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केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा द्वारा ‘अपनी धरोहर उत्तराखंड प्रवासी सम्मेलन’ “संवाद” में की गई शिरकत

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। उत्तराखंड की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन तथा राज्य के प्रत्येक क्षेत्र में सर्वांगीण विकास हेतु चिंतित प्रबुद्ध जनों द्वारा 16 जुलाई 2021 हरेला पर्व पर गठित सामाजिक संस्था ‘अपनी धरोहर’ से जुड़े प्रबुद्घ जनों द्वारा 16 जून को कंस्टीट्यूशन क्लब नई दिल्ली में ‘अपनी धरोहर उत्तराखंड प्रवासी सम्मेलन’ “संवाद” का प्रभावशाली आयोजन उद्योग जगत से जुड़े चंद्र बल्लभ टम्टा की अध्यक्षता, केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन राज्यमंत्री अजय टम्टा, ‘अपनी धरोहर’ संस्था अध्यक्ष विजय भट्ट तथा प्रेम सिंह रावत, सूर्य प्रकाश सेमवाल व कविता बिष्ट मंचासीनों की प्रभावी उपस्थिति में आयोजित किया गया।

आयोजित सम्मेलन का श्रीगणेश मंचासीन प्रबुद्ध जनों द्वारा भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलित कर, मशकवीन की धुन व गायिका मंजू भंडारी के सानिध्य में उत्तराखंडी मांगल गीत की प्रस्तुति तथा आयोजक संस्था पदाधिकारियों द्वारा मंचासीनो का स्वागत अभिनन्दन उत्तराखंड के हस्तशिल्पियो द्वारा निर्मित विशेष लकड़ी से निर्मित दही ठेकी भेंट कर किया गया।

खचाखच भरे सभागार में उपस्थित जनों द्वारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का गायन किया गया, भारत माता की जय की गूंज के साथ आयोजक संस्था महामंत्री दिवाकर पांडे द्वारा संस्था स्थापना के उद्देश्यों व विगत वर्षों में किए गए क्रियाकलापों के बावत विस्तार से अवगत कराया गया।

व्यक्त किया गया, 16 जुलाई 2021 हरेला पर्व के पावन अवसर पर उत्तराखंड के सभी तेरह जिलों में पौंधा रोपड़ कर संस्था की स्थापना अंचल के पर्यावरण के साथ-साथ अंचल की लोककला व लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन तथा राज्य के निरंतर विकास हेतु निस्वार्थ भाव से कार्य करने के उद्देश्य से की गई।

10 नवम्बर 2021 राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर संस्था का प्रथम अधिवेशन उक्त उद्देश्यों के तहत नैनीताल में आयोजित किया गया। जिसमे अंचल के जनमानस को जाग्रत करने के लिए श्री गोलज्यू सन्देश यात्रा सम्पूर्ण उत्तराखंड के 2200 किलोमीटर में निकालने तथा हरेला पर्व को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पास किया गया।

अवगत कराया गया, कोरोना भयावह काल में संस्था सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से पर्यावरण संरक्षण हेतु पौंधा रोपण कार्य किया गया। वर्चुवल मीटिंगों के माध्यम से योजना बनी। यात्रा की जानकारी जुटाने के लिए, संस्कृति सरंक्षण के लिए तथा संस्कृति को व्यवसाय से जोड़ने के लिए कार्य किया गया। उक्त कार्यों हेतु गठित संस्था सदस्य गांव-गांव घूमे। पास प्रस्ताव के आधार पर 25 अप्रेल 2022 को बोना गांव से घोड़ाखाल तक 2200 किलोमीटर की श्री गोलज्यु सन्देश यात्रा प्रारंभ की गई।

11 नवंबर 2022 श्रीनगर में दूसरा अधिवेशन व 18 दिसंबर 2023 को हल्द्वानी में तृतीय अधिवेशन व महिला युवा सम्मेलन के साथ-साथ देहरादून में प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन आयोजित कर लोगों को संस्था के उद्देश्यों के तहत निरंतर जागृत करने व जोड़ने का कार्य किया गया। कुछ परंपराओं को संयम बरत कर तोड़ने की कोशिश भी की गई।

