशन ऑफ आर्ट एंड कल्चर से नवाजा गया।

वैश्विक फलक पर सु-विख्यात, इस साहित्य महोत्सव मे, विगत पांच वर्षो मे आयोजकों द्वारा अनेको नवीन प्रयोग किए जाते रहे हैं। वर्ष 2020 वैश्विक कोरोना संक्रमण संकट के दौर मे वेबिनार द्वारा आयोजित महोत्सव का आयोजन, विशेष व यादगार बन, अनूठी छाप छोड़ता नजर आया। विगत पांच वर्षो से प्रतिवर्ष आयोजित इस साहित्यिक महोत्सव मे समाज के प्रत्येक हिस्से की भागीदारी आम तौर पर, देखी जाती रही है। छोटे-बडे सभी रचनाकारो की रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने का भी यह खास मंच, आंका गया है।

आयोजित महोत्सव मे, तीन दिनों तक साहित्य जगत से जुडी गतिविधियो का प्रभावशाली आयोजन किया गया। महोत्सव में देश-विदेश के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ साहित्यकारों की बड़ी संख्या मे भागीदारी रही। साहित्य जगत से जुड़े जानेमाने साहित्यकार वेबिनार के जरिए, महोत्सव में रूबरू हुए। वैश्विक कोरोना विषाणु संक्रमण के दौर मे साहित्यकारो द्वारा सकारात्मक सोच के तहत, रची गई रचनाओ पर प्रकाश डाला गया।

साहित्य महोत्सव की अध्यक्षता कर रहे डाक्टर संदीप मारवाह द्वारा वैश्विक फलक पर आयोजित किए जा रहे, आयोजन के उद्देश्य व मिली सफलताओ के बावत, अवगत कराया गया। आयोजन को सफल बनाने में वैश्विक फलक पर स्थापित संस्थाओ व 60 विदेशी सरकारों के सहयोग व योगदान की सराहना की गई। आयोजन निर्देशक डाॅ सुशील भारती द्वारा आयोजन की दसवी कड़ी मे भाग ले रहे साहित्यकारों का परिचय दिया। व्यक्त किया, विश्व समुदाय कोरोना संक्रमण मे कैद हो गया है। इस दौर मे साहित्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोरोना संकट मे उपजे हालातो मे साहित्यकारों को कुछ नया करने व सोचने को मिला। रचनाकार कुछ नया करने की ओर बढ़ रहे हैं। डाॅ संदीप मारवाह का सदा साहित्य व साहित्यकारो को आगे लाने व प्रोत्साहन देने मे बड़ा योगदान रहा है।

मुख्य अतिथि, पनामा एम्बेसी आफ इंडिया के रिची बर्ना के सानिध्य मे वेबिनार के द्वारा विचार प्रकट करने वाले प्रबुद्ध साहित्यकारों मे, वालिवुड सिने लेखक दिलीप शुक्ला, लेखिका-पत्रकार सुनीता बुद्धिराजा, लेखिका-कवित्री डेजी वरुण द्वारा कोरोना संकट मे साहित्य ने कैसे निभाई अहम भूमिका, पर विचार व्यक्त किए गए।

प्रख्यात साहित्यकारों द्वारा व्यक्त किया गया, साहित्य कालजयी है। साहित्य मे देशकाल की सीमाऐ होती हैं। साहित्यकार के मन भीतर भाव होते हैं, शब्दों के माध्यम से जिन्हे व्यक्त किया जाता है। साहित्य मजबूत जरिया है, किसी भी स्थिति से निपटने के लिए। हर स्थिति में साहित्य का योगदान रहा है। देश की स्वतंत्रता की लडाई में भी कविताओं, कहानियो इत्यादि का योगदान रहा। व्यक्त किया गया, कोरोना संकट ने वैश्विक फलक पर मानव जाति को उलझा कर रख दिया है। संकट के इस दौर मे पढने का रुझान बढ़ा है। जनमानस ने मुंशी प्रैमचंद के साथ-साथ जिन बडे साहित्यकारो को वे जानते हैं, उन्हे पढ़ा।

व्यक्त किया गया, सारे विषयों को साथ लेकर चलना मुश्किल होता है। कोरोना मे सारा साहित्य काम आया। साहित्यकार बडी बेबाकी से सृजन कार्य करता है। सामाजिक सरोकारों की भावना बडी होती है। कवि की चार लाइने जनमानस पर प्रभाव डाल जाती हैं। हमारे पूर्वज कुछ अमिट गीत व साहित्य उपहार स्वरूप छोड़ गए हैं, जो हमारे लिए संभल बन गए हैं। हमारी संस्कृति, पौराणिक इतिहास, सब साहित्य में समाया हुआ है। कोरोना मे मनोबल को बढ़ाने में, साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आयोजित महोत्सव ने भी, कोरोना संकट मे, काफी प्रभाव डाला है।

