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उत्तराखंड की आंचलिक फिल्मों, रंगमंच व गायन शैली का विगत पांच दशकों से संवर्धन कर रही कुसुम बिष्ट को घोषित हुआ 2023-2024 का तीलू रौतेली सम्मान

सी एम पपनैं

 

नई दिल्ली। उत्तराखंड की नारी को किसी भी क्षेत्र में कम कर नहीं आंका जा सकता है। महिला सशक्तिकरण का परिचय दे विभिन्न काल खंडों व विभिन्न क्षेत्रों व विधाओं में अंचल की अनेकों महिलाओं द्वारा अति प्रेरणा जनक कार्य कर भविष्य की पीढ़ी को प्रेरित करने का कार्य कर अमिट छाप छोड़ी है।

 

विगत पांच दशकों से उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुड़े रंगमंच, लोकगायन तथा आंचलिक बोली-भाषा की फिल्मों, शॉर्ट फिल्म, टीवी सीरियल में प्रभावशाली किरदार निभा कर ख्याति अर्जित करने वाली दिल्ली प्रवास में निवासरत कुसुम बिष्ट उत्तराखंड के जन समाज में एक ऐसा सुप्रसिद्ध नाम है जिसने अपना पूरा जीवन उत्तराखंड के लोक रंगमंच के संवर्धन में समर्पित किया हुआ है। अंचल की लोक संस्कृति के उत्थान के लिए विगत पांच दशकों से निरंतर समर्पित रही इस मशहूर फिल्म व रंगमंच अदाकारा व गायिका को उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान द्वारा वर्ष 2023-2024 का तीलू रौतेली सम्मान प्रदान करने हेतु नाम घोषित किया गया है।

विलक्षण प्रतिभा की धनी कुसुम बिष्ट को उक्त घोषित सम्मान के साथ-साथ इक्कीस हजार रुपए की नकद राशि भी 10 अगस्त दिन शनिवार को गढ़वाल भवन, झंडेवालान में उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान द्वारा एक भव्य समारोह में मुख्य अतिथि के कर कमलों प्रदान किया जाएगा।

 

गढवाली बोली-भाषा की पहली आंचलिक व सु-विख्यात फिल्म ‘जग्वाल’ की नायिक व गायिका रही कुसुम बिष्ट द्वारा वर्ष 1980 में स्व.दिनेश पांडे के सांस्कृतिक ग्रुप से जुड़ कर रंगमंच की दुनिया में कदम रखा था। तत्पश्चात रंगमंच और लोकगायन के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने की चाहत में उत्तराखंड की सु-विख्यात सांस्कृतिक संस्था पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली से जुड़ कर कुसुम बिष्ट ने जानेमाने रंगमंच संगीत निर्देशक मोहन उप्रेती तथा भारतीय रंगमंच के ख्यातिरत रंगमंच निर्देशक बी एम शाह द्वारा निर्देशित गीत नाट्य ‘जीतू बग्ड़वाल’ तथा ‘हरुहित’ में हिंदी रंगमंच के जानेमाने कलाकार विश्वमोहन बडोला के साथ अभिनय कर रंगमंच की खूबियों व बारीकियों को जानने का अवसर प्राप्त किया था, ख्याति अर्जित की थी।

बाद के वर्षो में कुसुम बिष्ट को नाट्य दल हाई हिलर्स ग्रुप के खुशाल सिंह बिष्ट व सुशीला रावत इत्यादि के साथ जुड़ने का सु-अवसर मिला। उक्त नाट्य दल के साथ विगत चालीस वर्षो में मंचित आंचलिक बोली-भाषा के नाटकों अर्ध ग्रामेश्वर, बांजी गौडी, पुरिया नैथानी, जय भारत जय उत्तराखंड, पैसा न धैला गुमान सिंह रौतेला, अपणु‌-अपणु‌ सर्ग‌ इत्यादि इत्यादि में किरदार निभा कर अपनी ख्याति को निरंतर अग्रसरित करने का अवसर मिलता रहा है।

 

कुसुम बिष्ट द्वारा आंचलिक बोली-भाषा की फ़िल्मों चल काखी दूर जौला, संकल्प, पहाड़ी बाबू, गौरा, कर एक कथा इत्यादि इत्यादि। वीडियो फिल्म इकुलंश, भगीरथ, खैरी का आंसू। हिंदी नाटकों में अपभ्रंश, गिरगिट, नकाब, ढाई अक्षर प्रेम का, दो तीर, रुकमा रूमैलो, रानी कर्णावती, कालांतर, मुख जात्रा इत्यादि इत्यादि। हिंदी शोर्ट फिल्म औलाद तथा पहले गढ़वाली टीवी सीरियल ‘भगीरथ प्रयास’ में किरदार निभाने का व ख्याति अर्जित करने का अवसर मिला है। कुसुम बिष्ट की कर्ण प्रिय आवाज में आंचलिक फिल्मी गीतों तथा अनेकों आंचलिक लोकगीतों की व्यावसायिक कैसिटो हेतु रिकार्डिंग हुई है। अनेकों गढवाली बोली-भाषा के गीत सुपर हिट हुए हैं।

उत्तराखंड गढवाल अंचल के गांव गिदरासू के मूल निवासी आलम सिंह बिष्ट व शकुंतला देवी के दिल्ली सरोजनी नगर स्थित सरकारी आवास में 1963 में जन्मी कुसुम बिष्ट के दिलो दिमाग में रंगमंच व गीत गायन का शौक बचपन से ही उभरना शुरु हो गया था। विगत पांच दशकों में उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को समर्पित इस सुप्रसिद्ध अदाकारा को दिल्ली सहित देश के विभिन्न शहरों व कस्बों में गठित प्रतिष्ठत सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न अवसरों पर अनगिनत सम्मानों से समय समय पर नवाजा जा चुका है।

 

विगत पांच दशकों से रंगमंच व आंचलिक फिल्मों में निभाए किरदार के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक मंचों पर अपनी कर्ण प्रिय आवाज के जादू से श्रोताओं के मध्य अपनी लोकगीत गायन विधा की विशेष छाप छोड़, एक खास पहचान व ख्याति अर्जित करने वाली यह सु-विख्यात नायिका व गायिका विगत दस वर्षो से उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान से भी जुड़ी रही हैं। ताउम्र रंगमंच और आंचलिक फिल्मों में निभाए अपने किरदार का लोहा मनवा कर अंचल की वर्तमान पीढ़ी को प्रेरित कर रही हैं।

 

जब एक नारी बखूबी अपने अंचल की कला-संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन पर निष्ठा व समर्पण से निरंतर कई दशकों से कार्य कर रही हो, उसे मंजिल तक पहुंचा रही हो तो उस मातृशक्ति को और अधिक सशक्त बनाने के लिए सम्मान हेतु चुनना ही चाहिए, सम्मान मिलना ही चाहिए। उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान द्वारा उत्तराखंड की लोक संस्कृति के उत्थान हेतु समर्पित मातृशक्ति कुसुम बिष्ट को 2023-2024 का तीलू‌ रौतेली सम्मान घोषित करना स्वागत योग्य कदम है, भावी पीढ़ी को प्रेरित करने वाला फैसला है।

 

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