हमारे राज्य ऊर्जा परिवर्तन के केंद्र हैं, भारत अब वैश्विक ऊर्जा बाजार का विश्वसनीय भागीदार बन चुका है” – हरदीप सिंह पुरी
Amar chand नई दिल्ली,।‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर आयोजित ऊर्जा वार्ता 2025 में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने भारत की नई अपस्ट्रीम ऊर्जा रणनीति प्रस्तुत की। श्री पुरी ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा, विविधता, पारदर्शिता और वैश्विक सहयोग के मजबूत स्तंभों पर खड़ी यह रणनीति भारत को ऊर्जा महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी।
वैश्विक चुनौतियों के बीच साहसिक दृष्टिकोण
श्री पुरी ने रूस-यूक्रेन संघर्ष और वैश्विक तेल संकट के संदर्भ में भारत की नीतिगत मजबूती का ज़िक्र करते हुए बताया कि भारत ने अपने कच्चे तेल के स्रोतों को 27 से बढ़ाकर 40 देशों तक किया है। उन्होंने दोहराया कि भारत ने कभी भी कोई प्रतिबंधित तेल नहीं खरीदा है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक ऊर्जा मंच पर एक स्थायी शक्ति के रूप में पहचान बनाई है।
ऊर्जा निवेश के लिए मजबूत नींव
श्री हरदीप पुरी ने बताया कि भारत में पिछले 10 वर्षों में ₹4 लाख करोड़ से अधिक का निवेश ऊर्जा अवसंरचना में हुआ है और आगामी दशक में ₹30 से ₹35 लाख करोड़ निवेश की संभावना है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “राज्यों की भूमिका इस बदलाव में केंद्रीय है और उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए जो तेज़ ऊर्जा परियोजनाओं को सक्षम बनाते हैं।”
नीति सुधारों से अपस्ट्रीम क्षेत्र को नई गति
केंद्रीय मंत्री श्री पुरी ने पुनर्गठित ओआरडी अधिनियम, संशोधित पीएनजी नियम, मॉडल रेवेन्यू शेयरिंग अनुबंध (MRSC), और HELP नीति में किए गए बदलावों को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि इससे 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक नए क्षेत्र अन्वेषण के लिए खोले गए हैं। ‘नो-सिट क्लॉज’ और एकल लाइसेंस जैसे प्रावधानों से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिल रहा है।
अपतटीय भारत की नई ऊर्जा क्षमता
अंडमान बेसिन को भारत का अगला ऊर्जा हब बताते हुए श्री पुरी ने कहा कि यहां गयाना के आकार के कई हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों की संभावना है। उन्होंने बताया कि भूकंपीय डेटा, राष्ट्रीय डेटा रिपॉजिटरी, और नीति पारदर्शिता के माध्यम से निवेशकों को अधिक भरोसेमंद और वैज्ञानिक ढंग से निर्णय लेने का अवसर मिल रहा है।
ऊर्जा वार्ता 2025 में संशोधित पीएनजी नियमों और एमआरएससी का अनावरण किया गया। साथ ही, हाइड्रोकार्बन संसाधन मूल्यांकन अध्ययन, डीजीएच और एनआईसी के बीच डेटा प्रबंधन हेतु समझौता, तथा ओएनजीसी और बीपी के बीच भूवैज्ञानिक स्ट्रेटीग्राफिक कुओं पर शोध हेतु समझौता ज्ञापन भी हुए। इस अवसर पर ‘इंडिया हाइड्रोकार्बन आउटलुक 2024-25’ रिपोर्ट भी जारी की गई।
श्री पुरी ने सम्मेलन में लगे नवाचार केंद्र और तकनीकी प्रदर्शनी का दौरा किया, जहां उन्होंने 50 से अधिक तकनीकी पोस्टर और 15+ स्टार्टअप समाधान देखे। उन्होंने भागीदारों से बातचीत करते हुए भारत के तकनीकी नेतृत्व की सराहना की और अपस्ट्रीम ऊर्जा नवाचार को भविष्य की रीढ़ बताया।
प्रधानमंत्री मोदी के सहकारी संघवाद के विजन को आगे बढ़ाते हुए 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों और अधिकारियों की भागीदारी में अंतर-मंत्रालयी गोलमेज सम्मेलन भी आयोजित किया गया। इसमें राज्यों के निवेश, ऊर्जा अवसंरचना और नीति समन्वय को लेकर व्यापक विमर्श हुआ।
ऊर्जा वार्ता 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब केवल ऊर्जा का उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा भविष्य को दिशा देने वाला नेतृत्वकारी देश बन चुका है। श्री हरदीप सिंह पुरी के नेतृत्व में भारत ऊर्जा न्याय, टिकाऊ विकास और निवेश अनुकूलता की ओर सशक्त कदम बढ़ा रहा है।