प्रबुद्ध साहित्यकारों ने व्यक्त किया, आज कोरोना महामारी की स्थिति में, कैसे हम एक दूसरे से जुड़ गए हैं। डिजिटल मीडिया पहले भी था। हम कोविड़ के डर से घर में नहीं बैठे हैं। कोविड से हमें एक दिशा मिली है, सकारात्मक सोच की। हमारा इस मंच से वेबिनार द्वारा, एक दूसरे से परिचय हुआ है। इस माध्यम एक दिशा मिली है, एक दूसरे को जोडने की। सही दिशा में सोचने का मार्ग दर्शन मिला है। सामान्य परिस्थितियों मे घर में कोई नहीं बैठना चाहता है। हमने अपने को सकारात्मक सोच की ओर अग्रसर किया है। साहित्य, कला, संगीत सबको जोड़ता है। आपातकाल मे कुछ कवियों की कविताऐ बहुत चर्चित हुई थी। साहित्य सृजन जब होता है, प्रतिकूल स्थितियों मे सबको साथ लेकर चलता है। हम किस साहित्य की बात कर रहे हैं? एक दूसरे के हित के लिए लिखा गया ही, साहित्य है। साहित्य में कुछ मिलता है, तो वह संतोष है।

व्यक्त किया गया, सामान्य परिस्थितियो मे कोरोना ने सबको आगे आने का अवसर दिया है। गीतकार, संगीतकार, कवि, साहित्यकार को सकारात्मक दृष्टि से आगे चलने वालो का साधुवाद। हीलिंग पावर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलना सिखाती है। हमने सकारात्मक सोचा, साहित्य लिखा, कविताए लिखी, यह हमने कोरोना संकट से सीखा। कोरोना संकट ने हमें पोजिटिव विस्तार दिया है। नए लोग नए विषय से जुड़ रहे हैं। कैसा लिखे? क्या लिखे? संवेदनाओ से जुड़ कर, लिखा जा सकता है। एक दूसरे से जुड़ कर, लिखा जा सकता है। जिसमें सबका हित हो, वही साहित्य है। साहित्य से मानवीय मूल्यों की राह मिलती है।

साहित्य महोत्सव की दसवी कड़ी
मे सर्वपल्ली डाॅ राधाकृष्णन का पोस्टर लांच किया गया। राही पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित दस लेखिकाओं द्वारा रचित एक पुस्तक भी लांच की गई। अवगत कराया गया, उक्त किताब बारह देशो मे लांच की गई है, जो एमोजोन पर उपलब्ध होगी। उक्त किताब की लेखिकाओ काजल पल्ली, गीता आर अनेजा, सपना खिमानी, नीतिका, मोमिता कोहली, आमना सिंह, मुक्ता नंद, हिना तलवार गुप्ता तथा अचल शर्मा द्वारा किताब व लेखन के बावत प्रकाश डाला गया। समाज व आज की नई पीढी को दिशा दिखा सकने मे किताब सफल होगी, उम्मीद जाहिर की गई।

महोत्सव अध्यक्ष डॉ संदीप मारवाह द्वारा सभी लेखिकाओ का विचार व्यक्त करने व आयोजकों को पुस्तक लांच करने का अवसर प्रदान करने हेतु, धन्यवाद व्यक्त किया गया। अवगत कराया गया, आयोजित वैश्विक साहित्य महोत्सव की बारह मुख्य कड़ियों में 175 साहित्यकारों को मंच प्रदान किया गया। 17 हजार से ज्यादा लोगों द्वारा साहित्य महोत्सव देखा गया। आने वाले दिनों में आयोजक बेहतर कर पाऐगे, विश्वास व्यक्त किया गया। डाॅ संदीप मारवाह ने व्यक्त किया, कोशिश करने से ही मुकाम पर पहुचा जा सकता है, जो निरंतर की जा रही है। अनेको कहानिया हैं, कविताऐ हैं, जो लिखी जाती हैं, जिन्हे लिख कर लोग जनमानस के मध्य जागृति पैदा करेगे। महोत्सव निर्देशक डाॅ सुशील भारती द्वारा सभी साहित्यकारो व बैक स्टेज सहयोगी करुणा शर्मा का प्रतिष्ठित महोत्सव मे सहयोग व भागीदारी कर सफल बनाने हेतु, आभार व्यक्त किया ।

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