भाजपा नेतृत्व के चहेते बनेगे फिर तीरथ
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को देवभूमि की जनता ने जिस प्रचंड बहुमत से जीत दिलाई है,उसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के अलावा क्षेत्र के लोग भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे रहे हैं।
उत्तराखंड प्रदेश में इस समय सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री के लिये कई नाम चल रहे हैं ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गढ़वाल मंडल के लोगों का मानना है कि इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को गढ़वाल मंडल क्षेत्र से प्रदेश के मुख्यमंत्री का चयन कर उत्तराखंड देव भूमि के चौमुखी विकास की बयार लानी चाहिए। आज जनता से अपार जनादेश हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष एक यक्ष प्रश्न उठा है कि किसको उत्तराखंड शासन की बागडोर सौंपी जाए?
भाजपा नेतृत्व के समक्ष यह समस्या तक खड़ी हुई, जब प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी खटीमा विधानसभा क्षेत्र से ही कांग्रेस के निकटतम प्रतिद्वंदी श्री कापड़ी से 6000 से अधिक मतों से परास्त हो गए।
भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक भाजपा के सामने यह नैतिक सवाल खड़ा हो गया है कि जनता द्वारा हराये गए नेता को मुख्यमंत्री के पद पर फिर आसीन करना एक प्रकार से जनादेश का अपमान ही होगा।
हालांकि कुछ लोग ममता बनर्जी का उदाहरण सामने रखकर धामी को पुनः प्रदेश की सत्ता सौंपने की दुहाई दे रहे हैं । पर हकीकत यह है कि श्री धामी अ मिले दुर्लभ अवसर का भी सदुपयोग नहीं कर पाए। प्रधानमंत्री श्री मोदी की अभूतपूर्व लहर में भी मुख्यमंत्री रहते हुए भी अपनी विधानसभा सीट तक नहीं जीत पाये।
इस विधान सभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीट भी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से ही आयी हैं।पर भागीदारी व सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देने के लिए गढ़वाल क्षेत्र की उपेक्षा सी लग रही है । जबकि कुमाऊं क्षेत्र में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री देने के बाद भी वहां के जनप्रतिनिधियों पर जनता ने विश्वास नहीं जताया।
. हालांकि गढ़वाल क्षेत्र के भी कई नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में शुमार माने जा रही है इनमें पूर्व काबीना मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिह रावत व धन सिंह रावत के नाम चर्चा में हैं।
ऐसे मे प्रदेश की राजनीति में निर्विवाद लोकप्रिय व वरिष्ठ नेता के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर ही भारतीय जनता पार्टी व उत्तराखंड के लोगों की निगाहें टिकी हुई है। प्रदेश के सभी कार्यकर्ताओं के लोकप्रिय एवं प्रदेश की भौगोलिक स्थिति से भलीभांति परिचित और प्रदेश के विकास की सोच रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं गढ़वाल के लोकप्रिय सांसद तीरथ सिंह रावत की छवि को मध्य नजर रखते हुए भारतीय जनता पार्टी की आलाकमान को उनके नाम पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रदेश की जनता व भारतीय जनता पार्टी के अधिकांश जमीनी कार्यकर्ताओं का का मानना है।
उच्च स्तरीय पार्टी सूत्रों के अनुसार इस बार की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री तीर्थ रावत को भी सौंपी जा सकती है।