आज के युग में महिलाएं किसी से कम नहीं, फिर ये भेद क्यों ?
लेखक खुशी शर्मा । आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जहां बड़े-बड़े समारोह हो रहे हैं ,महिलाओं की बेहतर को दर्शाने के लिए और उनको और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए किंतु सच्चाई तो यह है कि यह सब केवल 1 दिन का दिखावा तो नहीं साबित हो रहा है।
यूं तो हम 21वीं सदी में है , आधुनिक युग में जहां महिलाएं कहीं भी पुरुषों से पीछे नहीं है महिलाएं जितने अच्छे से घर , परिवार और माता -पिता को संभाल सकती है, उतने ही अच्छे से हवाई जहाज और एक बहुत बड़ी कंपनी में भी अपना दायित्व निभा रही है। किंतु फिर भी समाज में कुछ लोग अभी भी ऐसे हैं जो आधुनिक युग में होते हुए भी वही पुरातन युग की सोच रखते हैं , उदाहरण के लिए अगर घर में कोई नया मेहमान आने वाला है तो वह लड़का ही हूं या एक लड़का ही हो और इसका कारण क्या है,कि केवल लड़का ही चाहिए ? उसका उत्तर किसी के पास नहीं है। और यह सोच अधिकतम महिलाओं में ही देखी जाती है।
मैं खुद एक ऐसे समाज समाज से आती हूं जहां एक बच्चियों को बड़े दुलार से पाला जाता है और हर पूजा पाठ के बाद पैर छुना देवी स्वरूप में और त्योहारों पर पूजा-पाठ भी की जाती है किंतु इतना सब करने के बाद भी उसे अपने लिए कम और अपने छोटे भाई के लिए अधिक आजादी महसूस होती है।
आज के युग में महिलाएं किसी से कम नहीं है और उन्होंने इस बात का लोहा मनवा लिया है क्योंकि चांद पर जाने वाली भी एक महिला है और घर संभालने वाली भी एक महिला ही है जिसके बिना हमें हमारा घर पूरी तरह अधूरा लगता है एक महिला ही एक साथ बच्चे, घर, माता-पिता और इसके साथ अपनी नौकरी यह सब चीजें एक साथ संभालने में संभव है और यह काम एक महिला ही कर सकते हैं
हे नारी तू महान है , आपको किसी से कम ना आक।