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कोरोना महामारी के संकट में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका

सी एम पपनैं

भवाली (नैनीताल)। देश मे कोरोना विषाणु संक्रमण की बढ़ती भयावह संकट की घड़ी में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अनेकों व्यक्तिगत, धर्मार्थ व गैरसरकारी संगठन स्थापित सरकारों व प्रशासन के साथ समन्वय बना कर दिनरात मदद करने में जुटे हुए हैं। प्राप्त आंकड़ो के मुताबिक वर्तमान में हमारे देश में करीब 32,97,044 गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) राज्यो व केंद्र शासित प्रदेशों से उनके सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत हैं।

सामाजिक सरोकारों के हितार्थ इन संगठनों को देश-विदेश की सरकारों द्वारा हजारों करोड़ रुपयों की आर्थिक सहायता प्रतिवर्ष प्रदान की जाती है। देश मे कोरोना विषाणु संक्रमण के बढ़ते दौर में इन सभी गैर सरकारी संगठनों के लिए अपनी उपयोगिता साबित करने का बेहतरीन सु-अवसर सामने आया है, जिसमे ये संगठन संकट ग्रस्त गरीबो, दिहाड़ी मजदूरो, असंगठित क्षेत्रो के कामगारों, बेसहारा और असहाय लोगों की तत्परता से मदद कर अपनी सार्थकता का परिचय दे, अपनी साख बढ़ा सकते हैं।

व्यक्तिगत, संस्थागत व गठित गैर सरकारी संगठन अनेक स्तरों पर बढ़-चढ़ कर देश भर की सरकारों व जिला प्रशासन के साथ मिलजुल कर उनके दिशानिर्देशो के अनुसार असहायों, गरीबो, वंचितों, प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरो, कल -कारखानों मे कार्यरत मजदूरों इत्यादि को कोरोना संकट से उबरने हेतु, उन्हे स्वच्छ वातावरण बनाए रखने, साफ-सफाई करने, समय-समय पर हाथ धोने, क्वैरनटीन मे रहने, मास्क पहने, सोशियल डिस्टैंसिंग बनाये रखने इत्यादि हेतु जागरूक करने के साथ-साथ गठित संगठन लोगों को राशन किट व भोजन पैकेट तथा गेहूं, चावल, तेल, चाय, चीनी इत्यादि जरूरी खाद्य सामान मुहैया कराने का परोपकारी कार्य निष्ठा पूर्वक निभा रहे हैं।

इन्हीं साहसिक गैर सरकारी संगठनो मे एक नाम बहुत तेजी से उभर कर सामने आया है, 1975 मे स्थापित संगठन, महावीर इंटरनेशनल, दिल्ली। संगठन के वित्त अध्यक्ष वी एन शर्मा, पूर्व भविष्य निधि आयुक्त के नेतृत्व मे ‘वीरा विजन’ के तहत दिल्ली के अलग-अलग स्लम व झुग्गी झोपडी इलाकों, यमुना खादर, डीएनडी फ्लाई ओवर, रैनीवैल यमुना ब्रिज, आईटीओ इत्यादि जगहों मे जरुरत मंदो को दिन व रात का ताजा भोजन व राशन किट मे गेहूं, चावल, तेल इत्यादि के वितरण की परोपकारी पहल की जा रही है, जो बहुत सराही जा रही है। इस संगठन के देश-विदेशों मे करीब 400 केंद्र स्थापित हैं, जो स्वास्थ्य व पर्यावरण के क्षेत्र मे प्रमुखता से कार्य कर चर्चा मे बने रह, ख्याति अर्जित कर रहे हैं। कोरोना संकट के इस दौर में यह संगठन 212 सेंटरों के माध्यम से प्रतिदिन देशभर मे सक्रिय होकर कार्य कर रह सरकारों व प्रशासन को मदद कर रहा है।

सूचनानुसार अब तक महावीर इंटर नेशनल नामक यह नामी संगठन वी एन शर्मा के नेतृत्व में 7,43,70,000 रुपये खर्च कर चुका है। 3,66,125 भोजन पैकिट,11,684 राशन किट, 52 हजार मास्क, 65 हजार सैनिटाइजर तथा 871 पीपीई किट वितरित कर चुका है। जिसकी पुष्टि अनेकों सु-विख्यात राष्ट्रीय अखबार व डीडी न्यूज के सभी चैनल कर चुके हैं।

अवलोकन कर देखा गया है, सबसे पहले इस मुहीम से जुड़े संगठन के द्वारा पूरे इलाके को सैनिटाइज किया जाता है। तत्पश्चात लोगों को मास्क प्रदान कर सोशियल डिस्टेंसिंग का पालन करवा कर, बड़ी मात्रा मे भोजन पैकिट व खाद्य किट वितरण का कार्य बड़ी तत्परता से किया जाता रहा है।

