रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के नेतृत्व में ट्रैक और यात्री कोचों के उन्नयन से कश्मीर को मिली नई जीवनरेखा
Amar sandesh दिल्ली।जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए भारतीय रेलवे एक नई गति और दिशा लेकर आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 06 जून 2025 को चिनाब और अंजी पुलों के साथ उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक परियोजना का उद्घाटन करना एक ऐतिहासिक क्षण था। इस परियोजना ने घाटी को भारतीय रेल नेटवर्क से स्थायी रूप से जोड़ते हुए विकास की धारा में सम्मिलित कर दिया है।
कटरा से श्रीनगर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत ने घाटी के लोगों को तेज़, आरामदायक और सुरक्षित रेल सुविधा दी है। इसके साथ ही रेलवे ट्रैक और यात्री कोचों के उन्नयन के कार्यों ने क्षेत्र के रेल बुनियादी ढांचे को एक नई ऊंचाई प्रदान की है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के निर्देशानुसार जम्मू-कश्मीर में ट्रैक के रखरखाव के लिए अत्याधुनिक टैम्पिंग मशीनें और गिट्टी सफाई मशीनें तैनात की गई हैं। जून 2025 से घाटी में कार्यरत टैम्पिंग मशीन ने 88 किलोमीटर पटरियों की मजबूती सुनिश्चित की है। जुलाई 2025 में दो अतिरिक्त बीसीएम मशीनों की तैनाती से कुल 14 किलोमीटर ट्रैक की गहराई से सफाई की गई है। इसके लिए कठुआ, काजीगुंड, माधोपुर और जींद से कुल 17 गिट्टी रेक भेजे गए हैं।
रेलवे द्वारा ट्रैक रिकॉर्डिंग कार (टीआरसी) और ऑसिलेशन मॉनिटरिंग सिस्टम (ओएमएस) का संचालन भी किया गया, जिससे ट्रैक की गुणवत्ता का वैज्ञानिक मूल्यांकन संभव हो पाया।
श्री वैष्णव ने कहा, “हम आधुनिक ट्रैक फिटिंग, ट्रैक मशीनें, अल्ट्रासाउंड फ्रैक्चर डिटेक्शन और एआई आधारित तकनीक से ट्रैक की गुणवत्ता और कर्मचारियों की कार्य स्थितियों को बेहतर बनाएंगे।”
रेलवे के इस क्रांतिकारी परिवर्तन का एक और अहम पहलू है – घाटी में मेमू और डेमू रेकों का आधुनिकीकरण। पहले बडगाम से लखनऊ तक सड़क मार्ग से रेक लाए जाते थे, लेकिन अब पहली बार इन्हें सीधे रेल मार्ग से कार्यशालाओं तक भेजा गया है। इससे समय, संसाधन और गुणवत्ता – तीनों में बड़ा सुधार हुआ है।
चारबाग और जालंधर कार्यशालाओं में कुल छह डेमू/मेमू रेकों का पीरियॉडिक ओवरहॉलिंग (POH) और आधुनिकीकरण कार्य किया जा रहा है, जिसमें से तीन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। शेष तीन रेकों का कार्य 31 अगस्त, 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा
उन्नयन में निम्नलिखित सुविधाएं जोड़ी गई हैं:
बाहरी पीयू पेंटिंग के साथ नया रंग और भित्तिचित्र
बायो टॉयलेट्स और नए वॉटर पंप
पॉलीकार्बोनेट सीटें, नए स्टैंडिंग हैंडल और पीवीसी फर्
यात्रियों के लिए मोबाइल चार्जिंग सॉकेट (A और C टाइप), मॉड्यूलर स्विच और बेहतर पंखे
विद्युत आपूर्ति में बाधा आने पर भी पानी भरने वाले पंपों की स्वचालित आपूर्ति व्यवस्था
भारतीय रेलवे को ‘राष्ट्र की जीवनरेखा’ यूं ही नहीं कहा जाता। वर्ष 2014 में देश के मात्र 39% ट्रैक 110 किमी प्रति घंटे की गति के लिए उपयुक्त थे, जबकि 2025 तक यह आंकड़ा 78% तक पहुंच गया है। ट्रैक की कुल लंबाई भी अब 1 लाख किलोमीटर से अधिक हो चुकी है।
जम्मू-कश्मीर के परिप्रेक्ष्य में यह परिवर्तन केवल रेलवे विकास नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समावेशन की नई दिशा है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, “भारतीय रेलवे जम्मू-कश्मीर को न केवल रेल से जोड़ रहा है, बल्कि वहां की जनता को आत्मनिर्भरता, सुविधा और गौरव की ओर अग्रसर कर रहा है।”