अवगत कराया गया, लोक मान्यतानुसार गोलज्यू यात्रा चंपावत से आरंभ होती है। चंपावत में ही यात्रा अभियान का समापन होता है। 2023 में गोलज्यू पूजन व बैठक चंपावत में आयोजित की गई। संस्था द्वारा विगत वर्षों में किए गए क्रियाकलापों को स्क्रीन पर भी प्रदर्शित किया गया।

संस्था महामंत्री द्वारा अवगत कराया गया, सम्पूर्ण उत्तराखंड के प्रत्येक जिले से लगभग 32 संस्थाएं जो धार्मिक व सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रही थी संस्था के उद्देश्यों से प्रभावित होकर उत्तराखंड के सांस्कृतिक संरक्षण व संवर्धन हेतु बचनबद्ध होकर जुड़ कर शासन प्रशासन के साथ समन्वय बना कर अपना योगदान दे रही हैं। अवगत कराया गया सांस्कृतिक पहल के तहत लोहाघाट के कलाकारों की सुप्रसिद्ध होली का प्रभावशाली कार्यक्रम हल्द्वानी में आयोजित किया गया। इसी क्रम में संस्था के उद्देश्यों को दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत उत्तराखंड के प्रवासियों के मध्य संवाद कार्यक्रम के रूप में आयोजित करने के बावत सहमति जताई गई थी।

संस्था महामंत्री द्वारा अवगत कराया गया, राज्य व राज्य के बाहर देव संस्कृति व्यवस्था में आस्था रखने वाले धर्म, संस्कृति व प्रकृति प्रेमी किसी भी जाति या प्रांत के निवासी जो कि देवभूमि उत्तराखंड के हित में कार्य कर सके साथ ही कृषि आधारित उत्पादकों को बाजार उपलब्ध करा सके तथा उत्तराखंड के देव स्थलों को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित कर सके, साथ ही शिल्पकार, मूर्तिकार, लोहार, जगरिए, डंगरिए, लोकगायक, वाद्य यंत्र बनाने वाले, उन्हें बजाने वाले और इसी प्रकार उत्तराखंड की पहचान और विरासत को जीवंत रखने वाले कलाकारों की कला को रोजगारोन्मुख बना सकने की सामर्थ्य रखने वाले प्रबुद्ध जन संस्था से जुड़ कर अपना योगदान दे सकते हैं। सभागार में बैठे प्रबुद्ध जनों से संस्था महामंत्री द्वारा आग्रह किया गया वे सब आगामी हरेला पर्व पर एक पौंधा रोपण जरुर करें।

आयोजित आयोजन के विषय के तहत आयोजकों द्वारा सभागार में उपस्थित उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासी जनों के मध्य परिचर्चा शुभारंभ करने से पूर्व मंचासीन प्रबुद्ध जनों के कर कमलों देवकी नंदन बिष्ट द्वारा रचित ‘गोरिया महाकाव्य’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। पुस्तक रचयिता द्वारा पुस्तक की कुछ मूल बातों पर विचार व्यक्त किए गए।

परिचर्चा में प्रतिभाग करने वाले भुवन चंद्र, हरीश लखेड़ा, दुर्गा सिंह भंडारी, चंद्र मोहन पपनै, रमेश घिल्डियाल, गिरीश बिष्ट ‘हंसमुख’, दिनेश ध्यानी, नीलांबर पांडे, अमर चंद, मीनाक्षी जोशी, नंदन रावत, खुशाल सिंह कुंवर, प्रेम सिंह रावत, कविता बिष्ट इत्यादि इत्यादि द्वारा उत्तराखंड तथा उत्तराखंड के दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत प्रवासियों के परिपेक्ष्य में राय व्यक्त करते हुए कहा गया, उत्तराखंड के लोगों में एक जुटता का अभाव है। कमजोर कम्युनिटी के लोग हैं। सामाजिक सोच बहुत छोटी है। किसी भी ठोस मुद्दे पर आगे आने को हिचकते हैं, परहेज करते हैं।

परिचर्चा में प्रबुद्ध जनों द्वारा कहा गया, बिना पावर हासिल किए कुछ नहीं होगा। पावर हासिल करना जरूरी है। बोली-भाषा व संस्कृति उत्तराखण्डियों की पहचान है। भाषा पर कोष बनाया जाए। उत्तराखंड भाषाओं की स्मृद्ध भाषा संपर्क भाषा हो। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए समर्पण जरूरी है। उत्तराखंड की लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करने उसे बचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा लोक संस्कृति केंद्रों की स्थापना की जाए। बेटियों की शिक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। वरिष्ठ जनों व युवाओं के बीच बढ़ रहे गैप को ध्यान में रख कार्यों को आगे बढ़ाया जाए।

