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संस्कृति के प्रहरी: उत्तराखंड मूल के मोहन सिंह रावत दिल्ली में रच रहे हैं सामाजिक सेवा और सांस्कृतिक जागरण की नई मिसाल

उत्तराखंड की लोक संस्कृति एवं समाज सेवा के लिएमेरा जीवन समर्पित है –मोहन सिंह रावत।   

Amar sandesh दिल्ली। एच.बी.टी. म्यूजिक वायस आफ उत्तराखंड कंपनी के निर्माता-निर्देशक-गीतकार और सामाजिक कार्यकर्ता श्री मोहन सिंह रावत, जो मूलतः उत्तराखंड से हैं और वर्तमान में दिल्ली में निवासरत हैं, उत्तराखंडी संस्कृति के संरक्षण एवं सामाजिक upliftment के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।

श्री रावत न केवल एक सफल म्यूजिक कंपनी के संचालक हैं, बल्कि वह समाजसेवा को भी अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी मानते हैं। उन्होंने अपने म्यूजिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से उत्तराखंड की लोक संस्कृति, गीत-संगीत और पारंपरिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है। उनकी म्यूजिक कंपनी के बैनर तले अनेक पारम्परिक लोकगीत, झोड़ा, न्यौली, चांचरी, छपेली, देशभक्ति गीत, जागर और उत्तराखंडी रीति-रिवाजों से जुड़े आडियो-विडियो प्रसारित किए जा चुके हैं, जो युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं । ज्ञात हो मोहन दा के नाम से प्रसिद्ध मोहन सिंह रावत ने लगभग 400 गीत लिखे हैं और कई 100 से भी अधिक कलाकारों को अपने कंपनी के माध्यम से मार्केट में लॉन्च भी किया है, श्री रावत जी के लिखे हुए लोकप्रिय पारम्परिक गीत सुप्रसिद्ध लोकगायक बलवीर राणा, माया उपाध्याय, आशा नेगी, मीना राणा, ममता आर्या, नन्द किशोर पांडेय, कौशल पांडेय, रमेश मोहन पांडेय, गीतिका असवाल, चंदा रावत, विशन बाबू गोस्वामी, ललित मोहन भाकुनी, विनोद आर्या, गोपाल रावत, फौजी सुरेंद्र सिंह रावत आदि कलाकारों ने वखुवी गाए है। सुप्रसिद्ध लोकगायिका माया उपाध्याय व न्यौली क्वीन आशा नेगी ने उनके लिखे सैकड़ों गीत गाए हैं जो की अपने आप में एक रिकार्ड है । उनकी म्यूजिक कम्पनी में लिजेंड़ी लोकगायक नैन नाथ रावल और जाने माने लोकगायक शिवदत पंत ने भी दर्जनों सुपरहिट गीत गाए हैं । उनके लिखे गीतों में सुप्रसिद्ध संगीतकार राजेंद्र चौहान, संजय कुमोला, विरेंद्र नेगी राही, स्व, देवराज रंगीला, शिव जोशी ने अपना शानदार संगीत दिया है । आप एक मिलनसार स्वभाव के धनी होने के साथ-साथ प्रदेश लोक संस्कृति की विरासत को साजवे रखने का कार्य भी कर रहे हैं। आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को बहुत दुर तक ले जाने का प्रयास निरन्तर कर रहे हैं ।

श्री रावत का सामाजिक क्षेत्र में भी योगदान उल्लेखनीय है। वह समय-समय पर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़ी योजनाओं में सक्रिय रूप से भागीदारी करते हैं। वंचित वर्गों के लिए राहत सामग्री वितरण, रक्तदान शिविरों का आयोजन और युवाओं को नशामुक्त जीवन के लिए प्रेरित करना उनके सतत प्रयासों का हिस्सा है। श्री रावत जय मां भगवती काली देवभूमि दरबार ट्रस्ट (रजि.) के माध्यम से हर साल भव्य और विशाल भगवती नन्दा की कलश यात्रा, नंदा भगवती डोला यात्रा ( नंदा राजजात), भगवती जागरण से भी उत्तराखंड व देवभूमि के देवी-देवताओं की ख्याति को जन-जन तक पहुंचाने का नेक कार्य भी कर रहे हैं ।

गौरव की बात है कि श्री रावत को उनके अथक प्रयासों व मेहनत के लिए सन् 2006 में उत्तराखंड संसकृति गौरव सम्मान (उत्तराखंड सरकार) , सन 2008 में उत्तराखंड संस्कृति सेवा सम्मान (दिल्ली सरकार), सन 2008 में ही उत्तराखंड गीत-संगीत सम्मान 2008 (हरियाणा सरकार) तथा सन् 2015 में उनके सराहनीय समाजिक व सांस्कृतिक योगदान के लिए महामहिम राष्टपति जी (भारत सरकार) के निजी सचिव माननीय एम.के.मुखर्जी द्धारा अवार्ड द्बारा सम्मानित किया गया । श्री रावत जी को उत्तराखंड फिल्म व नाट्य संस्थान द्धारा संस्था के प्रतिस्थित संस्कृति सम्मान ” वीरेन्द्र सिंह गढ़वाली संस्कृति सम्मान 2017″ से सम्मानित किया गया है ।

श्री मोहन सिंह रावत मूलतह विधान सभासल्ट क्षेत्र के ग्रामसभा स्याहीलैण पो.मैठानी जिला अल्मोड़ा के निवासी हैं और उत्तराखंड की संस्कृति को उजागर करने हेतु तन, मन धन से योगदान दे रहे हैं । श्री रावत का मानना है कि समाज तभी आगे बढ़ सकता है जब हम अपनी संस्कृति को सहेजते हुए सामाजिक समरसता की दिशा में कार्य करें। उनके कार्यों को विभिन्न सामाजिक संगठनों और सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा भी सराहा गया है।

ज्ञात हो हाल ही मे श्री मोहन सिंह रावत द्धारा लिखित सुंदर देशभक्ति गीत ” सिंदूर की कसम भौजी” को लाखों दर्शक खुब सराह रहै है ।

इस वीर रस गीत को उनकी ही म्यूजिक कम्पनी “एच.बी.टी म्यूजिक वायस आफ उत्तराखंड” ने अपने यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किया गया है, इस गीत को अपनी सुरीली आवाज दी है सुप्रसिद्ध लोकगायक नन्द किशोर पांडेय व ममता आर्या ने ।

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