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पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण संरक्षण से जुडी प्रख्यात संस्था ‘धरती मां ट्रस्ट’ का प्रभावशाली आयोजन सम्पन्न

सी एम पपनैं

नई दिल्ली (एनसीआर)। पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण संरक्षण से जुडी प्रख्यात संस्था ‘धरती मां ट्रस्ट’ फरीदाबाद द्वारा 22 अप्रैल को कृष्णा कलोनी, छट घाट, सेहतपुर, फरीदाबाद मे भव्य कार्यक्रम का आयोजन मुख्य व विशिष्ट अतिथि क्रमश: के एस घुघत्याल उप-निर्देशक तथा मनोज कुमार खंडानी सहायक निर्देशक राष्ट्रीय जूट बोर्ड, कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार, अंकुर सिंह हरियाणा योग कमीशन, समाजसेवी दिनेश वर्मा तथा वरिष्ठ पत्रकार चंद्र मोहन पपनैं की गरिमामयी उपस्थिति मे बडी संख्या में मौजूद स्थानीय जनमानस के मध्य मनाया गया।

पृथ्वी दिवस पर ‘धरती मां ट्रस्ट’ मुख्य संयोजक भवान सिंह बिष्ट तथा उक्त ट्रस्ट से जुडे विजय पपनैं व ललित बाबू इत्यादि द्वारा मुख्य व विशिष्ट अतिथियों को मंच पर आमन्त्रित कर, अंगवस्त्र ओढा कर स्वागत अभिनंदन किया गया। मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के कर कमलो दीप प्रज्ज्वलन की रश्म अदायगी के पश्चात पर्यावरण से जुडे सांस्कृतिक कार्यक्रमो मे गीत, नृत्य व नाटक का प्रभावशाली मंचन अपार दर्शकों की उपस्थिति मे मंचित किए गए तथा आमन्त्रित अतिथियों द्वारा पृथ्वी दिवस पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिए गए।

 

पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण संरक्षण से जुडे कार्यक्रमो का श्रीगणेश सांस्कृतिक कार्यक्रम बाल कलाकारों दीपिका बिष्ट व दृष्टि रावत द्वारा प्रस्तुत वंदना-

जयतु जयतु भारत, विश्व प्रेम की ओर….।

विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया…।

से किया गया।

 

बाल कलाकार खुशी शर्मा व सृष्टि के सानिध्य व दीपिका बिष्ट के संयोजन मे बाल कलाकारों के समूह द्वारा पर्यावरण संरक्षण से जुडे अन्य गीतों मे-

धरती मेरी माता, पिता आसमा…।

बेडू पाको बड मासा, काफल पाको चैता…।

तथा प्लास्टिक से धरती को बचाने के लिए प्रभावशाली नाटक का मंचन किया गया।

 

‘धरती मां ट्रस्ट’ से जुडे विजय पपनैं द्वारा ट्रस्ट के कार्यो व उद्देश्यो के बावत अवगत कराया गया। एक विषय को केन्द्रित कर प्रतिवर्ष मनाया जाने वाले पृथ्वी दिवस पर सारगर्भित व्याख्यान दिया गया। व्यक्त किया गया, नौ गृहों मे पृथ्वी ही ऐसा गृह है जहा जीवन है। मानवीय कृति ही वैश्विक फलक पर पर्यावरण का नुकसान कर रही है, जिस कारण जैव विविधता का क्षरण हो रहा है। कई अहितकारी दूरगामी बदलाव हो रहे हैं जो मानव हित में नहीं हैं। व्यक्त किया गया, पर्यावरण संरक्षण हेतु राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर दूरदर्शी होकर विश्व की सभी पर्यावरण से जुडी संस्थाओ व देशो को ईमानदारी व निष्ठा से पृथ्वी के हास व नष्ट होने से बचाने के लिए निरंतर काम करने की जरूरत है तभी पृथ्वी का संतुलन बना रहेगा, 1970 से प्रतिवर्ष मनाए जा रहे ‘पृथ्वी दिवस’ मनाऐ जाने का औचित्य सफल माना जायेगा।

 

