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सांस्कृतिक जागरण का प्रतीक बना धर्मध्वज; रामराज्य के मूल्यों पर अमृतकाल की आधारशिला 

अयोध्या में विवाह पंचमी पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज का आरोहण; प्रधानमंत्री मोदी, सरसंघचालक भागवत और मुख्यमंत्री योगी ने किया राष्ट्र के नव-युग का आह्वान

Amar sandesh दिल्ली/अयोध्या। विवाह पंचमी के पावन अवसर पर अयोध्या धाम मंगलवार को ऐतिहासिक और अलौकिक क्षण का साक्षी बना, जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज का भव्य आरोहण संपन्न हुआ। यह अवसर केवल धर्मध्वज स्थापना का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कार, सभ्यता और सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण का प्रमाण बन गया। ध्वजारोहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने इस दिन को युगांतकारी बना दिया।

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपनी उद्बोधन में कहा कि यह क्षण केवल उत्सव नहीं, बल्कि उन अनगिनत संतों, कार्यकर्ताओं और रामभक्तों के तप, त्याग और बलिदान का पावन फल है, जिन्होंने सदियों तक मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि आज रामराज्य का धर्मध्वज पुनः अयोध्या में शिखर पर लहराते हुए संपूर्ण विश्व को सुख, शांति और धर्म का संदेश दे रहा है। भागवत ने भगवा ध्वज को धर्म, ऊर्जा और सत्य का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस ध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष रघुकुल की परंपरा, सत्पुरुष के आचरण और भारतीय जीवन दर्शन का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि सूर्य के समान अविराम प्रयास ही धर्म की सिद्धि का मार्ग हैं और सत्य का प्रतिनिधित्व ‘ॐ’ से होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जय सियाराम’ के उद्घोष के साथ अपने विचार रखते हुए कहा कि अयोध्या आज सदियों के घावों को भरते हुए, भारतीय आत्मा के पुनरुत्थान का केंद्र बन रही है। उन्होंने कहा कि यह धर्मध्वज केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण, संघर्ष, संकल्प और सिद्धि की गाथा है। प्रधानमंत्री ने इसे रामराज्य के आदर्शों का उद्घोष बताते हुए कहा कि सत्य, धर्म, कर्तव्य और कर्मप्रधानता का संदेश यह ध्वज सदियों तक देता रहेगा।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि राम मंदिर का दिव्य प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य, सहभागिता और एकजुटता का पवित्र प्रतीक बन चुका है। उन्होंने कहा कि प्रभु राम भेद से नहीं, भाव से जुड़े हैं और उनका जीवन दर्शाता है कि शक्ति से अधिक सहयोग और कुल से अधिक भक्ति महत्वपूर्ण है। आधुनिक भारत की प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए श्रीराम के आदर्श—धैर्य, विवेक, संयम, परोपकार, सत्य और सर्वोच्च आचरण,हमारी आधारशिला होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत को मानसिक गुलामी से मुक्त कर अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का अभियान तेज गति से आगे बढ़ रहा है। नौसेना के ध्वज से लेकर राष्ट्रीय प्रतीकों तक, देश अपने वैभव और विरासत के अनुरूप नए आत्मविश्वास से खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले 1000 वर्षों के लिए भारत की नींव सशक्त तभी होगी जब मानसिक गुलामी के अवशेषों को आने वाले दस वर्षों में पूर्णतः समाप्त कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह ऐतिहासिक ध्वजारोहण किसी यज्ञ की पूर्णाहूति नहीं, बल्कि नए युग की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि भव्य श्रीराम मंदिर 140 करोड़ भारतीयों की आस्था और आत्मगौरव का अद्वितीय प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने रामभक्तों, आंदोलनकारियों और संतों के त्याग को नमन करते हुए कहा कि अयोध्या आज उत्सवों की वैश्विक राजधानी बन रही है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रामराज्य के आदर्श,न्याय, समानता, समृद्धि और सामाजिक सद्भाव—धरातल पर साकार हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अयोध्या केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि आधुनिकता, अर्थव्यवस्था और अध्यात्म का संगम बन रही है। बेहतर कनेक्टिविटी, सोलर-सिटी की दिशा में बढ़ते कदम और तीर्थाटन मार्गों के सुदृढ़ विकास ने अयोध्या को एक नए युग की दहलीज पर खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास की नीति ही आधुनिक रामराज्य का आधार बनेगी।

समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, संत समाज, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज सहित देश-प्रदेश के अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे। पूरी अयोध्या ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से गूंज उठी और धर्मध्वज की अगुवाई में अयोध्या ने भारतीय सभ्यता के स्वर्णिम प्रभात का स्वागत किया गया।

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