क्रियान्वरयन में एकरूपता को बनाये रखने के लिए आम मानक तैयार : थावरचंद गहलोत
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत की अध्यक्षता में यहां ‘कौशल विकास’ विषय पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, विजय सांपला और रामदास अठावले भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री गहलोत ने कहा कि सामाजिक न्याय विभाग को तीन निगमों यथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी), राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एनबीसीएफडीसी) और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) की ओर से कौशल प्रशिक्षण के जरिये अपने-अपने लक्षित समूहों का सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण करने की सामाजिक जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन निगमों की ओर से प्राप्त जानकारियों के आधार पर एक कौशल कार्य योजना तैयार की गई थी और कौशल बढ़ाने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए विभिन्न क्षेत्र कौशल परिषद के साथ 56 सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने स्वयं अथवा अपनी एजेंसियों के जरिये विभिन्न कौशल विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में एकरूपता और मानकीकरण को बनाये रखने के लिए आम मानक तैयार किये हैं। आम मानकों को किसी भी क्षेत्र विशेष मांग पर आधारित कौशल प्रशिक्षण गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिससे रोजगार अथवा कोई भी परिणाम उन्मुख गतिविधि का मार्ग प्रशस्त होता है और जिससे किसी भी प्रतिभागी को एक ऐसा कौशल हासिल होता है, जो किसी स्वतंत्र थर्ड पार्टी एजेंसी द्वारा विधिवत रूप से आकलित एवं प्रमाणित किया जाता है। इससे वे पारिश्रमिक/स्व-रोजगार प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ जाती है और कामकाज की स्थितियां बेहतर हो जाती हैं,जैसे कि अब तक अनौपचारिक रहे कौशल के लिए औपचारिक प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाता है और वे अनौपचारिक क्षेत्र के बजाय औपचारिक क्षेत्र से जुड़े रोजगार प्राप्त कर लेते हैं। इससे वे पारिश्रमिक/स्व-रोजगार प्लेसमेंट पाने और औपचारिक प्रमाण पत्र प्राप्त करने में समर्थ हो जाते हैं। समस्त कौशल विकास पाठ्यक्रमों को आम या सामान्य मानकों के पैमाने पर खरा उतरना होता है। तदनुसार, इन निगमों के ये सभी पाठ्यक्रम आम मानकों को भी पूरा कर रहे हैं।
एनएसएफडीसी के कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य अपने लक्षित समूहों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उन्हें गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना है, ताकि उनकी रोजगार पाने की क्षमता बेहतर हो सके। उपयुक्त कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों में और ज्यादा संख्या में महिलाओं को शामिल करना और समुचित/पर्याप्त पारिश्रमिक के साथ प्रशिक्षित कार्यबल को लाभप्रद रोजगार प्रदान करना भी इन कार्यक्रमों के उद्देश्यों में शामिल हैं।
एनबीसीएफडीसी का उद्देश्य अपने लक्षित समूहों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना है, ताकि पिछड़े वर्गों के पात्र सदस्य स्व-रोजगार अथवा पारिश्रमिक आधारित रोजगार के जरिये विकास से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो सकें।
एनएसकेएफडीसी का उद्देश्य एमएसडीई द्वारा तय किये गये आम मानकों के अनुसार अपने लक्षित समूहों को रोजगार/स्व-रोजगार उन्मुख व्यावसायिक/तकनीकी कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना है और इसके तहत परिधान, दूरसंचार, प्लास्टिक, सौन्दर्य, फर्नीचर एवं फिटिंग्स, विद्युत निर्माण, मीडिया एवं घरेलू कामगारों जैसे सेक्टरों को कवर किया जाता है।
सलाहकार समिति की बैठक में जिन सांसदों ने भाग लिया, उनमें श्री हरिओम सिंह राठौड़, श्री के.एच.मुनियप्पा, डॉ. (श्रीमती) ममताज संघमिता, श्रीमती वसंती एम. एवं विनोद चावदा (सभी लोकसभा सांसद) और अहमद हसन, के.सोमाप्रसाद एवं डॉ. एल.हनुमंतइया (सभी राज्यसभा सांसद) शामिल थे।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव श्रीमती नीलम साहनी, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में सचिव श्रीमती शकुन्तला डी.गैमलिन और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।