प्रबुद्ध जनों द्वारा परिचर्चा में कहा गया, अंचल के अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग समस्याएं हैं। जो कहा जा रहा है यहीं तक सीमित न रहे, धरातल पर उतर कर कार्यों को अंजाम दिया जाए। विभिन्न वर्गो के मुताबिक हम जीते हैं। कहा गया, आपदाओं को नेता नहीं पहचानते हैं। सामाजिक संगठन आपदाओं के बावत जानते हैं, आपदा आने पर मदद करते हैं। उत्तराखंड का बड़ा प्लेटफार्म बने, छोटे-छोटे संगठन बना कर काम नहीं चलेगा।

परिचर्चा में कहा गया, उत्तराखंड के प्राकृतिक तत्वों का रख-रखाव कर उनका सेवन करे व करवाए, स्वस्थ जीवन की राह अपनाए। अपनी धरोहर ही हमारी पहचान है। धरोहर का कार्य है अपने पर्यावरण को बचाना लोक संस्कृति को बचाना। प्रबुद्ध जनों द्वारा कहा गया, दिल्ली एनसीआर में बहुत से प्रवासी संस्थाएं व संगठन अंचल की लोकसंस्कृति के उत्थान, स्वास्थ व रोजगार के संबंध में अच्छा कार्य व प्रयास कर रहे हैं।

परिचर्चा में प्रबुद्ध जनों द्वारा कहा गया, सबकी पीड़ा एक है। विधायक, सांसद छोटी चीज हैं, हमारी सैन्य भूमि देवभूमि है। हमारी दिव्य संस्कृति हमारी अपनी उपज से बने साधन हैं। हमारे लोकगीत व लोकधुने इन सबको बचाना है। कला संस्कृति को बचाना है। पहाड़ में उत्पादित उत्पादों की मांग करे। सबका संवाद बना रहे।

परिचर्चा में वर्चुवल विचार व्यक्त करने के लिए उत्तराखंड के विभिन्न जगहों से भारतीय उद्योग जगत से जुड़े टी सी उप्रेती, प्रोफेसर दाताराम पुरोहित, हेमंत बिष्ट, सेवानिवृत आईपीएस गणेश सिंह मर्तोलिया तथा प्रोफेसर दुर्गेश पंत महानिदेशक यूकांस्ट इत्यादि को भी आनलाइन जोड़ने का प्रयास किया गया।

देहरादून से वर्चुवल संबोधन में प्रोफेसर दुर्गेश पंत द्वारा कहा गया, धरोहर सबसे जुड़ी हुई है, मिट्टी से जुड़ी हुई है। जो कुछ भी प्रवासी जन कर रहे हैं हृदय से जुड़े हैं। कहा गया, देवभूमि युक्ति भूमि भी है, योग से जुड़ी हुई भूमि रही है। हिमालय ने सदा सॉल्यूशन दिए हैं, यह बात दुनियां जान रही है। युक्ति महत्वपूर्ण पक्ष है।

प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने अवगत कराया, देश की छठी साइंस सिटी देहरादून में बनने जा रही है। अल्मोड़ा में मानसखंड साइंस सेंटर आरंभ हो गया है, जो बड़ा सेंटर है। राज्य के तेरह जनपदों में इस प्रकार के साइंस सेंटर बनते जा रहे हैं। दो तीन वर्षों में कार्य आरंभ हो जायेगा। चमोली में छात्रों को कई चीजे सीखने को मिलेंगी। उत्तराखंड में एक महत्वपूर्ण साइंस सेंटर आरंभ हो जायेगा, जो देश में कहीं और नहीं है। अवगत कराया गया, सबसे ज्यादा वैज्ञानिक संस्थान उत्तराखंड में हैं। विभिन्न कार्यक्षेत्रों के मुख्य मुख्यालय उत्तराखंड में हैं।

