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डॉ. उदित राज ने दलित एक्ट पर एससी के निर्णय पर अफ़सोस जताया

नई दिल्ली,| अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति अन्त्याचार निवारण अधिनियम 1989 के ऊपर दिए गये निर्णय पर अफ़सोस व्यक्त किया कि जिस सुप्रीम कोर्ट को इस कानून को शक्ति से लागू करना चाहिए और उसी ने इसको कमजोर किया  है | राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ो के मुताबिक पिछले एक दशक में दलित उत्पीडन में66 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है | इस दौरान रोजाना 6 दलित महिलाओं से दुष्कर्म और हर 15 मिनट पर अपराधिक घटनाएं हुई | मध्यप्रदेश दलित उत्पीडन में सबसे आगे पाया गया | जहाँ तक इस कानून के तहत सजा होने की बात है तो 2 से लेकर के 6 प्रतिशत तक के मामलों में ही सफलता मिली क्योंकि एफआईआर दर्ज होने से मुक़दमे की बहस तक में समझौता होता रहता है इसलिए कम ही मामले में सजा मिल पाती है | सुप्रीम कोर्ट के अनुसार दुरुपयोग की स्थिति में जब यह हाल है तब तो इस निर्णय के बाद इस कानून का लगभग महत्त्व समाप्त हो जायेगा | संविधान के अनुसार कानून बनाने का अधिकार संसद को है और न्यायपालिका का कानून व्याखान लेकिन अब तो न्यायपालिका संसद से कहीं ज्यादा कानून बनाने लगी है | इस निर्णय में यह भी दलील दी गयी है कि ऐसे मामले में सजा कम हुई है तो इसलिए इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इसका दुरुपयोग हो रहा है जबकि दूसरा भी निष्कर्ष निकाल सकते थे कि इस कानून का उपयोग व्यवस्था की कमियों की वजह से नही हो पा रहा है | अगर यह आधार मान  लिया जाये तो दहेज़ के मामले में भी 2 प्रतिशत मुक़दमे में ही सफलता मिली है तो इस तरह से वहां कहीं ज्यादा दुरुपयोग है |

डॉ. उदित राज ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि जाति पूर्वागृहित से प्रोत है | किसी भी कानून का दुरूपयोग नही होना चाहिए लेकिन ऐसा भी नही होना चाहिए कि उस कानून का उपयोग ही ना हो सके | वरिष्ठ अधिकारी शायद ही लिखित रूप से देंगे कि उनके जूनियर कर्मी को गिरफ्तार किया जाये | मान  लीजिये कि उच्च अधिकारी भी  जाति के आधार पर पूर्वाग्राहित है या उस कर्मी से उसके मधुर सम्बन्ध है तो क्यों इजाजत देगा | सम्बंधित कर्मी रिश्वत भी देकर के ठीक-ठाक कर सकता है | जहाँ तक आम जनता की बात है उनके मामले में एसएसपी से इजाज़त लेनी पड़ेगी | यदि एसएसपी उसी जाति का निकला या वह भी पुर्वाग्राहित है तो क्यों इजाज़त देगा | राजनैतिक दबाव आने का पूरा अवसर है कि एसएसपी इजाज़त न दे | केंद्र सरकार को तुरंत सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए कि इस निर्णय में बदलाव लाया जाये और कानून संसद का है तो इसमें अधिकार भी उसी का है बदलाव करने का |

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