अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान: ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन से प्रेरित, नरेंद्र मोदी
Amar sandesh दिल्ली।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण शिखर सम्मेलन (GLEX 2025) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की अंतरिक्ष दृष्टि “वसुधैव कुटुम्बकम” के प्राचीन दर्शन में निहित है, जहां पूरा विश्व एक परिवार है। उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों की कहानी है, बल्कि यह मानवीय जिज्ञासा, साहस और साझा भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता की प्रतीक भी है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे 1963 में एक छोटे रॉकेट से शुरुआत कर आज भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन चुका है। उन्होंने चंद्रयान, मंगलयान, और हालिया डॉकिंग मिशन जैसे अभियानों की प्रशंसा की और कहा कि ये मिशन 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाते हैं।
ISRO-NASA संयुक्त मिशन: आगामी सप्ताहों में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री NASA के सहयोग से अंतरिक्ष यात्रा पर जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित होगा।
2040 तक चंद्र मिशन: एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर कदम रखेगा।
मंगल और शुक्र मिशन: भविष्य के प्रमुख लक्ष्य।
अंतरिक्ष में भारत की भूमिका:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा प्रतिस्पर्धा नहीं, सहयोग का प्रतीक है। उन्होंने दक्षिण एशिया उपग्रह और G-20 सैटेलाइट मिशन की चर्चा की, जो ग्लोबल साउथ को लाभ पहुंचाएंगे।
प्रधानमंत्री ने बताया कि आज भारत में 250 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप सक्रिय हैं, जो इमेजिंग, प्रणोदन और उपग्रह तकनीक के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। गर्व की बात यह है कि कई मिशनों का नेतृत्व महिला वैज्ञानिकों के हाथों में है।
अंतरिक्ष तकनीक से सुशासन और जीवन स्तर में सुधार:
उन्होंने मछुआरों के लिए अलर्ट सिस्टम, मौसम पूर्वानुमान, रेलवे सुरक्षा और गतिशक्ति जैसे अनुप्रयोगों का उल्लेख किया, जो आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं
अपने संबोधन के अंत में श्री मोदी ने कहा कि भारत सहयोग के लिए तैयार है और सभी राष्ट्रों को एकजुट होकर अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया युग शुरू करना चाहिए — “एक साथ सपना देखें, एक साथ निर्माण करें और एक साथ सितारों तक पहुंचें।”