केंद्रीय सड़क व परिवहन राज्यमंत्री अजय टम्टा की उपस्थिति के मध्य कार्यक्रम आयोजक संस्था ‘अपनी धरोहर’ अध्यक्ष विजय भट्ट द्वारा संस्था की स्थापना के उद्देश्यों के बावत बताया गया, संस्था का उद्देश्य राज्य के विकास में योगदान देना, राज्य की संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन हेतु प्रयासरत रहना तथा राज्य के लोगों के रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा तथा कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रयत्न करना है।

संस्था अध्यक्ष विजय भट्ट द्वारा बेबाक होकर कहा गया, सरकार के भरोसे कार्य ज्यादा टिकाऊ नहीं रहते हैं, इसलिए गठित संस्था द्वारा कोशिश की गई है स्थानीय लोगों को जोड़ा जाए। संस्था अपने कार्यों व मुद्दों के बल जनमानस के मध्य सफलता की ओर निरंतर अग्रसर है। लोगों में उत्साह जगा है, संस्था का कारवां बढ़ता चला जा रहा है। संस्था से जुड़े लोगों की जैसी सोच थी वैसी नीव पड़ी है, भविष्य में अंचल के लिए जो भी होगा अच्छा ही होगा।

संस्था अध्यक्ष द्वारा कहा गया, उत्तराखंड के पारंपरिक रूप से लगने वाले मेलों का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है। आयोजित सांस्कृतिक आयोजनों में बाहरी प्रदेश के गायकों को लाखों रूपया खर्च कर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, अंचल के कलाकारों को टरकाया जाता है, न ही उनकी कला का उचित पारिश्रमिक दिया जाता है जो अंचल की लोककला व लोक संस्कृति के अपमान के साथ-साथ पारंपरिक लोककला व संस्कृति को जड़ से समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, जो बर्दास्त करने योग्य नहीं है।

संस्था अध्यक्ष द्वारा केंद्रीय मंत्री से मांग की गई अंचल के कलाकारों का सम्मान किया जाए, उत्तराखंड की पारम्परिक लोकसंस्कृति का संरक्षण व संवर्धन किया जाए। स्थानीय कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए। भ्रष्टाचार पर पूर्ण रूप से लगाम लगाई जाए, दोषियों को दंड दिया जाए। जात-पात व क्षेत्रवाद से ऊपर उठ कर कार्य किए जाए। संस्था अध्यक्ष द्वारा मंच से इच्छा व्यक्त की गई, दिल्ली प्रवास में संस्था की एक अच्छी टीम बने कामना है।

आयोजित कार्यक्रम मुख्य अतिथि केन्द्रीय सड़क व परिवहन राज्यमंत्री अजय टम्टा द्वारा कहा गया, धरोहर के माध्यम से ताकत मिलेगी ऐसा मेरा विश्वास है। उत्तराखंड के विनसर में हुई वन दावाग्नि में चार लोग मरे, ऐसी घटनाओं पर अपार दुख होता है। कहा गया, मंत्री बनने के बाद पहली बार अपने लोगों के कार्यक्रम में आना हुआ। राजनीतिक क्षेत्र में पैंतीस वर्ष का अनुभव रहा है। जिला पंचायत सदस्य से विधायक व मंत्री बना, सांसद व केंद्रीय मंत्री बना, पुनः फिर मंत्री बना हूं। कहा गया, ‘धरोहर’ द्वारा आयोजित गोलज्यू यात्रा के समापन दिवस पर वे स्वयं वहां मौजूद थे, उस यात्रा ने लोगों को जाग्रत किया था। उत्तराखंड की लोक संस्कृति को देश-दुनिया ने जाना था।

केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा, उन्होंने प्रधान मंत्री मोदी जी को जागेश्वर व आदि कैलाश जाने का आग्रह किया था। पूर्व केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया, वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण, कानून मंत्री किरण रिजिजू को उक्त स्थानों पर लेकर गया। कह सकता हूं सृष्टि निर्माण के बाद पहली बार उक्त दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क पहुंची।