केंद्र सरकार द्वारा अधिकार प्राप्त कमेटी गठन के सीईओ व नीति आयोग के अमिताभ दास के मुताबिक कोरोना संकट की इस घड़ी में संपूर्ण देश में करीब 92 हजार गैर सरकारी संगठन सरकार व प्रशासन के साथ मिलकर, दिशानिर्देशो के तहत कार्य कर, जरूरी सामान अभाव व संकट ग्रस्त लोगों तक पहुचा कर सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उक्त संगठनों के साथ-साथ सिविल सोसाइटी के लोगों को भी आने वाले दिनों में एक जुट किए जाने का प्रयास उक्त गठित कमेटी द्वारा किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

गैर सरकारी संगठनों के पंजीकरण के आंकड़ो का अवलोकन कर उन संगठनों पर जो कोरोना महासंकट की इस विकराल होती स्थिति में संगठन के उद्देश्यों की अवहेलना कर, चुपचाप बैठ, इतिश्री कर रहे हैं, हितकर नही है। देश-विदेशों से करोड़ो रुपयों की आर्थिक सहायता के बल चलायमान इन गैर सरकारी संगठनों की तुलना अगर हम देश के समस्त पुलिस कर्मियों की संख्या 18, 51,332 से करे, जो दिनरात कोरोना संकट की इस घड़ी मे अपना बहुमूल्य दायित्व निभा रहे हैं, क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक उनकी संख्या देश के पंजीकृत एनजीओ के मुकाबले आधी है।

अकेले दिल्ली में इन गैर सरकारी संगठनों की संख्या 76 हजार से ज्यादा है, जबकि दिल्ली पुलिस बल की संख्या मात्र 76,664 है। पूर्ण पद भर जाने के बाद यह संख्या मात्र 88,823 ही हो पायेगी। कोरोना संक्रमण की महामारी मे अगर आधे गैर सरकारी संगठन भी कमर कस ले, तो देश के लिए कोरोना संकट की चुनोती का सामना करना ज्यादा आसान हो सकता है। परंतु अधिकांश गैर सरकारी संगठनों की चुप्पी से जनमानस को आभाश होता है, ये संगठन या तो सिर्फ कागजी हैं, या कोरोना संकट से भयग्रस्त हो, कन्नी काट, दर्ज पंजीकृत उद्देश्यों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कयास लगाया जा सकता है, भविष्य मे ऐसे स्वयंहिती संगठनों पर सरकारों की गाज गिर सकती है। उनका पंजीकरण रद्द हो सकता है।

गैर सरकारी संगठनों के कार्यो व मनमानी पूर्ण रवैयो पर सन 2013 मे सुप्रीम कोर्ट में भी सवाल उठे थे। तब कोर्ट द्वारा केन्द्रीय जांच ब्यूरो को इन संगठनों की संख्या व इनके खर्चो व कार्यो का लेखा-जोखा बताने का आदेश दिया गया था। कोर्ट के उक्त आदेश के बाद ही इनकी संख्या व किए जा रहे हथकंडों का खुलासा हुआ था। खुलासे के मुताबिक 3,07,072 संगठन ही नियमित रूप से अपनी बैलेंश सीट और खर्चो का लेखा- जोखा जारी करते पाए गए थे। नियमो का अनुपालन नही करने के मामले में न्यायालय की फटकार के बाद केंद्र सरकार को करीब चौदह हजार पांच सौ ऐसे संगठनों का विदेशी चंदा विनियमन कानून के तहत पंजीकरण रद्द करने को विवश होना पड़ा था। गृह मंत्रालय द्वारा संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक विदेशों से चंदा प्राप्त करने की पात्रता रखने वाले गैर सरकारी संगठनों को वर्ष 2017-18 मे 16,904 करोड़ रुपया तथा 2018-19 मे माह नवंबर तक 2,244.77 करोड़ रुपयों की आर्थिक सहायता प्राप्त हुई थी।

कोरोना संकट की वैश्विक भयावहता को देख हमारे देश के नीति निर्माताओं को भविष्य में कड़ाई से गैर सरकारी संगठनों को सबसे कमजोर तबके के लिए मुख्य रूप से कार्य करने की नीति पर बल देना चाहिए। वंचित तबके मे शामिल रहने को मजबूर एक बड़ी आबादी को सामने रख कर, अगर उपाय नहीं किए गए तो भविष्य मे गरीबी और भुखमरी के कारण संकट और ज्यादा गहराते चले जायेंगे। आज जब कोरोना संकट के कारण देश में गरीबी की विशाल आबादी को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है, ऐसे में राष्ट्र व जनहित में सभी गैर सरकारी संगठनों को अपने उद्देश्यो को अमल मे ला, आगे आना चाहिए, इसी मे सर्वहित निहित है।

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