पृथ्वी दिवस कार्यक्रम मुख्य आयोजक व ‘धरती मां ट्रस्ट’ मुख्य संयोजक भवान सिंह बिष्ट द्वारा व्यक्त किया गया, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र मे कार्य करने पर भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय से जुडे जूट बोर्ड द्वारा उन्हे मदद की गई। सड़कों व कूडा घरों मे फैके गए गन्दे व खराब कूडा-करकट को उठा कर उन्होंने आकर्षणशील उत्पाद तैयार कर जनमानस का ध्यान आकर्षित किया। बच्चों को इस कार्य पर स्वयं प्रशिक्षण दिया। निर्मित उत्पादो की प्रदर्शनी लगा कर बेचा। कई परिवारो को स्वरोजगार की प्राप्ति हुई। सरकार के अधिकारियों का ध्यान मेरे कार्य पर गया। सरकार द्वारा मेरी मदद की गई। उक्त पर्यावरण संरक्षण से जुडे इस स्वरोजगार को अपना कर अच्छी आमदनी होनी शुरू हुई। उक्त उत्पादो को सरकार द्वारा निर्यात भी किया गया। विदेशी मुद्रा अर्जित की गई।

 

मनोज कुमार खंडानी सहायक निर्देशक जूट बोर्ड, कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आहवान किया गया, जनमानस जूट से जुडे। घर-घर रोजगार मिलेगा। जूट के छोटे-छोटे बैग बना कर महिलाऐ पैसा कमा सकती हैं। उक्त कार्य सीखने की ट्रेनिंग कपड़ा मंत्रालय द्वारा बडे व अनुभवी डिजाइनर प्रशिक्षकों द्वारा नि:शुल्क दी जाती है। उत्कृष्ट उत्पाद उत्पादन व वैश्विक फलक पर उक्त उत्पाद निर्यात हेतु सरकार पूरी मदद करती है। प्रगति मैदान दिल्ली सहित देश के विभिन्न भागो मे उत्पादों की बिक्री हेतु 70-80 मेलो का आयोजन सरकारी स्तर पर किया जाता है। उक्त मेलो मे माल बेचने के लिए सरकार द्वारा नि:शुल्क स्टाल इस कार्य में लगे उत्पादकों को मुहैया करवाऐ जाते हैं।

 

व्याख्यानदाता अंकुर सिंह हरियाणा योग कमीशन द्वारा व्यक्त किया गया, अपने घर व रिहायसी इलाको के आसपास गन्दगी न फैलाऐ। प्लास्टिक कचरा पशुओ के लिए घातक व जानलेवा साबित होता है, साथ ही पर्यावरण को हास के कगार पर धकेलने मे प्लास्टिक कचरे की बहुत बडी भूमिका रही है। जनमानस को चाहिऐ प्लास्टिक का सदुपयोग न कर कागज, गत्ता व जूट का प्रयोग करे। व्यक्त किया गया, पर्यावरण समूहों द्वारा पृथ्वी दिवस को एक कार्यशील दिवस बनाने के लिए प्रयास किए गए हैं जो मानव के व्यवहार को परिवर्तित करते हैं और नीति परिवर्तनो को बढ़ावा देते हैं। कई जगह इस दिवस को 16 से 22 अप्रैल तक पृथ्वी सप्ताह के रूप में पूरे सप्ताह मनाया जाता है। ‘धरती मां ट्रस्ट’ द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के लिए जनजागरण के नजरिये से अति सराहनीय है।

 

वरिष्ठ पत्रकार चंद्र मोहन पपनैं द्वारा व्यक्त किया गया, जलवायु परिवर्तन मानवता के भविष्य और जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए सबसे बडी चुनौती है। अच्छी, शुद्ध व साफ जलवायु हमारी दुनिया को रहने योग्य बनाती है। वनस्पतियो, जीव जंतुओ से लेकर मनुष्य तक का अस्तित्व का कारण हमारी पृथ्वी है। हवा, पानी, मिट्टी, जंगल, खनिज, हिमालयी ग्लेशियर, नदिया, झीले, महासागर, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव सब पृथ्वी का संतुलन बनाते हैं। पृथ्वी हर परिस्थिति मे सजीव और निर्जीव दोनों की देखभाल करती है। इसीलिए इस पृथ्वी को धरती मां का दर्जा मिला है। व्यक्त किया गया, हम सबको खुद के और आने वाली पीढियों के बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति को बचाना हम सबका कर्तव्य बनता है। इसी भाव को जगाने व जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘धरती मां ट्रस्ट’ द्वारा आज यह प्रभावशाली आयोजन भवान सिंह बिष्ट व उनकी टीम के संयोजन मे स्थानीय स्तर पर किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण के हित में एक अच्छी सोच व दूरदर्शिता की परक की पुष्टि करता नजर आता है।

 

पृथ्वी दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र मे विशेष योगदान देने वाली तुलसी देवी, रमा बिष्ट, सुंदर लाल, सुभाष शर्मा व रवीन्द्र को आयोजकों द्वारा वृक्ष गमले भेट किए गए।

 

पृथ्वी दिवस कार्यक्रम का प्रभावशाली मंच संचालन विजय पपनैं व ललित बाबू द्वारा बखूबी किया गया।

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