अजय टम्टा ने कहा, आदि कैलाश के बावत प्रधान मंत्री ने पूछा था, मैंने उन्हें बताया था। पहले कम लोग वहां जाते थे प्रधानमंत्री की आदि कैलाश यात्रा के बाद अब वहा वर्तमान में दो से ढाई हजार लोग यात्रा कर रहे हैं। आल वेदर रोड से धार्मिक पर्यटन बढ़ा है। आज उत्तराखंड अंचल के खेत सूखे पड़े हैं। गऊ माता की आवाज व बकरियों की आवाज नहीं आती है। हमारे पूर्वज कहते थे, खेती बाड़ी में कुछ नहीं रखा है। वे सेना में गए, नौकरियों में गए। हमारे देश के नॉर्थ ईस्ट में ऐसा नहीं हुआ, वे अपने मूल स्थानों में रहे। खेती बाड़ी से जुडे़ रहे। लाहौल स्पीति के लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत सुदृढ़ है। उत्तराखंड के लोग कहां हैं, देखा जा सकता है।

अजय टम्टा द्वारा कहा गया, हमारे लोगों के पास भाषण देने के लिए बहुत कुछ है, प्रयास करने के लिए तैयार नहीं हैं। कहा गया, आज मंच पर मुझे सम्मान स्वरूप लकड़ी की दही ठेकी सप्रेम भेंट की गई है, दूध नहीं है। उत्तराखंड के वाद्य यंत्र व पुराने पीतल, कांसे के वर्तन लुप्त हो गए हैं। यशोधर मठपाल व जुगल किशोर पैठशाली द्वारा हमारी संस्कृति से जुड़ी अनेकों पुरानी चीजों का सराहनीय संकलन कार्य किया गया था।

केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा द्वारा कहा गया, हम जो भी कहे इंप्लीमेंट करना होगा। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, जब कहानी कहते हैं उसके बाद ही देवता नाचने शुरू होते हैं। कहा गया, समझाया उन्हें जाता है जो समझे। अन्य राज्यों में देखा गया है, जो शीर्ष अधिकारी उन राज्यों में भेजे जाते हैं उनका वहां के लोगों से कुशल व्यवहार के नाते आत्मिक जुड़ाव हो जाता है, वे उसी राज्य के हो जाते हैं। उत्तराखंड में ऐसा नहीं होता है, अधिकारी वहां आत्मिक जुड़ाव से विरक्त रहते हैं। कहा गया, उत्तराखंड का जमीन कानून सबको पता है, हिमाचल में सौ साल से रह रहे लोग जमीन नहीं खरीद पा रहे हैं।

अजय टम्टा द्वारा कहा गया, आज आदि कैलाश उत्तराखंड का पांचवा धाम बन गया है। कैची धाम में लोग परेशान हो रहे हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा उक्त स्थानों पर सुविधाजनक विकास कार्य किए जा रहे हैं। अजय टम्टा ने कहा, अब मुझे अक्ल आ गईं है, कार्य करूंगा। दुनिया के कई देश घूमा हूं, वहां बहुत कुछ हो रहा है, हमारे यहां नहीं, इस पर चिंतित हूं।

आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चंद्र बल्लभ टम्टा द्वारा सम्मेलन समापन पर व्यक्त किया गया, उत्तराखंड के पर्यावरण, नदियों व भूमि का कैसे उपयोग किया जाए, सभी को इस पर सोच विचार करना होगा।

आयोजन के इस अवसर पर आयोजक संस्था ‘धरोहर’ द्वारा केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा के कर कमलों द्वारका उत्तरायणी समिति, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में लोन साथी विजनिश हैड कविता बिष्ट, कुमाऊं सांस्कृतिक समिति गाजियाबाद, उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच, पर्वतीय लोक विकास समिति, आगरी ढोल-दमाऊ सांस्कृतिक समिति, द्वारका कुर्मांचल सोसाइटी, उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान तथा हिमालयन रिसोर्स एवं बिजनिश सोसाइटी फरीदाबाद से जुडे़ पदाधिकारियों को स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

कंस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित सम्मेलन को सफल बनाने हेतु उत्तराखंड के विभिन्न जगहों से ‘धरोहर’ संस्था से जुडे़ प्रबुद्ध जनों में जगदीश नेगी, धर्मेन्द्र चंद, सुनीता जोशी, मनोहर नेगी, सी एस किरौला के साथ-साथ दिल्ली विश्व विद्यालय से जुड़ी परिषा कुंवर के सानिध्य में दिल्ली विश्व विद्यालय की छात्राओं की अहम भूमिका रही। अयोजित सम्मेलन का प्रभावशाली मंच संचालन नीरज बवाडी व धरोहर संस्था महामंत्री दिवाकर पांडे द्वारा बखूबी संचालित किया गया।

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